CHANDIGARH: चौथे मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल के आखिरी दिन रविवार को ‘मिलिटरी लीडरशिप फॉर द प्रेज़ेंट डे’ पर एक पैनल चर्चा आयोजित हुई। यह चर्चा कोविड-19 के मद्देनजर ऑनलाईन आयोजित की गई।
इस पैनल चर्चा का संचालन पंजाब के मुख्यमंत्री के वरिष्ठ सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल टीएस शेरगिल ने किया, जबकि लेफ्टिनेंट जनरल बलराज सिंह नगल, लेफ्टिनेंट जनरल डीडीएस संधू और एसीएम एनएके ब्राउन / एएम केके नोहवर ने भी भाग लिया और अपने विचार साझा किए।
लेफ्टिनेंट जनरल टीएस शेरगिल, जो पैनल चर्चा का संचालन कर रहे थे, ने महान सैन्य कमांडर अलेक्जेंडर द ग्रेट की कहानी का हवाला देते हुए एक सवालिया निशान खड़ा किया, जिसने अपनी व्यक्तिगत बहादुरी का उस समय प्रदर्शन किया जब सैनिक किले की दीवार पर चढऩे से डर रहे थे और घायल होने के बावजूद भी अपना हाथ खड़ा किया जो उसके सैनिकों को बताने के लिए पर्याप्त थे कि सब कुछ ठीक है और वे आगे बढ़ रहे हैं।
लेफ्टिनेंट जनरल शेरगिल ने सवाल किया कि आजकल, जब युद्ध के मैदान इतने विविध होते जा रहे हैं तो क्या ऐसी बहादुरी काम कर सकती है, क्या एक कमांडर द्वारा अपनी विशाल सेना के लिए अपनी निजी आकर्षण-शक्ति का प्रदर्शन करना संभव है, अपने सैनिकों में अपनी व्यक्तिगत बहादुरी का प्रदर्शन करके उनमें जोश और जज़्बा पैदा करना संभव है ताकि वे आगे बढ़ सकें।
लैफ्टिनैंट जनरल बलराज सिंह नगल ने विचार-विमर्श को आगे बढ़ाते कहा कि मिलिट्री लीडरशिप सैनिकों, उनके कामों, चरित्र और गुणों से सम्बन्धित है।
उन्होंने कहा कि एक अच्छा सैनिक नेता बनने के लिए पेशेवर ज्ञान, फैसला लेने, अखंडता, नैतिक दिलेरी, शरीरिक दिलेरी, देश, फौज और अपने आप के प्रति वफादारी, चरित्र, निर्णय लेने और संचार कौशल जैसे गुण जरूरी हैं।
इस मौके बोलते हुये एयर मार्शल किशन नोवर ने उन्होंने निजी गुणों और बौद्धिकता संबंधी विचार पेश किये जो एक फौजी नेता में होने चाहिएं। उन्होंने ऐतिहासिक महिला फौजी नेताओं जैसे झांसी की रानी और जोन आफ आर्क का भी जिक्र किया जिनमें तीखण बुद्धि और सुहिरदता जैसे गुण मौजूद थे। एयर मार्शल नोवर ने आगे बताया कि आपको अपने और आपके दुश्मनों की हथियार प्रणाली के बारे पूरा ज्ञान होना ही एक फौजी नेता के लिए बहुत महत्व रखता है। उसमें और गुण भी होने चाहिएं जैसे कि ईमानदारी, एकसारता, विश्वास की हिम्मत, भावनात्मक पक्ष की जाँच, राह से हटकर सोचने का सामथ्र्य जिससे किसी भी किस्म की स्थिति से निपटने लिए तैयार-बर-तैयार रहा जा सके।
आज के समय के पक्ष से एयर मार्शल नोवर ने आरटीफीशल इंटेलिजेंस इस्तेमाल करते हुये ड्रोन जैसे आधुनिक यंत्रों का प्रयोग की महत्ता पर जोर दिया। 1990 -91 में पहली खाड़ी युद्ध संबंधी बात करते हुये उन्होंने कहा कि प्रौद्यौगिकी का प्रयोग उस जंग में भली-भाँति जाहिर होती है क्योंकि इराकी सैनिकों ने एक रोबोट के आगे आत्म -समर्पण किया था। जो कि अपने आप में एक निवेकली घटना थी। उन्होंने आज के सैनिकों में पोस्ट ट्रॉमाटिक स्ट्रेस डिसआरडर (पी.टी.एस.डी) के बारे भी बात की।
लैफ्टिनैंट जनरल डी.डी.एस. संधू ने पिछली लड़ाई के बारे और भविष्य के दृश्यों पर ध्यान केंद्रित न करने वाली मिलिट्री लीडरशिप पर चिंता अभिव्यक्त की । उन्होंने कहा कि आज का दौर तकनीक का है, इसलिए आधुनिक समय यदि दुनिया में अपना अस्तित्व बनाये रखना है तो बदलती प्रौद्यौगिकी का साथी बनना लाजिमी है।
भारतीय सैनिकों के बारे बोलते हुये उन्होंने आगे कहा कि आजकल भारतीय सैनिक अच्छे पढ़े लिखे हैं और वह दशक पुराने फौजियों की अपेक्षा अलग हैं। उन्होंने जोर दिया कि आत्म-विश्वास को मजबूत करने के लिए फौजियों तक सैनिक लीडरशिप को पहुँच करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वफादारी, नैतिक हौसला, मौके के मुताबिक अपने आप को ढालना आदि गुण सैनिकों में होने जरुरी हैं। उन्होंने कहा कि यह गुण सिर्फ एक प्रभावशाली सैनिक लीडरशिप के साथ ही पैदा होते हैं