किसानों को 2.5 एकड़ तक की जमीन की कुर्की से मिलेगी छूट
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कृषि उपज की जमाखोरी और कालाबाजारी को रोकने के लिए अहम कदम उठाए
CHANDIGARH: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने मंगलवार को समूह राजनैतिक पार्टियों को अपनी सरकार के चार ऐतिहासिक बिलों को विधान सभा में सर्वसहमति से पास करने की अपील की है।
इन ऐतिहासिक बिलों में अन्य उपबंधों के अलावा कृषि करार के अंतर्गत नयुनतम समर्थन मूल्य से निचली कीमत पर धान की फ़सल या गेहूँ की खऱीद करने पर न्युनतम तीन साल की सज़ा और जुर्माने, किसानों को 2.5 एकड़ तक की ज़मीन की कुर्की से छूट और कृषि उत्पादों की जमाखोरी और काला-बाज़ारी से छुटकारा पाने की व्यवस्था शामिल की गई है।
‘किसानों के (सशक्तिकरण और सुरक्षा) कीमत के भरोसे संबंधी करार और कृषि सेवाओं (विशेष उपबंध और पंजाब संशोधन) बिल, 2020 में न्युनतम समर्थन मूल्य से निचली कीमत पर उपज बेचने/खरीदने पर सज़ा का उपबंध किया गया है।
मुख्यमंत्री द्वारा विधानसभा में पेश किए गए चार बिलों में से एक बिल के अंतर्गत एम.एस.पी से कम कीमत पर उपज की बिक्री/खरीद नहीं की जा सकेगी और इसका उल्लंघन करने पर उपरोक्त सज़ा और जुर्माना भुगतना पड़ेगा।
यह बिल केंद्र सरकार के ‘किसानों के (सशक्तिकरण और सुरक्षा) कीमत के भरोसे संबंधी करार और कृषि सेवाएं एक्ट, 2020 की धारा 1(2), 19 और 20 में संशोधन करने की माँग करता है। इसमें नयी धाराओं 4, 6 से 11 को शामिल करने का प्रस्ताव भी दिया गया है।
इसी तरह किसान फसल, व्यापार और वाणिज्य (प्रोत्साहित करने और आसान बनाने) (विशेष व्यवस्थाएं और पंजाब संशोधन) बिल, 2020 के अंतर्गत किसान फसल, व्यापार और वाणिज्य (प्रोत्साहित करने और आसान बनाने) एक्ट, 2020 की धारा 1(2), 14 और 15 में संशोधन करने की माँग की गई है, जिससे राज्य में गेहूँ या धान की फ़सल की बिक्री या खऱीद एम.एस.पी. से कम कीमत न होने को यकीनी बनाया जा सके।
संशोधित बिल में नयी धारा 6 से 11 शामिल करके किसानों को तंग-परेशान करने या किसानों को कम कीमत की अदायगी करने पर सज़ा देने की भी माँग की गई है। इन दोनों बिलों का उद्देश्य ए.पी.एम.सी. कानूनों के स्थापित ढांचे के द्वारा न्युनतम समर्थन मूल्य की विधि समेत अलग-अलग सुरक्षा बहाल कर केंद्रीय एक्ट के लागू होने से पंजाब के किसानों द्वारा नुकसान के ज़ाहिर की गई आशंकाओं को रोकना है, जिससे किसानों और कृषि मज़दूरों के साथ-साथ कृषि धंधो के साथ जुड़ी गतिविधियों में शामिल अन्शें की रोज़ी -रोटी और हितों की रक्षा की जा सके।
इसी दौरान, उपभोक्ताओं को कृषि उपज की जमाखोरी और काला-बाज़ारी से बचाने के लिए और किसानों और कृषि मज़दूरों के साथ-साथ कृषि धंधो के साथ जुड़ी गतिविधियों में शामिल अन्यों की रोज़ी-रोटी और हितों की रक्षा के लिए राज्य सरकार द्वारा ज़रूरी वस्तुएँ ( विशेष व्यवस्थाएं और पंजाब संशोधन) बिल, 2020 पेश किया गया है। यह बिल, ज़रूरी वस्तुएँ एक्ट, 1955 की धारा 1(2) और 3(1ए) में संशोधन कर केंद्र के ज़रूरी वस्तुएँ (संशोधन) एक्ट, 2020 में संशोधन करने की माँग करता है।
यह बिल ज़रूरी वस्तुएँ (संशोधन) एक्ट, 2020 नामी केंद्रीय एक्ट के लागू करने सम्बन्धी 04 जून, 2020 को पहले जैसी स्थिति बहाल करने को यकीनी बनाने की माँग करता है। मुख्यमंत्री द्वारा पेश किया गया चौथा बिल किसानों को 2.5 एकड़ से कम ज़मीन की कुर्की से राहत प्रदान करता है।
‘‘कोड ऑफ सिविल प्रोसीजर (पंजाब संशोधन) बिल, 2020, कोड ऑफ सिवल प्रोसीजर 1908 की धारा 60 में 2.5 एकड़ से कम की कृषि वाली ज़मीन को छूट देने की व्यवस्था शामिल करने की माँग करता है। कोड ऑफ सिविल प्रोसीजर 1908 की धारा में विभिन्न चल और अचल जायदादों की कुर्की/फऱमान की व्यवस्था है।
इस नयी संशोधन के अंतर्गत पशु, यंत्र, पशूओं के बाड़े आदि किस्मों की जायदादें कुर्की से मुक्त होंगी, परंतु अभी तक कृषि वाली ज़मीन की कुर्की की जा सकती है। कृषि के ठेकों को लागू करने के नतीजे के तौर पर या अपनी ज़मीन की कुर्की / फऱमान संबंधी किसानों के अंदेशे के मद्देनजऱ, राज्य सरकार इस बिल के द्वारा छोटे किसानों और अन्यों को 2.5 एकड़ तक की ज़मीन की कुर्की या फऱमान से पूरी छूट देने की माँग कर रही है।
यह 2017 के लिए कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र का हिस्सा था, जिसके मद्देनजऱ राज्य सरकार ने पहले पंजाब राज्य सहकारी सभाएं एक्ट, 1961 में संशोधन करके धारा 67-ए को हटा दिया गया था, जिससे सहकारी वित्त संस्थाओं को किसानों की ज़मीन कुर्की करने की आज्ञा मिलती थी। सहकारी बैंकों के अलावा वित्तीय संस्थाओं के सम्बन्ध में यह मामला केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है।