कवियों ने कविताओं से मां को याद किया

CHANDIGARH: राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक काव्य मंच चंडीगढ़ की ओर से आज मातृदिवस के अवसर पर ऑनलाईन काव्य गोष्ठी का आज आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रदीप गुप्ता, प्रदेशाध्यक्ष, महाराष्ट्र इकाई और कार्यक्रम की अध्यक्षता डाक्टर विनोद शर्मा सम्पादक चंडीभूमि ने की।

गोष्ठी का आयोजन चंडीगढ़ के अध्यक्ष मुरारी लाल अरोड़ा, संरक्षक प्रेम विज, उपाध्यक्षा नीरू मित्तल नीर, राष्ट्रीय महासचिव हरेंद्र सिन्हा की उपस्थिति में हुआ। मंच संचालन  नीरू मित्तल नीर ने और सरस्वती वंदना संगीता कुंद्रा ने प्रस्तुत की। प्रदीप गुप्ता ने कहा कि रचनात्मक क्षमताओं का आदान-प्रदान बहुत हीं जरूरी है। उन्होंने अपनी रचना “गाँव की बात” सुनाई।

“बहुत दिनों के बाद जब पहुंचा अपने गाँव,
न तो अब अमराई है, ना ही शीतल छांव।”

प्रेम विज ने “माँ ” पर बहुत हीं भावुक रचना सुनाई। “माँ बिना किसी स्वार्थ के छाया देती है।”
हरेंद्र सिन्हा ने “गौ सेवा” पर अपनी रचना सुनाई। मुरारीलाल अरोड़ा ने कविता “हे! मृत्युंजय हे! महाकाल अब तो समाधि छोड़ो” और नीरू मित्तल नीर ने अपनी कविता “जिंदगी की भागमभाग से थकी हुई, मां! तुम को याद कर रही हूं मैं” प्रस्तुत की।

उसके बाद अन्य उपस्थित विजय कुमार काजला, आभा साहनी, संगीता शर्मा कुन्द्रा, डा सरिता मेहता, रजनी पाठक, राशि श्रीवास्तव, रेखा कुमारी, सुनीता गर्ग, सागर सिंह भूरिया, शशि कान्त श्रीवास्तव, नीरजा शर्मा, प्रज्ञा शारदा, डाक्टर अनीश गर्ग, संजय मलहोत्रा, डेजी बेदी जुनेजा, बाल कृष्ण गुप्ता  ने अपने अपने गीत, गजल, कविताएं बहुत ही सुमधुर स्वर में सुनाईं ।

कार्यक्रम के अध्यक्ष डा बिनोद शर्मा ने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी का आभार व्यक्त किया। फिर उन्होंने अपनी एक कविता “माँ की ममता” सुनाई।

“भूलकर भी माँ का दिल न दुखाना, मुश्किल है कर्ज इनका चुका पाना।”

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