प्रधानमंत्री से लखीमपुर खीरी की घटना के पीडि़त परिवारों को इंसाफ दिलाने के लिए यूपी सरकार पर दबाव डालने की अपील
तीन खेती कानूनों की समीक्षा करके रद्द करने की जरूरत को दोहराया
CHANDIGARH: मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने आज अपने कैबिनेट साथियों के साथ यहाँ राज भवन में पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को किसानों के साथ जुड़े अहम मसलों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन के द्वारा मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को लखीमपुर खीरी में हाल ही में घटी हिंसा के पीड़ित परिवारों के लिए इन्साफ को यकीनी बनाने के लिए ठोस कदम उठाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार पर दबाव डालने की अपील की है।
मुख्यमंत्री ने इस ज्ञापन में तीन खेती कानूनों की तुरंत समीक्षा करके रद्द करने की ज़रूरत को भी दोहराया क्योंकि ये कानून ही किसानों के दरमियान रोष की वजह बने हुए हैं।
स. चन्नी ने बताया कि वह उत्तर प्रदेश में लखीमपुर खीरी में हाल में घटी हिंसक घटना बारे प्रधानमंत्री का ध्यान दिलाना चाहते हैं जिसने सभी की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है। इससे भी ज्यादा दर्दनाक बात यह है कि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में हमारे अन्नदाताओं की जान चली गई जो खेती कानूनों के विरुद्ध शांतमयी प्रदर्शन कर रहे थे।
प्रधानमंत्री के निजी दख़ल की माँग करते हुए स. चन्नी ने कहा कि वह चाहते हैं कि इस बर्बर कृत्य के पीछे के चेहरे बेनकाब होने चाहिएं, चाहे वे कितना भी रसूख या पहुँच रखने वाले क्यों न हों। उन्होंने प्रधानमंत्री से अपील की कि इस दुखद घटना में जान गंवा चुके भोले-भाले किसानों के लिए इन्साफ जल्द दिलाना यकीनी बनाया जाये।
ज्ञापन में कहा, ‘‘इसके अलावा आम लोग और किसान मौजूदा व्यवस्था से बेगानापन महसूस कर रहे हैं जो लोकतांत्रिक मूल्यों और नैतिकता के क्षरण के कारण धीरे -धीरे चरमरा गई है। यह सही मौका है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में लोगों का भरोसा और विश्वास बहाल किया जाये जिसके लिए लोगों को विचार प्रकट करने के मौलिक अधिकार का प्रयोग करने की इजाज़त दी जाये जिससे लोग स्वतंत्र रूप से अपनी भावनाएं ज़ाहिर कर सकें। इस समय लोग निर्भय होकर अपनी दुख-मुसीबतें ज़ाहिर करने के लिए घुटन महसूस कर रहे हैं।’’
मुख्यमंत्री ने श्री मोदी को यह भी जानकारी दी कि केंद्र सरकार की तरफ से लागू किये गए तीन कृषि कानूनों के कारण किसानों में भारी रोष पाया जा रहा है। इसके नतीजे के तौर पर देश भर से किसान संगठन बड़े कठिन हालातों जैसे कि कोविड-19 महामारी और मौसम की मार बर्दाश्त करते हुए बीते एक साल से दिल्ली की सरहदों पर संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन खेती कानूनों के खि़लाफ़ लड़ाई में भाग लेते हुए कई किसान अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं, जिन कानूनों के कारण उनकी रोज़ी-रोटी खतरे में पड़ गई है और उनकी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य पर प्रश्न चिह्न लग गया है।
आगे बताते हुए चन्नी ने कहा कि यह बहुत हैरानी की बात है कि जिन किसानों ने हमारे देश को खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया, वही किसान अब अपने अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ने को मजबूर हैं। ज़िक्रयोग्य है कि इस आंदोलन के कारण हमारी आर्थिकता पर काफ़ी बुरा प्रभाव पड़ा है इसलिए समूह सम्बन्धित पक्षों को भरोसे में लेते हुए इस मसले का उपयुक्त हल ढूँढा जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि मौजूदा समय चल रहे इस आंदोलन के कारण आम लोगों को भी काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
इस मौके पर मुख्यमंत्री के साथ उप-मुख्यमंत्री ओ.पी.सोनी, कैबिनेट मंत्री ब्रह्म मोहिन्द्रा, मनप्रीत सिंह बादल, तृप्त राजिन्दर सिंह बाजवा, सुखबिन्दर सिंह सरकारिया, विजय इंदर सिंगला, रणदीप सिंह नाभा, डॉ. राजकुमार वेरका, संगत सिंह गिलजियां, प्रगट सिंह, अमरिन्दर सिंह राजा वड़िंग और गुरकीरत सिंह कोटली भी शामिल थे।