कवियों ने कविताओं से किया गणतंत्र का यशोगान: हम सब तुमको शीश नवाएं, मिट्टी से हम तिलक लगाएं

CHANDIGARH: संवाद साहित्य मंच और विद्या धाम यूएसए के संयुक्त तत्वावधान में गणतंत्र दिवस के अवसर पर ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस काव्य गोष्ठी में ट्राइसिटी के 21 कवियों और कवित्रियों ने भाग लिया। संवाद साहित्य मंच के अध्यक्ष प्रेम विज ने सभी का स्वागत और विद्या धाम की अध्यक्ष डॉ. सरिता मेहता ने प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।

कवियों ने कविताओं और गीतों के माध्यम से राष्ट्रीय प्रेम से ओतप्रोत और देशभक्ति गीत भारतीय सैनिकों को समर्पित कर गणतंत्र दिवस को देश प्यार में बदल दिया। इस काव्य गोष्ठी में डॉ. कैलाश अहलूवालिया, डॉ. अश्विनी शांडिल्य, विजेंदर सिंह चौहान, गुरदीप गुल, देवराज त्यागी, विमला गुगलानी, विमल कालिया, सुभाष शर्मा, संतोष गर्ग, सीमा गुप्ता, निम्मी वशिष्ठ, संगीता शर्मा कुंद्रा, विजय कपूर, हरेंद्र सिन्हा, अनिल शर्मा चिंतत, वीना ढींगरा, डॉ. विनोद शर्मा, प्रेम विज, नीरू मित्तल नीर और डॉ. सरिता मेहता ने भाग लिया।

अश्विनी शांडिल्य ने भारत माता की प्रशंसा करते हुए कहा- जो भारत मां के थे मस्तक, पंजाब केसरी की दस्तक, अंग्रेजों की छाती पर दी, चोट कसमसाती कर दी। प्रेम विज ने भारत माता का गुणगान करते हुए कहा -हम सब तुम शीश नवाएं, मिट्टी से हम तिलक लगाएं।

डॉ. विनोद शर्मा ने सैनिकों को याद करते हुए कहा -देश की सरहदों पर डटा वीर जवान, संभाल रहा बखूबी वीरता से कमान। नीरू मित्तल नीर ने गुरु संतो की महिमा का बखान करते हुए कहा – गौतम बुद्ध और महावीर की पावन धरा है। डॉ. सरिता मेहता ने शहीद सैनिकों को याद करते हुए कहा-चलो फिर से आज वो नजारे याद करते हैं, शहीदों के दिलों की ज्वाला महसूस करते हैं।

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