दीवाली के पंच पर्वः 500 साल बाद 4 दिन में सिमट रहे हैं त्योहार

दीवाली पर वर्ष 1521 में बना था ग्रहों का ऐसा संयोग

ANews Office: वर्ष 2020 में सामाजिक जीवन के साथ-साथ धार्मिक गतिविधियों में भी अप्रत्याशित परिवर्तन हुए हैं। श्राद्ध के अगले दिन आरंभ होने वाले नवरात्र एक महीना आगे खिसक गए। चौमासा पंचमासा में बदल गया तो दीवाली के पंच पर्व भी अब 4 दिवसीय (13 नवंबर से 16 नवंबर-2020) हो गए हैं। यहां तक कि शरद् पूर्णिमा का ‘ब्लू मून’ भूकंप और सुनामी तक ले आया। अधिकांश त्योहारों को सार्वजनिक रुप से मनाने की बजाय सीमित स्थानों पर सीमित संसधानों से मनाना पड़ा। मास्क और सेनेटाइजर का उपयोग निरंतर करना पड़ रहा है। दीवाली तथा भाई दूज पर पटाखों, मिठाइयों व उपहारों के आदान- प्रदान पर भी एक अंकुश सा रहेगा। इस वर्ष दीवाली पर गुरु स्वराशि धनु, शनि भी अपनी मकर राशि में तथा शुक्र कन्या में होंगे। ऐसा दुर्लभ संयोग लगभग 500 साल पहले वर्ष 1521 में बना था। गुरु तथा शनि की स्थिति धन संबंधी कार्यकलापों, देश की आर्थिक स्थिति में सुधार होने के संकेत दे रहे हैं।

जैसे नवरात्र पर नौ दिन दुर्गा माता के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है, ठीक उसी भांति दीवाली के अवसर पर पंचोत्सव मनाने की परंपरा है। किस दिन क्या पर्व होगा और उस दिन क्या छोटे-छोटे कार्य व उपाय करने चाहिए, उसका दैनिक विवरण संक्षिप्त रूप में हम दे रहे हैं।

विभिन्न पर्वों पर शुभ मुहूर्त
12 नवंबरः
गुरुवार- गोवत्स द्वादशी
13 नवंबरः शुक्रवार- धन त्रयोदशी- धनवंतरि जयंती, हनुमान जयंती
14 नवंबरः शनिवार – चतुर्दशी, नरक चौदस
14 नवंबरः शनिवार – दीवाली
15 नवंबरः रविवार- गोवर्धन पूजा, अन्नकूट, विश्वकर्मा दिवस
16 नवंबरः सोमवार – यम द्वितीया-भाई दूज

धनतेरस पर क्या करें?

यह पर्व दीवाली के आगमन की सूचना देता है। 13 नवंबर को सायं 5.30 बजे से 7.30 बजे तक खरीदारी कर सकतेे हैं। प्रदोषकाल सायं 5.30 से 8 बजे तक रहेगा। वैद्य एवं चिकित्सक धन्वंतरि की पूजा-अर्चना कर सकते हैं। प्रातः प्रवेश स्थल व द्वार को धो दें और रंगोली बनाएं, वंदनवार, घर पर बिजली की झालर लगाएं। घर का सारा कूड़ा-करकट, अखबारों की रद्दी, टूटा-फूटा सामान, पुरानी बंद इलेक्ट्रॉनिक चीजें बेच दें। जाले साफ करें। नया रंग-रोगन करवाएं। आफिस व घर साफ करें। अपने शरीर की सफाई करें। तेल-उबटन लगाएं। पार्लर भी जा सकते हैं। पुराने बर्तन बदल कर नए लें। चांदी के बर्तन या सोने के जेवर खरीदें। नया वाहन या घर की कोई दीर्घ समय तक प्रयोग की जाने वाली नई चीज लें। खील-बताशे इसी दिन खरीदें। धान से बनी सफेद खीलें सुख, समृद्धि व संपन्नता का प्रतीक हैं। अतः इसे धनतेरस पर ही घर लाएं। इस दिन बाजार से नया बर्तन घर में खाली न लाएं, उसमें मिष्ठान या फल भरकर लाएं। धनतेरस की रात यदि आपको अपने घर में छिपकली दिख जाए तो समझें पूरा वर्ष शुभ रहेगा। इस दिन संयोगवश इसके दर्शन दुर्लभ होते हैं। सायंकाल मुख्य द्वार पर आटे का चौमुखी दीपक बनाकर चावल या गेहूं की ढेरी पर रखें। साथ में जल, रोली, गुड़, फूल, नैवेद्य रखें। इसे इस दिन से 5 दिन हर शाम जलाएं। व्यवसायी अपने बही-खाते, विद्यार्थी पुस्तकों आदि की पूजा करें। आरोग्य हेतु धन्वंतरि दिवस पर जरूरतमंदों को दवाई दान दें। नए या पुराने इलेक्ट्रॉनिक आयटम पर नींबू घुमाकर वीरान जगह फेंकें या निचोड़कर फ्लश में डाल दें। इस दिन नए कपड़े पहनने से पूर्व उन पर हल्दी या केसर के छींटे दें। नई कार या वाहन खरीदने पर उसके बोनट पर कुमकुम व घी के मिश्रण से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं, नारियल पर रोली से ओम् बनाकर वाहन के आगे फोड़ें और प्रसाद बांटें। पुराना फटा पर्स बदल दें, नया पर्स या बैग खरीदें। इसमें क्रिस्टल, श्री यंत्र, गोमती चक्र, कौड़ी, हल्दी की गांठ, पिरामिड, लाल रंग का कपड़ा, लाल लिफाफे में अपनी इच्छा/विश लिखकर रखें। लाल रेशमी धागे में गांठ लगाकर पर्स में रख लें। मनोकामना में विवाह की इच्छा या ऐसा ही कोई रुका कार्य या धन प्राप्ति आदि लिख सकते हैं।

किस राशि के लिए कैसा हो पर्स
मेष, सिंह, वृश्चिक व धनु राशि वाले लाल, पीला, नारंगी या भूरे रंग का पर्स या बैग रखें।
वृष, तुला, कर्क वाले सफेद, सिल्वर, गोल्डन, आसमानी रंग का पर्स या बैग रखें।
मकर व कुंभ राशि के लोग नीले, काले, ग्रे कलर का पर्स या बैग रखें।
मिथुन तथा कन्या राशि के जातक हरे रंग का पर्स या बैग खरीदें ।
इस दिन किसी को उधार न दें।

किस राशि वालों को इस दिन क्या करना चाहिए
मेष:
सोने का सिक्का, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, मोबाइल फोन, टीवी आदि खरीदें। लाल फल का दान करें।
वृष: गोल्ड क्वाइन, साबुत हल्दी, शिक्षा संबंधी उपकरण जैसे लैपटाप या कंप्यूटर ले सकते हैं।
मिथुनः फूड प्रोसेसर, मिक्सी, केसर, कलई किए बर्तन आदि लें।
कर्कः चांदी के बर्तन, मोती का हार या अंगूठी, मकान-वाहन का क्रय अत्यंत शुभ रहेगा। फ्रिज, वाटर प्योरिफायर या वाटर कूलर खरीदें।
सिंहः सोने के आभूषण या गोल्ड क्वाइन खरीदना धन वृद्धि करेगा। शहद, खजूर उपहार में दें।
कन्याः नया मोबाइल फोन, ब्रॉडबैंड कनेक्शन, टीवी तथा संचार संबंधी उपकरण, स्टील केे बर्तन, होम अप्लायंस खरीदें। क्रेडिट कार्ड से या ऋण लेकर कुछ न खरीदें।
तुलाः चांदी केे बर्तन, क्रॉकरी लें, परफ्यूम खरीदें, रियल एस्टेट में निवेश करें। हर तरफ से धन धान्य की प्राप्ति।
वृश्चिकः इलेक्ट्रॉनिक आयटम खरीदें। लाल रंग का एप्लायंस अच्छा रहेगा। तांबे केे बर्तन, डेेकोेरेशन पीस खरीदें।
धनुः लक्ष्मी जी का सोने का सिक्का या मूर्ति सामर्थ्यानुसार खरीदकर पूजा स्थान पर स्थापित करें।
मकरः प्रापर्टी से कुछ प्राप्त होगा। यदि वाहन या गृह उपयोगी बर्तन या बिजली के यंत्र खरीदना चाहें तो काले रंग के लें।
कुंभः लोहे की कढ़ाई, कुकर, वाहन, फ्रिज, टीवी आदि काले, नीले या ग्रे कलर का लें।
मीनः पूर्वनिर्मित मकान या फ्लैट की प्राप्ति। प्रापर्टी का बयाना देना। तांबे का बर्तन लें।

सांकेतिक फोटो।

रुप चतुर्दशी व नरक चतुर्दशीः इस दिन क्या करें?
सौन्दर्य लक्ष्मी की साधना करें। स्त्री-पुरुष दोनों कर सकते हैं। स्फटिक की माला से लक्ष्मी माता के चित्र या मूर्ति के आगे लाल वस्त्र पहनकर बैठें और इस मंत्र का जाप करें-
रूपं देहि जयं देहि सौन्दर्य लक्ष्मी।।
या दूसरा मंत्र
ओम् हृीं सौन्दर्य देहि कामेश्वराय ओम् नमः।।

नरक चतुर्दशी पर क्या करें?
घर का सारा कूड़ा-करकट, अखबारों की रद्दी, टूटा-फूटा सामान, पुरानी बंद इलेक्ट्रॉनिक चीजें बेच दें। जाले साफ करें।नया रंग-रोगन करवाएं। आफिस व घर को साफ करें। अपने शरीर की सफाई करें। तेल-उबटन लगाएं। पार्लर भी जा सकते हैं।

महालक्ष्मी पूजाः दीवाली पर क्या करें?

इस बार दीवाली का ज्योतिषीय महत्व
इस वर्ष दीवाली पर गुरु स्वराशि धनु, शनि भी अपनी मकर राशि में तथा शुक्र कन्या में होंगे। ऐसा दुर्लभ संयोग लगभग 500 साल पहले वर्ष 1521 में बना था। गुरु तथा शनि की स्थिति, धन संबंधी कार्यकलापों, देश की आर्थिक स्थिति में सुधार होने के संकेत दे रहे हैं।

घर की साफ-सफाई करें। प्रवेश द्वार पर घी और सिंदूर से ओम या स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं।
सायंकाल खील-बतासे, अखरोट,पांच मिठाई, कोई फल पहले मंदिर में दीपक जलाकर चढ़ाएं।
दीवाली वाले दिन मिट्टी या चांदी की लक्ष्मी जी की मूर्ति खरीदें।
एक नया झाड़ू लेकर किचन में रखें।
लक्ष्मी पूजन करें।
बहियों-खातों, पुस्तकों, पैन, स्टेशनरी, तराजू, कंप्यूटर या वो वस्तु, जिसे आप रोजगार के लिए प्रयोग करते हैं उनकी पूजा करें।

दिवाली-2020ः शुभ पूजन मुहूर्त

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: 14 नवंबर की शाम 5 बजकर 28 मिनट से शाम 7 बजकर 24 मिनट तक।

प्रदोषकाल मुहूर्त: 14 नवंबर की शाम 5 बजकर 28 मिनट से रात 8 बजकर 07 मिनट तक।

वृषभकाल मुहूर्त: 14 नवंबर की शाम 5 बजकर 28 मिनट से रात 7 बजकर 24 मिनट तक।

चौघड़िया मुहूर्त में करें लक्ष्मी पूजन-

दोपहर में लक्ष्मी पूजा मुहूर्तः 14 नवंबर की दोपहर 2 बजकर 17 मिनट से शाम को 4 बजकर 7 मिनट तक।

शाम को लक्ष्मी पूजा का मुहूर्तः 14 नवंबर की शाम को 05 बजकर 28 मिनट से शाम 07 बजकर 07 मिनट तक।

रात में लक्ष्मी पूजा का मुहूर्तः 14 नवंबर की रात 8 बजकर 47 मिनट से देर रात 1 बजकर 45 मिनट तक।

प्रात:काल में लक्ष्मी पूजा का मुहूर्तः 15 नवंबर को 5 बजकर 4 मिनट से 6 बजकर 44 मिनट तक।

देवी लक्ष्मी का पूजन प्रदोषकाल (सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त) में किया जाना चाहिए। प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में पूजन करना सर्वोत्तम माना गया है। इस दौरान जब वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुंभ राशि लग्न में उदित हों तब माता लक्ष्मी का पूजन किया जाना चाहिए। क्योंकि ये चारों राशि स्थिर स्वभाव की होती हैं। मान्यता है कि अगर स्थिर लग्न के समय पूजा की जाए तो माता लक्ष्मी अंश रूप में घर में ठहर जाती हैं।

महानिशीथ काल के दौरान भी पूजन का महत्व है लेकिन यह समय तांत्रिक, पंडित और साधकों के लिए ज्यादा उपयुक्त होता है। इस काल में मां काली की पूजा का विधान है। इसके अलावा वे लोग भी इस समय में पूजन कर सकते हैं, जो महानिशीथ काल के बारे में समझ रखते हों।

दीवाली पर लक्ष्मी पूजा की विधि

दीवाली पर लक्ष्मी पूजा का विशेष विधान है। इस दिन संध्या और रात्रि के समय शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी, विघ्नहर्ता भगवान गणेश और माता सरस्वती की पूजा-आराधना की जाती है। पुराणों के अनुसार कार्तिक अमावस्या की अंधेरी रात में महालक्ष्मी स्वयं भूलोक पर आती हैं और हर घर में विचरण करती हैं। इस दौरान जो घर हर प्रकार से स्वच्छ और प्रकाशवान हो, वहां वे अंश रूप में ठहर जाती हैं। इसलिए दीवाली पर साफ-सफाई करके विधि-विधान से पूजन करने से माता महालक्ष्मी की विशेष कृपा होती है। लक्ष्मी पूजा के साथ-साथ कुबेर पूजा भी की जाती है।

पूजन के दौरान इन बातों का ध्यान रखना चाहिए

दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन से पहले घर की साफ-सफाई करें और पूरे घर में वातावरण की शुद्धि और पवित्रता के लिए गंगाजल का छिड़काव करें। साथ ही घर के द्वार पर रंगोली और दीयों की एक शृंखला बनाएं।

पूजा स्थल पर एक चौकी रखें और लाल कपड़ा बिछाकर उस पर लक्ष्मी जी और गणेश जी की मूर्ति रखें या दीवार पर लक्ष्मी जी का चित्र लगाएं। चौकी के पास जल से भरा एक कलश रखें।

माता लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति पर तिलक लगाएं और दीपक जलाकर जल, मौली, चावल, फल, गुड़, हल्दी, अबीर-गुलाल आदि अर्पित करें और माता महालक्ष्मी की स्तुति करें।

इसके साथ देवी सरस्वती, मां काली, भगवान विष्णु और कुबेर देव की भी विधि-विधान से पूजा-अर्चना करें।

महालक्ष्मी पूजन पूरे परिवार को एकत्रित होकर करना चाहिए।

महालक्ष्मी पूजन के बाद तिजोरी, बही-खाते और व्यापारिक उपकरण की पूजा करें।

पूजन के बाद श्रद्धा अनुसार ज़रूरतमंद लोगों को मिठाई और दक्षिणा दें।

भाई दूज

पांचवें दिन यम द्वितीया, भाई दूज 16 नवंबर सोमवार को है। तिलक का मुहूर्त दोपहर 13.10 से 15.30 तक।
भाई दूज या यम द्वितीया पर क्या करें?
सुविधानुसार गंगा या यमुना में स्नान कर सकते हैं।
भाई की दीर्घायु के लिए पूजा-अर्चना व प्रार्थना करें।
भाई बहन के यहां जाए और तिलक कराए।
भ्राताश्री बहन के यहां ही भोजन करें। इस परंपरा से आपसी सौहार्द बढ़ता हैै। आपसी विवादों तथा वैमनस्य में कमी आती है।
भाई कोई शगुन, आभूषण या गिफ्ट बहन को दें।
बहन भी भाई को मिठाई और एक खोपा देकर विदा करें।

मदन गुप्ता सपाटू, 458, सैक्टर-10, पंचकूला, फोनः 9815619620

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