दिल्ली हिंसा न्यायिक जांच, केस वापस लेने और जेलों में बंद लोगों को रिहा करने की मांग को लेकर प्रधानमंत्री से मिलने के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने का फैसला
CHANDIGARH: केंद्र सरकार की तरफ से किसानों के मसले का हल करने में हो रही देरी का गंभीर नोटिस लेते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के आह्वान पर पंजाब की समूह राजनैतिक पार्टियों ने आज भारत सरकार को तीन खेती कानून तुरंत वापस लेकर किसानों की मुश्किलों का हल निकालने की अपील की है। उन्होंने कहा कि किसानों ने केवल लोकतांत्रिक ढंग के साथ निरंतर लड़ी जा रही लड़ाई दौरान अनुकरणीय संयम और धैर्य का परिचय दिया है।
दिल्ली में ‘प्रायोजित हिंसा’ की निंदा करते हुए मीटिंग ने फ़ैसला किया कि सभी पार्टियों का एक प्रतिनिधिमंडल दिल्ली जाकर प्रधान मंत्री को मिलेगा और किसान संघर्ष की चिंताओं के अन्य मसलों समेत इस मुद्दे को उनके समक्ष उठाएगा।
इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने के लिए मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के दौरान लाल किले पर अमन-शान्ति की व्यवस्था कायम रखने के लिए जि़म्मेदार पक्षों की लापरवाही और मिलीभगत की उचित जुडिशियल जांच की जानी चाहिए। सभी पार्टियों के नुमायंदों ने 32 किसान जत्थेबंदियों समेत 40 किसान यूनियनों के संयुक्त किसान मोर्चे की तरफ से किये जा रहे कामों और दृष्टिकोण की प्रशंसा की है।
आज की यह मीटिंग, जिसका भारतीय जनता पार्टी ने बायकॉट किया, ने इस सम्बन्ध में एक प्रस्ताव पास किया। आम आदमी पार्टी ने भी दिल्ली की सरहदों पर संघर्षशील किसानों की सुरक्षा के लिए पंजाब पुलिस तैनात करने की माँग को लेकर मीटिंग से वॉकआउट किया जबकि मुख्यमंत्री ने उनकी माँग को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया।
मीटिंग के आखिर में आप नेताओं ने इस मुद्दे को उठाया जिसके जवाब में कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा, ‘‘हम बात तो राज्यों के लिए और शक्तियों की करते हैं तो फिर हम ऐसा कैसे कर सकते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यदि हिमाचल प्रदेश और हरियाणा की पुलिस पंजाब आ जाए तो फिर आप क्या करोगे।’’
यहाँ तक कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने टिप्पणी की, ‘‘दिल्ली की सरहदों पर सुरक्षा मुहैया करवाने के लिए आप (आप) दिल्ली में अपने मुख्यमंत्री को केंद्रीय गृह मंत्री से अपील करने के लिए कह सकते हो। हम यह नहीं कर सकते क्योंकि संवैधानिक तौर पर ऐसा करना संभव नहीं है।’’ मुख्यमंत्री ने किसानों की लड़ाई लडऩे की ज़रूरत पर ज़ोर दिया जिसका नेतृत्व पंजाब ने किया परन्तु अब मुल्क की लड़ाई बन गई है।
अब तक आंदोलन ऐतिहासिक और बेमिसाल रहने, चाहे कुछ तत्वों ने गणतंत्र दिवस के मौके लाल किले पर असुखद घटनाओं के द्वारा इसको ठेस पहुंचाने की कोशिश की, प्रस्ताव में कहा गया कि यह कार्यवाहियों अति-निंदनीय हैं और इनकी विस्तृत जांच करवाने की जरूरत है। प्रस्ताव के मुताबिक हालाँकि, यह कार्यवाही संघर्षशील किसानों, खेत कामगारों और मीडिया कर्मियों समेत सम्बन्धित अन्य लोगों को तंग-परेशान करने का कारण नहीं बननी चाहिये। भारत सरकार को यह यकीनी बनाने के लिए कहा कि आंदोलन में शामिल किसानों और खेत कामगारों को किसी भी ढंग से तंग-परेशान न किया जाये।
प्रस्ताव के द्वारा राजनैतिक पार्टियों ने केंद्र सरकार से अपील की कि किसानों, खेत कामगारों और पत्रकारों और अन्य शांतमयी आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज सभी केस वापिस लिए जाएँ और वह सभी व्यक्ति रिहा किये जाएँ जो पुलिस और अन्य एजेंसियों की तरफ से नजरबंद किये गए हैं। उन्होंने कहा कि लापता अन्दोलनकारियों की खोज की जानी चाहिए और बिना किसी देरी से सम्बन्धित परिवारों के हवाले किया जाना चाहिए।
किसानों और खेत कामगारों, जिनके मन में इन कानूनों के कारण अपनी रोजी -रोटी छिन जाने का अंदेशा है, के लिए सामाजिक और वित्तीय सुरक्षा को यकीनी बनाने की तत्काल जरूरत को महसूस करते हुए भारत सरकार से अपील की कि संविधान में दर्ज सहकारी संघवाद के सिद्धांतों, राज्यों और वहाँ के निवासियों की संवैधानिक भूमिका का सम्मान करते हुए बातचीत के द्वारा इस संकट का तत्काल तौर निकाला जाये। उन्होंने जोर से कहा, ‘हम किसानों, खेत कामगारों और पंजाब के हितों को बचाने और सुरक्षित रखने के लिए दृढ़ संकल्प हैं।’
प्रस्ताव में केंद्र सरकार को कहा गया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) को किसानों का कानूनी अधिकार बनाया जाये और एफ.सी.आई. और मौजूदा समय की अन्य ऐसी एजेंसियों के द्वारा भारत सरकार की तरफ से अनाज की खरीद जारी रखी जाये। प्रस्ताव के मुताबिक फसल की खरीद पहले की तरह आढ़तियों के द्वारा जारी रखी जाये।
प्रस्ताव में केंद्र सरकार की तरफ से इस संकट के हल में बहुत ज़्यादा देरी किये जाने का जिक्र किया गया जिसके नतीजे के तौर पर न सिर्फ आंदोलनकारी किसान और उनके परिवारों को दुख-तकलीफें बर्दाश्त करनी पड़ रही हैं, बल्कि कई किसानों और खेत कामगारों को अपनी जानें भी गंवानी पड़ी हैं जिस कारण उनको अपूर्णीय क्षति हुयी है और मुल्क के लोग भी अत्यंत पीढ़़ा में से गुजर रहे हैं।
प्रस्ताव में नये वातावरण सुरक्षा (संशोधन) एक्ट, 2020 को वापिस लेने की माँग करते हुये प्रस्तावित नये बिजली (संशोधन) एक्ट, 2020 को लागू करने के प्रस्ताव को भी वापिस लेने की अपील की।
प्रस्ताव में राकेश टिकैत की तरफ से किसान संघर्ष में डाले योगदान के लिए उनकी सराहना की गई और संघर्ष में पंजाब के किसानों को दिए समर्थन के लिए हरियाणा के किसानों का भी धन्यवाद किया गया।