पंजाब ने रचा इतिहास: सबसे कम तम्बाकू प्रयोग वाले राज्य के तौर पर रजिस्टर्ड N.F.H.S.-5 आंकड़ों में हुआ खुलासा, पंजाब कोटपा को लागू करने में हुआ सफल

CHANDIGARH: तम्बाकू के सेवन की समस्या के ख़ात्मे के लिए इतिहास रचते हुये पंजाब ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (N.F.H.S.-5) के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार तम्बाकू के सबसे कम प्रयोग वाले स्थान का दर्जा हासिल करके एक नया मील पत्थर स्थापित किया है।

आज यहाँ यह प्रगटावा करते हुये उप मुख्यमंत्री, जिनके पास पंजाब के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री का प्रभार भी है, ओ.पी. सोनी ने कहा कि तम्बाकू का प्रयोग बालिग़ों में मौत दर का बड़ा कारण बना हुआ है, ख़ास कर भारत जैसे देशों में, जहाँ तम्बाकू से सम्बन्धित बीमारियों और मौतों की दर बहुत ज़्यादा है। भारत में हर साल 10 लाख से अधिक बालिग़ तम्बाकू के प्रयोग के कारण मरते हैं जो कुल मौतों का 9.5 प्रतिशत बनता है। भारत को धूम्रपान और धुआँ रहित तम्बाकू के रूप में तम्बाकू का प्रयोग दोहरी समस्या का सामना करना पड़ता है।

सोनी ने कहा कि पंजाब स्वास्थ्य विभाग की तरफ से तम्बाकू के प्रयोग की कुरीति को जड़ से ख़त्म करने के लिए किये जा रहे प्रयास सार्थक सिद्ध हो रहे हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की तरफ से जारी किये गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार पंजाब में तम्बाकू का प्रयोग अब देश के सभी राज्यों की अपेक्षा सबसे कम है। पंजाब में 15 साल या इससे अधिक उम्र के पुरुषों में तम्बाकू का प्रयोग पिछले पाँच सालों में 19.2 प्रतिशत (एनएफएचएस -4) से घट कर 12.9 प्रतिशत (एनएफएचएस -5) रह गया है।

इसके साथ ही पंजाब में 15 साल से अधिक उम्र की महिलाएं सिर्फ़ 0.6 फ़ीसद तम्बाकू का प्रयोग करती हैं जिससे पंजाब देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शिखर पर है।

उप मुख्यमंत्री ओ.पी. सोनी ने राज्य तम्बाकू कंट्रोल सैल, पंजाब को इस ऐतिहासिक प्राप्ति के लिए बधाई देते हुये बताया कि पिछले 10 महीनों में कोटपा-2003 के अंतर्गत कुल 5541 चालान किये गए हैं। सभी जिलों में तम्बाकू मुक्ति केंद्र स्थापित किये गए हैं। इन केन्द्रों में मरीज़ों को तम्बाकू छोडऩे के लिए मुफ़्त काउंसलिंग और बुपरोपियन, निकोटीन गम और पैचेस जैसी दवाएँ दी जा रही हैं। इन केन्द्रों (अप्रैल-अक्तूबर 2021) से 7307 तम्बाकू उपयोगकर्ताओं ने सेवाएं प्राप्त की हैं। राज्य के 800 से अधिक गाँवों को तम्बाकू मुक्त घोषित किया गया है।

सोनी ने इस क्षेत्र में सिविल सोसायटी संस्थाओं को अपना योगदान देने और तम्बाकू के सेवन से व्यक्तियों और समाज को होने वाले नुक्सान को दूर करने के लिए किफ़ायती सामथ्र्य और मार्किटिंग पाबंदियाँ को घटाने के लिए प्रभावशाली नीतियाँ लाने पर ज़ोर दिया।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के डायरैक्टर डा. अन्देश कंग ने तम्बाकू के बुरे प्रभावों के बारे बताते हुये कहा कि तम्बाकू का प्रयोग कई तरह की संचारी और ग़ैर-संचारी बीमारियों और मानसिक स्वास्थ्य विकारों से जुड़ा हुआ है, जिससे इनका प्रयोग सामाजिक प्रतिष्ठता को नुकसान पहुंचाता है। कई अध्ययनों से पता चला है कि तम्बाकू का प्रयोग करने वाले व्यक्तियों को नोवल कोरोना वायरस का ज्यादा ख़तरा हो सकता है।

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