चंडीगढ़ ट्राइसिटी के कवियों ने डॉ. धर्मस्वरूप गुप्त को किया याद

सेक्टर-40 के कम्युनिटी सेंटर में आयोजित किया गया गीत-संगीत व कविता का कार्यक्रम

CHANDIGARH, 28 JULY: साहित्यकार स्व. डॉ. धर्मस्वरूप गुप्त की याद में सृजन एन इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिएटिविटी की ओर से सेक्टर-40 के कम्युनिटी सेंटर में गीत, संगीत तथा काव्य गोष्ठी का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस मौके पर मुख्य अतिथि वीरेंद्र रावत थे। कार्यक्रम का संचालन कवि अनिल चिंतक ने किया।

कार्यक्रम के आरंभ में डॉ. गुप्त के सुपुत्र व सृजन के अध्यक्ष सोमेश गुप्ता ने कहा कि वे संगीत कार्यक्रम के अलावा कविताओं, नाटकों तथा कला इत्यादि का कार्यक्रम भी करवाते हैं। सोमेश गुप्ता प्रसिद्ध गायक हैं, उनके टप्पे ‘कोठे ते आ माईया’ तथा ‘तेनू बेरिया दे झुण्ड चों बुलावा नी’ गीत से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। खादी सेवा संघ के अध्यक्ष केके शारदा ने कहा कि डॉक्टर धर्मस्वरूप गुप्ता साहित्य में बहुत सक्रिय रहे। कवयित्री डॉ. निर्मल सूद ने डॉ. धर्मस्वरूप के व्यक्तित्व और कृतित्व का परिचय देते हुए कहा कि वे एक कर्मठ शिक्षाविद और साहित्य को समर्पित रचनाकार थे। ‘कविता के आईने में चंडीगढ़’ उनकी चर्चित पुस्तक थी।

साहित्यकार प्रेम विज ने उनके साथ गुजरे समय को याद करते हुए कहा कि वे एक सफल प्राध्यापक और साहित्यकार थे। साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष रहते हुए उन्होंने साहित्य की प्रशंसनीय सेवा की। काव्य गोष्ठी में ट्राइसिटी के लगभग दो दर्जन कवियों ने भाग लिया। कवयित्री संतोष गर्ग ने कहा कि हमें माता के साथ-साथ अपने पिता को भी नहीं भुलाना चाहिए। डॉ. विनोद शर्मा ने कहा कि डॉ. गुप्त के कार्य सदा उनकी याद दिलाते रहेंगे। उन्होंने फौलादी नामक रचना प्रस्तुत करते हुए कहा कि जब मुसीबतें चारों ओर से घेरें, कोई साथ देने को न आए नेड़े, खुद को अकेला समझ हार न मानना, घाट-घाट की पड़े खाक छानना, भूल कर भी न टेकना घुटने।

कवि बालकृष्ण गुप्ता ने कहा कि मेरे बड़े भैया जन्म और कर्म दोनों में ही मुझसे बड़े थे। प्रेम विज ने नज़्म पेश करते हुए कहा कि आंख मूंद कर हर किसी पर भरोसा मत कीजिए. खुद के दांत भी काट देते हैं कभी-कभी। डॉ. प्रज्ञा शारदा ने कहा कि रिश्तों में मुनाफा हो ये ज़रूरी तो नहीं। विमला गुगलानी ने कहा कि समाज सेवा देश प्रेम में कमी न कोई। डॉ. सुशील हसरत नरेलवी ने ग़जल पेश करते हुए कहा कि दिल की बस्ती में जाना छोड़ दिया। दर्शन कुमार वसन ने ग़ज़ल के माध्यम से कहा कि जिंदगी पल के लिए भी अब तो मुस्कुराती नहीं। राजेश कुमारी ने कहा कि आओ योग को अपनाएं, गहना समझ कर गले लगाएं। अनीता गरेजा ने कहा कि संघर्ष भरी जिंदगी है आओ हंसी के लम्हे चुराते हैं, उदास तो सभी हैं, उनके चेहरे पर मुस्कान लाते हैं। डॉक्टर संगीता शर्मा, शैली, गुलशन भाटिया, डॉ. निर्मल सूद, अनिल शर्मा चिंतक, विनोद खन्ना आदि ने भी काव्य पाठ किया।

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