हिमाचल प्रदेश का यह कदम पंजाब और इसके लोगों के हितों के साथ बड़ा धक्का: भगवंत मान
CHANDIGARH, 22 MARCH: रिपेरियन सिद्धांत के मुताबिक पानी पर अपना कानूनी हक जताते हुए पंजाब विधान सभा ने मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व अधीन जल विद्युत प्रोजेक्टों पर वाटर सैस लगाने के हिमाचल प्रदेश सरकार के फ़ैसले की निंदा की।
हिमाचल प्रदेश सरकार के इस कदम की निंदा करने के लिए जल स्रोत मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर की तरफ से पेश प्रस्ताव का समर्थन करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पंजाब के हितों और इसके लोगों के साथ बड़ा धक्का है। उन्होंने कहा कि इसके उलट पंजाब (पाँच दरियाओं की धरती) आज पीने वाले पानी की गंभीर किल्लत का सामना कर रहा है। भगवंत मान ने कहा कि राज्य के पानियों पर हिमाचल प्रदेश सरकार का यह भद्दा हमला है, जिसको बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।
हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार को आड़े हाथों लेते हुये मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि सुक्खू सरकार का यह कदम ग़ैर-कानूनी और तर्कहीन है। उन्होंने कहा कि नदियों के पानियों पर पंजाब का कानूनी हक है और कोई भी राज्य का यह हक नहीं छीन सकता। भगवंत मान ने कहा कि अपनी ज़मीन के द्वारा बह रहे पानी पर पंजाब एक पैसा भी किसी को नहीं देगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस सरकार का यह कदम देश को बाँटने के उद्देश्य के साथ उठाया गया है। उन्होंने कहा कि यह ‘भारत जोड़ो’ नहीं, बल्कि ‘भारत तोड़ो’ मुहिम है। उन्होंने पंजाब के कांग्रेस नेताओं की विधान सभा में से अनुपस्थिति पर सवाल उठाते हुये कहा कि जब राज्य पानियों संबंधी गंभीर मसलों पर विचार कर रहा है तो वह सदन में उपस्थित ही नहीं हैं। भगवंत मान ने कहा कि इन नेताओं ने हमेशा पंजाब की पीठ में छुरा घोंपा है। उन्होंने कहा कि पंजाब को पेश सभी मसलों के हल के लिए राज्य सरकार कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार के इस शर्मनाक काम ने साबित कर दिया है कि कांग्रेस के कई चेहरे हैं और वह हमेशा राजनैतिक सुविधा के लिए अपने इन चेहरों को इस्तेमाल करती रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता संघीय ढांचे संबंधी बड़े-बड़े दावे करते हैं परन्तु वास्तव में वह चलते अपने राजनैतिक लाभ के मुताबिक ही हैं। भगवंत मान ने कहा कि इस बार फिर कांग्रेस ने पंजाब के खि़लाफ़ साजिश रची है परन्तु इसको किसी भी कीमत पर कामयाब नहीं होने दिया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने हिमाचल प्रदेश सरकार को सलाह दी कि वह राज्यों की ताकतें घटाने वाले ऐसे कदम उठाने से संकोच करें। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार हमेशा राज्यों की आवाज़ दबाना चाहती है और हिमाचल प्रदेश सरकार की तरफ से ऐसे मसले उठाने से केंद्र सरकार को राज्य से सम्बन्धित मसलों में अनावश्यक दखलअन्दाज़ी का मौका मिला है। भगवंत मान ने यह भी कहा कि अगर कांग्रेस सरकार अपने मंसूबे को आगे बढाती है तो वह किस मुँह से देश में संघीय ढांचे के बारे दावे करेगी।
राज्य में पानी की किल्लत की समस्या के बारे बात करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि भूजल के अंधाधुंध प्रयोग के कारण राज्य का अधिकांश इलाका ‘डार्क जोन’ में है। उन्होंने कहा कि राज्य के मेहनती किसानों ने राज्य के एकमात्र कुदरती स्रोत पानी का बेदर्दी से प्रयोग करके देश के लिए धान की फ़सल पैदा की। भगवंत मान ने कहा कि पंजाब के इस बड़े योगदान को मान्यता देने की जगह राज्य के हितों के साथ खिलवाड़ करने के लिए ऐसीं योजनाएँ बनाईं जा रही हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बहुत बड़ा दुखांत है कि राज्य के बिल्कुल के बीच पड़ता ज़िला भी अब नहरी पानी की टेलों पर है। उन्होंने कहा कि एक तरफ़ राज्य सरकार पंजाब के विकास के लिए अथक कोशिशें कर रही है, दूसरी तरफ़ राज्य के साथ खिलवाड़ करने वाली ताकतें ऐसे कदम उठा रही हैं। भगवंत मान ने सदन को भरोसा दिया कि पंजाब सरकार हर कीमत पर राज्य के हितों की रक्षा करेगी।