नरेंद्र मोदी ने 30 मई 2019 को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली, जो उनके दूसरे कार्यकाल की शुरुआत थी। देश की आजादी के बाद पैदा होने वाले पहले प्रधानमंत्री मोदी ने पहले 2014 से 2019 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। मोदी अक्टूबर 2001 से मई 2014 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे। 2014 और 2019 के संसदीय चुनावों में मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने दोनों अवसरों पर पूर्ण बहुमत हासिल किया। आखिरी बार 1984 के लोकसभा चुनाव में किसी राजनीतिक दल ने पूर्ण बहुमत हासिल किया था। ‘सबका साथ-सबका विकास’ के आदर्श वाक्य से प्रेरित होकर मोदी ने शासन व्यवस्था में बदलाव की शुरुआत की और समावेशी, विकासोन्मुख व भ्रष्टाचार-मुक्त शासन का नेतृत्व किया। प्रधानमंत्री ने अंत्योदय के उद्देश्य को साकार करने और समाज के अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति को सरकार की योजनाओं तथा पहल का लाभ मिले, यह सुनिश्चित करने के लिए स्पीड और स्केल पर काम किया है।
विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों ने इस बात को माना कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत रिकॉर्ड गति से गरीबी को खत्म कर रहा है। इसका श्रेय केंद्र सरकार द्वारा गरीबों के हित को ध्यान में रखते हुए लिए गए विभिन्न फैसलों को जाता है। आज भारत दुनिया के सबसे बड़े स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम आयुष्मान भारत का नेतृत्व कर रहा है। 50 करोड़ से अधिक भारतीयों को कवर करते हुए आयुष्मान भारत गरीब और नव-मध्यम वर्ग को उच्च गुणवत्ता एवं सस्ती स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित कर रहा है। दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित स्वास्थ्य पत्रिकाओं में से एक लांसेट ने आयुष्मान भारत की सराहना करते हुए कहा है कि यह योजना भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े असंतोष को दूर कर रही है। पत्रिका ने सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज को प्राथमिकता देने के लिए पीएम मोदी के प्रयासों की भी सराहना की।
देश की वित्तीय धारा से दूर गरीबों को वित्तीय धारा में लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री जन-धन योजना शुरू की, जिसका उद्देश्य प्रत्येक भारतीय का बैंक खाता खोलना था। अब तक 35 करोड़ से अधिक जन-धन खाते खोले जा चुके हैं। इन खातों ने न केवल गरीबों को बैंक से जोड़ा, बल्कि सशक्तीकरण के अन्य रास्ते भी खोले हैं। जन-धन से एक कदम आगे बढ़ते हुए मोदी ने समाज के सबसे कमजोर वर्गों को बीमा और पेंशन कवर देकर जन सुरक्षा पर जोर दिया। JAM ट्रिनिटी (जन धन-आधार-मोबाइल) ने बिचौलियों को समाप्त कर दिया है और प्रौद्योगिकी के माध्यम से पारदर्शिता और गति सुनिश्चित की है।
असंगठित क्षेत्र से जुड़े 42 करोड़ से अधिक लोगों को अब प्रधानमंत्री श्रम योगी मान धन योजना के तहत पेंशन कवरेज मिली है। 2019 के चुनाव परिणामों के बाद पहली कैबिनेट बैठक के दौरान व्यापारियों के लिए समान पेंशन योजना की घोषणा की गई। 2016 में गरीबों को मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना शुरू की गई थी। यह योजना 7 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को धुआं मुक्त रसोई प्रदान करने में एक बड़ा कदम साबित हुई है। इसकी अधिकांश लाभार्थी महिलाएं हैं। आजादी के बाद से 70 वर्षों के बाद भी 18,000 गांव, जहां बिजली नहीं थी, वहां बिजली पहुंचाई गई है। मोदी का मानना है कि कोई भी भारतीय बेघर नहीं होना चाहिए और इस विजन को साकार करने के लिए 2014 से 2019 के बीच 1.25 करोड़ से अधिक घर बनाए गए हैं। 2022 तक प्रधानमंत्री के ‘हाउसिंग फॉर ऑल’ के सपने को पूरा करने के लिए घर के निर्माण की गति में तेजी आई है।
कृषि एक ऐसा क्षेत्र है, जो नरेंद्र मोदी के बहुत करीब है। 2019 के अंतरिम बजट के दौरान सरकार ने किसानों के लिए पीएम किसान सम्मान निधि के रूप में एक मौद्रिक प्रोत्साहन योजना की घोषणा की। 24 फरवरी 2019 को योजना शुरू होने के बाद लगभग 3 सप्ताह में नियमित रूप से किस्तों का भुगतान किया गया है। पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल की पहली कैबिनेट बैठक के दौरान इस योजना में 5 एकड़ की सीमा को हटाते हुए सभी किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि का लाभ देने का फैसला किया गया। इसके साथ ही भारत सरकार प्रति वर्ष लगभग 87,000 करोड़ रुपए किसान कल्याण के लिए समर्पित करेगी। मोदी ने सॉयल हेल्थ कार्ड, बेहतर बाजारों के लिए ई-नाम और सिंचाई पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने जैसी किसान कल्याण की दिशा में विभिन्न पहल शुरू कीं। 30 मई 2019 को प्रधानमंत्री ने जल संसाधनों से संबंधित सभी पहलुओं की देखरेख करने के लिए एक नया जल शक्ति मंत्रालय बनाकर एक बड़ा वायदा पूरा किया।
2 अक्टूबर 2014 को महात्मा गांधी की जयंती पर प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे देश में स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए ‘स्वच्छ भारत मिशन’ शुरू किया। इस जन आंदोलन का बड़े पैमाने पर ऐतिहासिक प्रभाव पड़ा है। 2014 में स्वच्छता कवरेज 38% थी, जो आज बढ़कर 99% हो गई है। कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया गया है। स्वच्छ गंगा के लिए पर्याप्त उपाय किए गए हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्वच्छ भारत मिशन की सराहना की और कहा कि इससे 3 लाख लोगों की जान बच सकती है। मोदी का मानना है कि परिवहन परिवर्तन की दिशा में एक महत्वपूर्ण साधन है। इसीलिए भारत सरकार हाई-वे, रेलवे, आई-वे और वॉटर-वे के रूप में अगली पीढ़ी के बुनियादी ढांचे को बनाने के लिए काम कर रही है। UDAN (उड़े देश के आप नागरिक) योजना ने उड्डयन क्षेत्र को लोगों के अधिक अनुकूल बनाया है और कनेक्टिविटी को बढ़ावा दिया है।
पीएम मोदी ने भारत को अंतरराष्ट्रीय विनिर्माण पावर हाऊस में बदलने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ पहल शुरू की। इस प्रयास से परिवर्तनकारी परिणाम सामने आए हैं। उदाहरण के लिए 2014 में मोबाइल विनिर्माण इकाइयों की संख्या 2 थी जो 2019 में बढ़कर 122 हो गई है। भारत ने ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ में महत्वपूर्ण प्रगति की है। 2014 में भारत की रैंकिंग 142 थी, 2019 में यह 77 हो गई है। 2017 में संसद के एक ऐतिहासिक सत्र के दौरान भारत सरकार ने जीएसटी लागू किया, जिसने ‘वन नेशन-वन टैक्स’ के सपने को साकार किया। उनके कार्यकाल में भारत के समृद्ध इतिहास और संस्कृति पर विशेष ध्यान दिया गया। भारत में दुनिया का सबसे बड़ा स्टैच्यू ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ बनाया गया, जो सरदार पटेल को एक सच्ची श्रद्धांजलि है। इस स्टैच्यू को एक विशेष जन आंदोलन के माध्यम से बनाया गया था, जिसमें भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के किसानों के औजार और मिट्टी का इस्तेमाल किया गया था, जो ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की भावना को दर्शाता है।
प्रधानमंत्री मोदी को पर्यावरण से जुड़े मुद्दों से गहरा लगाव है। उन्होंने हमेशा से माना है कि हमें एक साफ और हरा ग्रह बनाने के लिए काम करना चाहिए। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी ने जलवायु परिवर्तन के अभिनव समाधान तैयार करने के लिए अलग जलवायु परिवर्तन विभाग बनाया। इस भावना को पेरिस में 2015 के COP21 शिखर सम्मेलन में भी देखा गया था, जहां पीएम मोदी ने पर्यावरण से जुड़े मुद्दों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जलवायु परिवर्तन से एक कदम आगे बढ़कर पीएम मोदी ने जलवायु न्याय के बारे में बात की है। 2018 में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के शुभारंभ के लिए कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष भारत आए थे। यह गठबंधन एक बेहतर ग्रह के लिए सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने का एक अभिनव प्रयास है। पर्यावरण संरक्षण के प्रति उनके प्रयासों को स्वीकार करते हुए प्रधानमंत्री मोदी को संयुक्त राष्ट्र के ‘चैंपियंस ऑफ अर्थ अवार्ड’ से सम्मानित किया गया।
जलवायु परिवर्तन ने हमारे ग्रह को प्राकृतिक आपदाओं से ग्रस्त कर दिया है। इस तथ्य के प्रति पूरी तरह से संवेदनशील होते हुए मोदी ने प्रौद्योगिकी की शक्ति और मानव संसाधनों की ताकत के उचित इस्तेमाल के रूप में आपदा के लिए एक नया विजन सांझा किया है । मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने 26 जनवरी 2001 को विनाशकारी भूकंप से तबाह हुए गुजरात को बदल दिया। इसी तरह उन्होंने गुजरात में बाढ़ और सूखे से निपटने के लिए नई प्रणालियों की शुरुआत की, जिनकी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा हुई। प्रशासनिक सुधारों के माध्यम से मोदी ने नागरिकों के लिए न्याय को हमेशा प्राथमिकता दी है। गुजरात में लोगों की समस्याओं को हल करने के लिए उन्होंने शाम की अदालतों की शुरुआत की। केंद्र में उन्होंने PRAGATI ((प्रो-एक्टिव गवर्नेंस एंड टाइमली इम्प्लीमेंटेशन) शुरू किया, जो विकास में देरी कर रही लंबित परियोजनाओं को शीघ्र पूरा करने के लिए एक कदम है।
मोदी की विदेश नीति की पहल ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की वास्तविक क्षमता और भूमिका को महसूस किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने सार्क देशों के सभी प्रमुखों की उपस्थिति में अपना पहला कार्यकाल शुरू किया और दूसरे की शुरुआत में बिम्सटेक नेताओं को आमंत्रित किया। संयुक्त राष्ट्र महासभा में उनके संबोधन की दुनियाभर में सराहना हुई। पीएम मोदी 17 साल की लंबी अवधि के बाद नेपाल, 28 साल बाद ऑस्ट्रेलिया, 31 साल के बाद फिजी और 34 साल बाद सेशेल्स तथा यूएई के द्विपक्षीय दौरे पर जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने। पदभार संभालने के बाद से मोदी ने UN, BRICS, SAARC और G-20 समिट में भाग लिया, जहां विभिन्न वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों पर भारत के विचारों को व्यापक रूप से सराहा गया।
प्रधानमंत्री को सऊदी अरब के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘किंग अब्दुलअजीज सैश’ से सम्मानित किया गया। मोदी को रूस के शीर्ष सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टले सम्मान’, फिलिस्तीन के ‘ग्रैंड कॉलर ऑफ द स्टेट ऑफ फिलिस्तीन’ सम्मान, अफगानिस्तान के ‘अमीर अमानुल्ला खान अवॉर्ड’, यूएई के ‘जायेद मेडल’ और मालदीव के ‘निशान इज्जुद्दीन’ सम्मान से सम्मानित किया गया है। 2018 में प्रधानमंत्री मोदी को शांति और विकास में उनके योगदान के लिए प्रतिष्ठित सियोल शांति पुरस्कार दिया गया। ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ मनाने के नरेंद्र मोदी के आग्रह को संयुक्त राष्ट्र में अच्छी प्रतिक्रिया मिली। पहले दुनियाभर में कुल 177 राष्ट्रों ने एक साथ मिलकर 21 जून को संयुक्त राष्ट्र में ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ के रूप में घोषित करने का प्रस्ताव पारित किया।
मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 को गुजरात के एक छोटे से शहर में हुआ था। वे ‘अति पिछड़ा वर्ग’ परिवार से आते हैं, जो समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों में से है। वह बेहद गरीब, लेकिन प्यार देने वाले परिवार में पले-बड़े हुए। जीवन की शुरुआती कठिनाइयों ने न केवल कड़ी मेहनत के मूल्य को सिखाया, बल्कि उन्हें आम लोगों के कष्टों से भी अवगत कराया। आम जन की गरीबी ने उन्हें बहुत कम उम्र में ही लोगों और राष्ट्र की सेवा में डूबने के लिए प्रेरित किया। अपने प्रारंभिक वर्षों में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के साथ काम किया, जो राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित एक राष्ट्रवादी संगठन है और बाद में राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर भारतीय जनता पार्टी के संगठन में काम करने के लिए खुद को राजनीति में समर्पित किया। मोदी ने गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एमए पूरा किया है।
नरेंद्र मोदी लोगों के नेता हैं और वे आमजन की समस्याओं को हल करने और उनके जीवन स्तर में सुधार करने के लिए समर्पित हैं। लोगों के बीच रहने, उनके साथ खुशियां सांझा करने और उनके दुखों को दूर करने से ज्यादा कुछ भी उनके लिए संतोषजनक नहीं है। जमीनी स्तर पर तो उनका लोगों के साथ एक मजबूत व्यक्तिगत जुड़ाव तो है ही, साथ ही साथ सोशल मीडिया पर भी उनकी मजबूत उपस्थिति है। उन्हें भारत के सबसे ज्यादा टेक्नो सेवी नेता के रूप में भी जाना जाता है। वह लोगों तक पहुंचने और उनके जीवन में बदलाव लाने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं। वह फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, साउंड क्लाउड, लिंक्डिन, वीबो और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर बहुत सक्रिय हैं।
राजनीति से परे नरेंद्र मोदी को लिखना पसंद है। उन्होंने कई कविता और कई किताबें लिखी हैं। वह अपने दिन की शुरुआत योग से करते हैं। योग उनके शरीर और दिमाग को मजबूत बनाता है और तेज गति चलने वाली दिनचर्या में शांति का भाव पैदा करता है।