पंजाब में भी कोरोना की दूसरी लहर की संभावना, रोजाना 30000 कोविड टेस्टिंग के आदेश

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मुख्य सचिव से सुपर स्पैशलिस्ट डॉक्टरों की सीधी भर्ती के लिए नियमों में संशोधन करने के लिए कहा

CHANDIGARH: पंजाब में कोरोना महामारी की दूसरी लहर आने की संभावनाओं के मद्देनजऱ पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने मंगलवार को स्वास्थ्य एवं मैडीकल शिक्षा विभागों को निर्देश दिए कि रोज़ाना के 30,000 कोविड टेस्टिंग करवाने का लक्ष्य बरकरार रखा जाए। इसके साथ ही उन्होंने मैडीकल स्टाफ की कमी को पूरा करने के लिए सुपर स्पैशलिस्ट डॉक्टरों की भर्ती के लिए नियमों में संशोधन करने के भी आदेश दिए।

राज्य में कोविड महामारी की स्थिति संबंधी समीक्षा करने के लिए बुलाई गई उच्च स्तरीय वर्चुअल मीटिंग की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव विनी महाजन को कहा कि सुपर स्पैशलिस्ट विभागों में भर्ती यकीनी बनाने के लिए नियमों में संशोधन पर काम किया जाए तो कोविड के खि़लाफ़ जंग किसी भी प्रकार ढीली न पड़ सके।

मुख्यमंत्री ने सम्बन्धित विभागों को निर्देश दिए कि बिना किसी ढील के रोज़ाना के न्यूनतम 25,000 आर.टी.-पी.सी.आर. और 5000 रैपिड एंटीजन टैस्ट किए जाने यकीनी बनाए जाएँ। उन्होंने कहा कि मामलों में आई मौजूदा गिरावट के बावजूद राज्य में दूसरी लहर के आने की संभावना से स्थिति गंभीर बनी हुई है। उन्होंने कोविड सुरक्षा और व्यावहारिक प्रोटोकॉल की सख्ती से पालना की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। उन्होंने डी.जी.पी. दिनकर गुप्ता को हिदायतें दीं कि मास्क न पहनने और सामाजिक दूरी पर अन्य नियमों का उल्लंघन करने वालों के खि़लाफ़ सख्ती की जाए।

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कोविड फैलाने की संभावना वालों पर ख़ास ध्यान केंद्रित करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारियों की नियमित तौर पर जांच होनी चाहिए और स्कूलों और कॉलेज खुलने से यह ज़रूरी है कि सही तरह से समय सारणी बनाई जाए और टेस्टिंग के लिए मोबाइल टीमों की संख्या बढ़ा दी जाए।

राज्य में उच्च मृत्यु दर पर चिंता ज़ाहिर करते हुए मुख्यमंत्री ने डॉ. के.के. तलवाड़ के नेतृत्व वाली डॉक्टरों की माहिर टीम को समस्या से निपटने के लिए प्रभावशाली रणनीति तैयार करने के लिए कहा जो मुख्य तौर पर मरीज़ों के देर से दाखि़ले/इलाज, सह-रोगों, कुछ अस्पतालों में दवाओं के प्रयोग सम्बन्धी दिशा-निर्देशों की पालना की कमी, महारत और निगरानी सम्बन्धी रूप-रेखा की कमी के कारण है।

डॉ. तलवाड़ ने मुख्यमंत्री को राज्य में कोविड प्रबंधन सुविधाओं को मज़बूत करने के लिए उठाए गए कदमों से अवगत करवाया, जिसमें पी.जी.आई. की एक माहिर टीम द्वारा एल-3 सुविधाओं का मुल्यांकन भी शामिल है, जो मौजूदा समय में प्रगति अधीन है।

स्वास्थ्य सचिव हुसन लाल ने मीटिंग में बताया कि कुछ अस्पतालों से प्राप्त किए गए आंकड़ों से और पी.जी.आई. और एम्ज़ के माहिरों द्वारा किए गए विश्लेषण में सह रोग और ज़्यादा उम्र वाले मरीज़ों में ज़्यादा मृत्यु दर दिखाई गई थी, परन्तु यह आंकड़े अन्य कारकों को स्थापित करने के लिए अस्पष्ट थे।

हालाँकि राज्य में कुल मामलों की संख्या में कमी आई है, जबकि पिछले चार हफ़्तों में 11 जिलों रूपनगर, बठिंडा, एस.ए.एस. नगर, फरीदकोट, लुधियाना, जालंधर, मानसा, अमृतसर, मोगा, शहीद भगत सिंह नगर और संगरूर में पॉजि़टिविटी दर में वृद्धि हुई है। उन्होंने आगे बताया कि इस समय पर राज्य में 1600 मरीज़ घरेलू एकांतवास में हैं।

हुसन लाल ने बताया कि त्योहारों के मौसम के दौरान विभाग ने आई.ई.सी. गतिविधियों में वृद्धि हुई है, जिससे जल्द टेस्टिंग/प्रबंधन, मास्क पहनने, हाथ की सफ़ाई और सामाजिक दूरी बनाए रखने सम्बन्धी जागरूकता फैलाई जा सके।

सचिव चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान डी.के. तिवाड़ी ने कहा कि 11 अक्टूबर से पंजाब में पॉजि़टिविटी दर 2 प्रतिशत से नीचे रही है। उन्होंने आगे कहा कि मौतों की संख्या के मामलों में कोविड के कारण 1 से 7 नवंबर तक रिपोर्ट की गई कुल मौतों में 82.4 प्रतिशत सह-रोग वाले और 35 प्रतिशत मौतें 60 साल से अधिक उम्र के व्यक्तियों की हुई हैं।


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