भाजपा के वेबिनार में बोले हरियाणा के पूर्व पुलिस महानिदेशक गुरजोत सिंह मल्ही
CHANDIGARH: ‘प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक’ विषय पर भारतीय जनता पार्टी चंडीगढ़ ने आज एक वेबिनार का आयोजन किया, जिसे हरियाणा के पूर्व पुलिस महानिदेशक गुरजोत सिंह मल्ही ने सम्बोधित किया। इस अवसर पर चंडीगढ़ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद, कार्यक्रम संयोजक शक्ति प्रकाश देवशाली सहित पार्टी के प्रमुख पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
वेबिनार को सम्बोधित करते हुए पूर्व पुलिस महानिदेशक गुरजोत मल्ही ने कहा कि प्रधानमंत्री को सुरक्षा प्रदान करना पूर्णतः राज्य सरकार का कार्य है और जैसा हाल ही में पंजाब में देखने को मिला, उसमें राज्य सरकार पूर्णतः विफल रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा व्यवस्था के लिए एक ‘ब्लू बुक’ होती है, जिसमें सुरक्षा किस प्रकार से प्रदान की जानी है और किस स्तर की सुरक्षा दी जानी है, विस्तृत रूप से लिखा होता है।
मल्ही ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब यात्रा ऑफिशियल यात्रा थी और जब भी कभी प्रधानमंत्री यात्रा करते हैं तो उनके आने-जाने के लिए केवल एक नहीं, बल्कि अतिरिक्त दो-तीन रूट बनाए जाते हैं। इतना ही नहीं, पूरे रास्ते में ‘सेफ हाउसेस’ भी निर्धारित किए जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान देखने को मिला कि न तो प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी और न ही पुलिस महानिदेशक उनके काफिले में थे। इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में प्रधानमंत्री का स्वागत करने वाले मंत्री भी उन्हें अकेला छोड़कर चले गए थे।
उन्होंने कहा कि जब भी प्रधानमंत्री के रास्ते में कोई बदलाव होता है तो स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप के अधिकारी पुलिस महानिदेशक से पूछकर और अनुमति मिलने पर ही निर्धारित रास्ते का प्रयोग करते हैं। यदि रास्ते में कोई रुकावट थी तो उनके काफिले को जाने की अनुमति क्यों दी गई। इसके अतिरिक्त एस्कॉर्ट ऑफिसर या वार्निंग कार को कोई सूचना क्यों नहीं दी गई।
मल्ही ने कहा कि पूरे मामले में ऐसा लगता है कि या तो उच्च अधिकारियों द्वारा समुचित सहायता नहीं दी गई या उचित आदेश नहीं दिए गए, वरना ऐसा नहीं हो सकता कि 150 लोग प्रधानमंत्री का रास्ता रोक सकें। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ने मामले की जांच के लिए जो दो सदस्यीय पैनल गठित किया है, उसमें भी कोई विशेषज्ञ नहीं है, जो तकनीकी रूप से मामले की जांच कर सके। उन्होंने कहा कि पूरे घटनाक्रम की जो पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज की गई है, उसमें भी बहुत हल्की धारा 283 आईपीसी लगाई गई है, जिसमें यदि आरोप सिद्ध भी होते हैं तो दोषियों पर केवल 200 रुपए जुर्माने का प्रावधान है।