CHANDIGARH: रियल अस्टेट (रैगूलेशन एंड डिवैल्पमैंट) एक्ट-2016 के साथ एकसमानता लाने के लिए पंजाब मंत्रीमंडल द्वारा आज ‘द पंजाब रीज़नल एंड टाऊन प्लानिंग एंड डिवैल्पमैंट एक्ट-1995’, ‘द पंजाब अपार्टमेंट एंड प्रॉपर्टी रैगूलेशन एक्ट-1995’ और ‘द पंजाब अपार्टमेंट ओनरशिप एक्ट-1995’ में संशोधन को मंजूरी दे दी गई है।
काबिलेगौर है कि यह एक्ट ज़मीन के विकास और प्रयोग की बेहतर योजनाबंदी और ज़मीन को नियमित करने, कालोनियों और सम्पत्ति के लेन-देन को नियमत करने, प्रमोटरों और सम्पत्ति एजेंटों की रजिस्ट्रेशन और प्रमोटरों और सम्पत्ति एजेंटों पर नियम लागू करने और एक इमारत में एक व्यक्तिगत अपार्टमेंट की मलकीयत और आम क्षेत्रों में समूचा ब्याज प्रदान करने के लिए बनाए गए थे।
मुख्यमंत्री कार्यालय के एक प्रवक्ता के अनुसार उपरोक्त एक्ट में कुछ व्यवस्थाएं थीं जो एक दूसरे के अनुकूल नहीं हैं। इन संशोधनों की प्रमुख विशेषताओं बारे बताते हुए प्रवक्ता ने कहा कि प्रमोटर रेरा, 2016 अधीन रजिस्टर होने के बाद ही इश्तिहार दे सकेंगे और आम क्षेत्र अधीन सही क्षेत्र का खुलासा करने के योग्य होंगे। वह पेशगी राशि के तौर पर बिक्री कीमत के 10 प्रतिशत से अधिक राशि नहीं लेंगे जो पहले 25 प्रतिशत थी और खरीददारों से ली जाने वाली 75 प्रतिशत राशि के लिए अलग खाता बनाएंगे और खाते में से पैसे निकलवाना कालोनी के मुकम्मल होने की प्रतिशतता के अनुपात के अनुसार होगा।
इसके अलावा प्रमोटर दो-तिहाई अलॉटियों द्वारा दी गई लिखित सहमति प्राप्त किये बगैर अपनी कालोनी के बहुसंख्यक अधिकारों और देनदारियों को किसी तीसरे पक्ष को हस्तांतरित या सौंप नहीं सकेगा और रेरा 2016 के अंतर्गत कब्ज़ा देने में असफल रहने की स्थिति में उसे समझौते मुताबिक ब्याज समेत राशि और मुआवज़ा भी देना पड़ेगा।
एसोसिएशन के गठन के लिए अनिवार्य व्यवस्था के अलावा, प्रमोटरों की देनदारियों और अलॉटियों के अधिकारों और कर्तव्यों की स्पष्ट परिभाषा आदि कुछ महत्वपूर्ण संशोधन हैं जो इसे रेरा-2016 के अनुकूल बनाते हैं। प्रवक्ता ने आगे कहा कि प्रमोटर की तरफ से किसी भी किस्म का उल्लंघन करने पर प्रोजैक्ट की अनुमानित लागत के पाँच प्रतिशत तक जुर्माना हो सकता है जो कि पहले अधिकतम पाँच लाख रुपए था।
जि़क्रयोग्य है कि भारतीय संसद ने रियल अस्टेट सैक्टर को नियमत करने और अधिक प्रफुल्लित करने के लिए रियल अस्टेट (रैगूलेशन एंड डिवैल्पमैंट) एक्ट, 2016 लागू किया है जिससे प्लाट, अपार्टमेंट या इमारत की बिक्री को यकीनी बनाया जा सके और रियल अस्टेट की खऱीद-फऱोख़्त में पारदर्शिता लाकर उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा की जा सके।