अपने 72वें जन्मदिवस पर मोदी ने किया भारत में चीतों का पुनर्वास, कूनो में 8 चीते छोड़कर खुद खींचे उनके फोटो, देखें वीडियो

पीएम बोले- यह दुर्भाग्य रहा कि 1952 के बाद चीतों के पुनर्वास के लिए दशकों तक कोई सार्थक प्रयास नहीं हुआ

Cheetah in India: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने आज मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में अफ्रीका के नीमीबिया से लाए गए 8 चीतों को छोड़ा। इसी के साथ भारत में 70 साल बाद चीतों की मौजूदगी उपलब्ध हो गई। खास बात यह है कि आज ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 72वां जन्मदिवस है। इस मौके पर पीएम मोदी (Modi) ने भारत में विलुप्त हो चुके चीतों का पुनर्वास करके देश को चीतों का नया परिवार दे दिया। इनमें पांच मादा और तीन नर हैं। कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए इन चीतों को लाने के लिए भारत सरकार ने नामीबिया से विशेष समझौता किया है।

30 दिन तक क्वॉरंटीन रहेंगे चीते
कूनो पहुंचने के बाद ये चीते 30 दिन तक क्वॉरंटीन रहेंगे। इस दौरान इन्हें बाड़े के अंदर रखा जाएगा। बाड़े में उनके स्वास्थ्य और अन्य गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी। सबकुछ ठीक रहा तो तीस दिन बाद सभी चीतों को जंगल में छोड़ दिया जाएगा। इन चीतों को रखने के लिए कूनो नेशनल पार्क को खास तौर पर तैयार किया गया है। इस अभयारण्य को करीब एक दशक पहले गिर के एशियाई शेरों को लाने के लिए तैयार किया गया था। हालांकि गिर से इन शेरों को कूनो नहीं लाया जा सका। स्थानांतरण की सारी तैयारियां यहां हुई थीं। शेर के शिकार के लिए संभल, चीतल जैसे जानवरों को भी कूनो में स्थानांतरित किया गया था। इस तरह से शेर के लिए की गई तैयारी अब चीतों के स्थानांतरण के वक्त काम आएंगी। कूनो के अलावा सरकार ने मध्य प्रदेश के ही नौरादेही वन्य अभयारण्य, राजस्थान में भैसरोडगढ़ वन्यजीव परिसर और शाहगढ़ में भी वैज्ञानिक आकलन कराया था। आकलन के बाद कूनो को चीतों के स्थानांतरण के लिए चुना गया। इन चीतों के लिए 2021-22 से 2025-26 तक के लिए 38.70 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है। हालांकि इसमें चीतों को लाए जाने का बजट भी शामिल है।

भारत की प्रकृतिप्रेमी चेतना पूरी शक्ति से जागृत हो उठी हैः मोदी
कूनो नेशनल पार्क में 8 चीतों को छो़ड़ने के बाद देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दशकों पहले जैव-विविधता की सदियों पुरानी जो कड़ी टूट गई थी, आज हमें उसे फिर से जोड़ने का मौका मिला है। आज भारत की धरती पर चीते लौट आए हैं और इन चीतों के साथ ही भारत की प्रकृतिप्रेमी चेतना भी पूरी शक्ति से जागृत हो उठी है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मैं हमारे मित्र देश नामीबिया और वहां की सरकार का भी धन्यवाद करता हूं, जिनके सहयोग से दशकों बाद चीते भारत की धरती पर वापस लौटे हैं। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्य रहा कि हमने 1952 में चीतों को देश से विलुप्त तो घोषित कर दिया गया लेकिन उनके पुनर्वास के लिए दशकों तक कोई सार्थक प्रयास नहीं हुआ।

चीतों के पुनर्वास के लिए जुट गया देश
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज आजादी के अमृतकाल में अब देश नई ऊर्जा के साथ चीतों के पुनर्वास के लिए जुट गया है। जब प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण होता है तो हमारा भविष्य भी सुरक्षित होता है। विकास और समृद्धि के रास्ते भी खुलते हैं। मोदी ने कहा कि कूनो नेशनल पार्क में जब चीते फिर से दौड़ेंगे तो यहां का पारिस्थितिकी तंत्र फिर से मजबूत होगा और जैव विविधिता बढ़ेगी।

चीतों को देखने के लिए देशवासियों को दिखाना होगा धैर्य
पीएम मोदी ने कहा कि कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए चीतों को देखने के लिए देशवासियों को कुछ महीने का धैर्य दिखाना होगा, इंतजार करना होगा। आज ये चीते मेहमान बनकर आए हैं, इस क्षेत्र से अनजान हैं। कूनो नेशनल पार्क को ये चीते अपना घर बना पाएं, इसके लिए हमें इन चीतों को भी कुछ महीने का समय देना होगा। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय गाइडलाइंस पर चलते हुए भारत इन चीतों को बसाने की पूरी कोशिश कर रहा है। हमें अपने प्रयासों को विफल नहीं होने देना है।

एशियाई शेरों की संख्या में हुआ इजाफा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे यहां एशियाई शेरों की संख्या में भी बड़ा इजाफा हुआ है। आज गुजरात देश में एशियाई शेरों का बड़ा क्षेत्र बनकर उभरा है। इसके पीछे दशकों की मेहनत, शोध आधारित नीतियां और जन-भागीदारी की बड़ी भूमिका है। टाइगर्स की संख्या को दोगुना करने का जो लक्ष्य तय किया गया था उसे समय से पहले हासिल किया है। असम में एक समय एक सींग वाले गैंडों का अस्तित्व खतरे में पड़ने लगा था, लेकिन आज उनकी भी संख्या में वृद्धि हुई है। हाथियों की संख्या भी पिछले वर्षों में बढ़कर 30 हजार से ज्यादा हो गई है। पीएम ने कहा, देश के इन प्रयासों का प्रभाव आने वाली सदियों तक दिखेगा, और प्रगति के नए पथ प्रशस्त करेगा।

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