किसानों और उनके समर्थन में उठ रही हर आवाज को दमनकारी हथकंडों से कुचलना चाहती है सरकारः हुड्डा
CHANDIGARH: ‘किसान अधिकार दिवस’ पर आज अन्नदाता का समर्थन करने लिए सड़कों पर उतरे कांग्रेसजनों की गिरफ्तारी सरकार की तानाशाही को दिखाती है। सरकार किसानों और उनके समर्थन में उठ रही हर आवाज को दमनकारी हथकंडों से कुचलना चाहती है। यह कहना है हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। हुड्डा आज कांग्रेस प्रदेश प्रभारी विवेक बंसल, प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा, पार्टी महासचिव रणदीप सुर्जेवाला समेत सभी पार्टी विधायकों, पूर्व विधायकों, पूर्व मंत्री, वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ताओं के साथ राजभवन का घेराव करने निकले थे। इस दौरान पुलिस ने सभी नेताओं को हिरासत में ले लिया। कांग्रेस कार्यालय से राजभवन की तरफ पैदल मार्च करते हुए नेताओं को हिरासत में लेकर सेक्टर-3 थाने में ले जाया गया। जैसे ही पुलिस ने हुड्डा समेत कई नेताओं को छोड़ा तो उन्होंने फिर से राजभवन की तरफ पैदल मार्च शुरू कर दिया लेकिन राजभवन से ठीक पहले उन्हें दोबारा हिरासत में ले लिया गया।
सरकार कितनी बार भी रोके, हिरासत में ले या गिरफ्तार करे, हम न रुकेंगे, न झुकेंगे
इस मौके पर मीडिया से बातचीत करते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि हम पहले दिन से तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ और किसानों के समर्थन में खड़े हैं। ये सरकार बेशक कितनी बार भी हमें हिरासत में ले या गिरफ्तार करें लेकिन हम ना रुकेंगे और ना ही झुकेंगे। हुड्डा ने कहा कि पार्टी की तरफ से पहले से तय कार्यक्रम के मुताबिक हमने आज राजभवन का घेराव किया। पुलिस ने राजभवन के चारों तरफ बैरिकेडिंग करके हमें रोकने का काम किया। कुल मिलाकर राजभवन के घेराव का हमारा कार्यक्रम सफल रहा लेकिन सरकार ने जिस तरह शांतिप्रिय प्रदर्शन को रोकने की कोशिश की है, वो निंदनीय है। पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए हुड्डा ने कहा कि हम पहले भी कई बार राज्यपाल से मिलने के लिए समय मांग चुके हैं। हम चाहते हैं कि विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाए और उसमें किसानों के मुद्दे पर चर्चा हो। हम सरकार के खिलाफ विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाना चाहते हैं। जिससे स्पष्ट हो सके कि कौन सा विधायक और पार्टी जनता के साथ है और कौन सरकार के साथ।
हुड्डा ने कहा कि देश का सबसे बड़ा वर्ग आज अपनी जायज मांगों को लेकर सड़कों पर है। सरकार ना सिर्फ इतने बड़े आंदोलन की अनदेखी कर रही है बल्कि वो किसानों की शहादत को भी नज़रअंदाज़ कर रही ही। ये उनकी शहादत का भी अपमान है। कड़कड़ाती ठंड और सत्ता की बेरूख़ी लगातार किसानों की जानें ले रही हैं। ऐसे गंभीर हालात में प्रदेश की विधानसभा में किसानों के हालात पर चर्चा की ज़रूरत है। जनप्रतिनिधि होने के नाते हमारा फ़र्ज़ बनता है कि हम अन्नदाता की आवाज़ को सदन में उठाएं। लेकिन सरकार सदन में चर्चा से कतरा रही है। सवाल उठता है कि अगर सरकार में सब ठीकठाक है तो वो सदन में चर्चा से क्यों भाग रही है ?