धान की फसल की गुणवत्ता बचाने और बासमती के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए लिया गया फैसला
CHANDIGARH: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आज राज्य में 9 कृषि-रसायनों की बिक्री और प्रयोग पर रोक लगाने के हुक्म दिए हैं। कृषि विभाग के ध्यान में आया कि धान की गुणवत्ता के लिए नुकसानदेय होने के बावजूद किसानों द्वारा अभी भी इसका प्रयोग किया जा रहा है, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने यह हुक्म जारी किए। इस पाबंदी का उद्देश्य धान की गुणवत्ता को बचाना है, जो अंतरराष्ट्रीय मार्केट में धान के निर्यात और लाभप्रद कीमत के लिए बहुत अहमीयत रखता है।
मुख्यमंत्री, जिनके पास कृषि विभाग भी है, ने कीटनाशक एक्ट, 1968 की धारा 27 के अंतर्गत तुरंत प्रभाव से 9 कृषि-रसायनों पर पाबंदी लगाने की मंज़ूरी दे दी है, जिनमें ऐसीफेट, ट्राईएज़ोफोस, थायामीथौक्सैम, कारबेंडाजि़म, ट्राईसाईकलाज़ोल, बुपरोफेजऩ, कार्बोफ्यूरान, प्रौपाईकोनाज़ोल और थायोफिनेट मिथाईल शामिल हैं।
हुक्मों के मुताबिक इन 9 कीटनाशकों की बिक्री, माल भंडारण करने, वितरण और धान की फ़सल पर इसके प्रयोग पर पाबंदी लग चुकी है। मुख्यमंत्री ने कृषि सचिव के.एस. पन्नू को इस सम्बन्ध में कृषि डायरैक्टर को विस्तृत हिदायतें जारी करने के लिए कहा, जिससे राज्य सरकार की लैबोरेट्रियों द्वारा सैंपल टेस्टिंग जारी करने के बाद लगाई गई पाबंदी के सख़्ती से अमल को यकीनी बनाया जा सके।
पन्नू ने बताया कि यह कृषि-रसायन किसानों के हित में सही नहीं हैं, इसके नतीजे के तौर पर गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ता है और चावलों में कीटनाशकों के अंश सरकार द्वारा तय किए गए अधिक से अधिक अंश के स्तर (एम.आर.एल.) से अधिक रहने का ख़तरा बना रहता है।
सचिव ने बताया कि कृषि विभाग ने ऐसे रसायनों के प्रयोग से मनुष्य स्वास्थ्य पर पडऩे वाले बुरे प्रभावों संबंधी किसानों और कीटनाशक डीलरों को अवगत करवाने के लिए पिछले दो सालों से ज़ोरदार मुहिम चलाई हुई है। यहाँ तक कि पंजाब राइस मिल्लरज़ और एक्सपोर्टरज़ एसोसिएशन ने भी यह मामला उठाया है कि अलग-अलग नमूनों में बासमती चावलों में इन कीटनाशकों के अंश निर्धारित एम.आर.एल. से कहीं अधिक पाए गए हैं।