CHANDIGARH: राज्य के गाँवों को टीकाकरण से परहेज़ न करने के बदले तोहफ़ा देते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने मंगलवार को ऐलान किया कि राज्य सरकार के ‘कोरोना मुक्त गाँव अभियान’ के अंतर्गत 100 प्रतिशत टीकाकरण का लक्ष्य पूरा करने वाले हर गाँव को 10 लाख रुपए का विकास अनुदान दिया जायेगा।
राज्यभर के गाँवों के सरपंचों और पंचों को अपने-अपने गाँवों में कोविड के खि़लाफ़ जंग में अग्रणी भूमिका निभाने की अपील करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सरपंचों और पंचों द्वारा लोगों को हलके लक्षण नज़र आने पर भी अपनी कोविड संबंधी जांच और टीकाकरण करवाने हेतु प्रेरित किया जाये।मुख्यमंत्री 4000 लाइव लोकेशनों पर अलग-अलग गाँवों की पंचायतों के 2000 मुखियों /सदस्यों के साथ एल.ई.डी. सक्रीनों के द्वारा बातचीत कर रहे थे।
उन्होंने यह बताया कि राज्य सरकार ने पहले ही सरपंचों को कोविड के इमरजेंसी इलाज के लिए पंचायत फंड में से प्रति दिन 5000 रुपए की सीमा तक ख़र्च करने की मंज़ूरी दे दी है और यह सीमा 50,000 रुपए तक निश्चित गई है।ग्रामीण क्षेत्रों की आबादी को कोरोना के घातक प्रभावों और कीमती जीवन बचाने के लिए जल्द इस रोग का पता लगाने और इलाज करवाने की ज़रूरत संबंधी जागरूक करने पर ज़ोर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कार्य सिर्फ़ विशेष रूप से प्रचार मुहिमों के द्वारा ही पूरा किया जा सकता है।
उन्होंने पंचायतों को विशेष मैडीकल कैंप लगाने और पूर्व सैनिकों की सेवाएं लेने के लिए कहा जिन्होंने अपने सेवाकाल के दौरान कई जंगें लड़ी और इस महामारी के खि़लाफ़ राज्य की जंग का हिस्सा हैं।मुख्यमंत्री ने सरपंचों और पंचों को अपने-अपने गाँवों में कोविड संक्रमित व्यक्तियों का प्रवेश रोकने के लिए ठीकरी पहरे शुरू करने, पॉज़िटिव पाए जाने वाले हर व्यक्ति को फतह किट मुहैया करवाने और 94 प्रतिशत से नीचे के ऑक्सीजन स्तर वाले व्यक्तियों का संपूर्ण इलाज यकीनी बनाए जाने के लिए कहा।
उन्होंने गाँवों में रहते लोगों को कहा कि किसी भी तरह के लक्षण नज़र आने की सूरत में वह अपने आप को तुरंत ही एकांतवास कर लें और संक्रमण का जल्द पता लगाने के लिए अपनी जांच करवाएं क्योंकि इस संबंधी इस्तेमाल की गई कोई भी लापरवाही बाद में गंभीर नतीजे देती हुई घातक साबित भी हो सकती है।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि पंजाब का स्वास्थ्य देखभाल ढांचा मज़बूत है और राज्य में 2046 स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती केंद्र हैं और 800 और ऐसे केंद्र जल्दी ही शुरू किये जाएंगे। उन्होंने सरपंचों और पंचों को इन केन्द्रों में मिलती स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ कोरोना से पीड़ित गाँव वासियों तक पहुंचाने को भी कहा।मुख्यमंत्री ने आगे बताया कि राज्य सरकार द्वारा 18 साल से अधिक उम्र वर्ग के टीकाकरण के लिए अलग-अलग स्रोतों द्वारा टीकों का प्रबंध करने के लिए प्रयास किया जा रहा है और इसके अलावा 45 साल से अधिक उम्र की आबादी के लिए टीकों का प्रबंध करने हेतु केंद्र सरकार के पास भी लगातार मसला उठाया जा रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि पहले जब राज्य सरकार के पास टीकों का स्टॉक भरपूर मात्रा में था तब लोग टीके लगवाने के लिए आगे नहीं आए परन्तु अब जब स्थिति उलट हो गई है तो टीकाकरण करवाने के इच्छुक लोगों की संख्या में भी विस्तार हो रहा है।कोरोनावायरस के फैलाव को रोकने के लिए मिलजुल कर प्रयास करने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मैं कप्तान के तौर पर अकेला कुछ नहीं कर सकता और मिलकर यत्न किये जाने से ही हमें अपना लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी।’’ हालाँकि रोज़ाना के केसों की संख्या 17 मई को 9000 से घटकर 6947 हो गई थी परन्तु हालात अभी भी नाजुक हैं और कई लोग अभी भी मौत के मुँह में जा रहे हैं क्योंकि वह इलाज करवाने में काफ़ी देरी कर देते हैं।
इसका सबूत यहाँ से ही मिलता है कि स्तर 2 के बिस्तरे 64 प्रतिशत तक इस्तेमाल किए जा रहे हैं जबकि स्तर 3 पर यह संख्या 85 प्रतिशत तक पहुँच चुकी है। उन्होंने आगे कहा, ‘‘यदि इन लोगों ने शुरूआती चरण में ही डॉक्टरी सहायता ली होती तो कई कीमती जानें बचाई जा सकतीं थीं।’’मुख्यमंत्री ने गाँव के लोगों को राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर जारी स्वास्थ्य संबंधी दिशा-निर्देशों का सख़्ती के साथ पालन करने के लिए कहा और बताया कि सरकार द्वारा लोगों की सहायता के लिए ‘104’ हेल्पलाइन 24X7 चालू है और घरेलू एकांतवास में रह रहे मरीज़ों को स्वास्थ्य टीम द्वारा प्रति दिन फ़ोन करके उनके स्वास्थ्य की निगरानी की जा रही है। इन मरीज़ों को फूड किटें भी दीं जा रही हैं जिनमें 10 किलो आटा, 2 किलो चने, 2 किलो चीनी (परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए) शामिल है और इसके अलावा भारत सरकार द्वारा 10 किलो आटा अलग तौर पर भी दिया जा रहा है।
फूड किटें गरीब वर्ग से संबंधित उन मरीज़ों को भी मुहैया करवाई जा रही हैं जोकि पाज़िटिव पाए गए हैं और जिनका रोज़गार उनसे दो हफ्ते या इससे ज़्यादा समय के लिए खो चुका है। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने कोविड की पाबंदियों से बुरी तरह प्रभावित होने वाले गरीबों के लिए 5 लाख फूड किटें तैयार किये जाने के भी हुक्म दिए हैं। इतना ही नहीं, पंजाब पुलिस द्वारा भोजन हेल्पलाइन ‘112’ के द्वारा कोविड के मरीज़ों को 24 घंटे भोजन मुहैया करवाने का अमल जारी है।इससे पहले ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री तृप्त राजिन्दर सिंह बाजवा ने पंचायत सदस्यों को सरकार के प्रयासों में सहयोग करने के लिए आगे आने की अपील की जिससे कोविड की स्थिति ख़ासकर उन गाँवों में जहाँ केस अधिक हैं, में स्थिति कंट्रोल की जा सके।
कैबिनेट मंत्री ने लोगों को नीम-हकीम आदि पर भरोसा न करने की नसीहत देते हुए कहा कि वह ग्रामीण इलाकों में स्थित सरकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों की सलाह लेंइस मौके पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग रैपिड एंटीजन टैस्ट (आर.ए.टी.) के लिए 12 लाख किटों का ऑर्डर दे चुका है जिससे शुरुआत में ही कोविड मामलों का पता लगाया जा सके।
उन्होंने गाँवों में टेस्टिंग के लिए घर-घर जाने की मुहिम चलाने के लिए स्वास्थ्य वर्करों के साथ गार्डियन्ज ऑफ गवर्नेंस (जी.ओ.जी.), आशा और आंगनबाड़ी वर्करों के साझे यत्न तेज करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। स्वास्थ्य विभाग के सलाहकार डॉ. के.के. तलवार ने गाँवों में करोनावायरस के फैलाव को काबू में लाने के लिए कार्य योजना बारे संक्षिप्त में जानकारी देते हुए ग्रामीण लोगों को मास्क पहनने, विशेष तौर पर भीड़ों के दौरान सामाजिक दूरी बनाए रखने और अनावश्यक सफ़र से बचने के लिए कहा।इससे पहले बठिंडा जिले के गाँव मानक ख़ाना की सरपंच शैशनदीप कौर, होशियारपुर के गाँव सारंगवाल की सरपंच सुरजीत कौर, मोगा के साफूवाला के सरपंच लखवंत सिंह, पटियाला के गाँव खनौरा की सरपंच गुरदीप कौर और अमृतसर के गाँव मेहता के सरपंच कश्मीर सिंह ने गाँव में स्वास्थ्य देखभाल के मौजूदा बुनियादी ढांचे को और मज़बूत करने के लिए अपने-अपने सुझाव दिए। उन्होंने मुख्यमंत्री को कोविड संबंधी एहतियात बरतने के लिए दिशा-निर्देशों के पालन को यकीनी बनाने और टीकाकरण की महत्ता बारे लोगों में जागरूकता पैदा करने संबंधी उठाए जा रहे कदमों बारे अवगत करवाया।