पंजाब कैबिनेट ने टिशू कल्चर बेस्ड सीड पटैटो बिल-2020 को मंजूरी दी

CHANDIGARH: आलू उत्पादकों की आय को बढ़ाने हेतु एक बड़ा कदम उठाते हुये पंजाब सरकार ने ऐरोपोनिकस /नैट हाऊस सहूलतों का प्रयोग करते टिशू कल्चर आधारित प्रौद्यौगिकी के ज़रिये आलू के मानक बीज के उत्पादन और आलू के बीज और इसकी अगलों नस्लों की सर्टीफिकेशन का फ़ैसला लिया है।

कैबिनेट ने बुधवार को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की अध्यक्षता अधीन हुई मीटिंग में पंजाब टिशू कल्चर बेसड सीड पटैटो बिल, 2020 को मंजूरी दे दी है जिससे आलू उत्पादकों की आलू के मानक बीज की माँग को पूरा किया जा सके और देश में राज्य का आलू बीज के एक्सपोर्ट (निर्यात) हब के तौर पर विकास किया जा सके।

एक सरकारी प्रवक्ता के अनुसार इस कदम से आलू के उत्पादन को उत्साहित करने में मदद मिलेगी जिससे आलू की फ़सल की काश्त अधीन और ज्यादा क्षेत्रफल आने से फ़सली विभिन्नता को बल मिलेगा।

इस समय पर राज्य में एक लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू की फ़सल की काश्त की जाती है जिससे आलू के 4 लाख मीट्रिक टन बीज की माँग पैदा हुई है। हालाँकि, सैंट्रल पटैटो रिर्सच इंस्टीट्यूट, शिमला से आलू के मानक बीज की नामात्र की सप्लाई है। इस समय पर कुछ व्यापारी इस पर पंजाब के बीज का मार्का लगा कर ग़ैर-कानूनी ढंग से घटिया किस्म का आलू बीज सप्लाई कर रहे हैं।

राज्य की माँग के अलावा राज्य के बाहर से भी आलू के बीज की माँग है और पंजाब के विलक्षण मौसमी हालत के कारणयह जगह आलू के विषाणु /बैक्टीरिया /रोगाणु रहित मानक बीज के उत्पादन के लिए अनुकूल है।

संयोगवश राज्य सरकार के फ़सलीय विभिन्नता प्रोग्राम के अंतर्गत बाग़बानी की फसलें एक आकर्षक विकल्प के तौर पर उभर रही हैं और फिर भी यह काश्त के अधीन कुल क्षेत्रफल का सिफऱ् 4.84 प्रतिशत हिस्सा कवर करती हैं जहाँ से 73.50 लाख मीट्रिक टन की पैदावार होती है। राज्य की कृषि के कुल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) में इन का हिस्सा 12.43 प्रतिशत है।

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