इंटर्नल मेडिसिन के विश्वप्रसिद्ध एक्सपर्ट पिट्सबर्ग, यूएसए के डॉ. रवि गोडसे ने किए बड़े खुलासे
CHANDIGARH: भारत में अगर किसी को गले में खराश, जुखाम, खांसी, बुखार हो तो ओमिक्रोन होने का ही अंदेशा है, लेकिन इससे घबराएं न। ओमिक्रॉन बेहद माइल्ड है और इसका आसानी से सामना करें। ये कहना है इंटर्नल मेडिसिन के विश्वप्रसिद्ध एक्सपर्ट और पिट्सबर्ग, यूएसए बेस्ड डॉ.रवि गोडसे का। सोमवार को डॉ.गोडसे ने चंडीगढ़ के डॉ.एचके खरबंदा के साथ ओमिक्रॉन के लक्षण और इसके प्रभाव पर चर्चा की। डॉ.गोडसे ने सलाह दी कि जेनेटिक एनालिसिस न करें, यदि आपमें लक्षण नहीं है या फिर रिस्क फैक्टर नहीं है तो बिना टेस्टिंग के इलाज कर कर सकते हैं। आरटीपीसी आर भी वही है, वैक्सीन भी वही है और बूस्टर भी वही है।
डॉ. खरबंदा ने उनसे पूछा कि आजकल सबके मन में है कि अगर कोई कोरोना पॉजीटिव है तो वह डेल्टा है या ओमिक्रोन है। इस पर डॉ.गोडसे ने जवाब दिया कि ये सोच के क्या करेंगे, आज के समय में सब ओमिक्रोन ही है व ओमिक्रोन बहुत ही माइल्ड ही है। इसमें कुछ करने की जरूरत नहीं है यदि आपने वैक्सीन के दो डोज लिए हैं और आपको पहले डेल्टा भी हुआ था तो इस बार अस्पताल जाने की जरूरत 81 परसेंट कम पड़ेगी।
उन्होंने कहा की इस बार सिर्फ हाई रिस्क लोगों को ही अस्पताल जाने की जरूरत पड़ सकती है, क्योंकि ओमिक्रोन मामूली है। आज के समय में किसी खास इलाज की आवश्यकता नहीं है। डॉ.गोडसे ने कहा कि जो व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी पर दवाओं की लिस्ट फारवर्ड हो रही है, इसकी कोई आवश्यकता नहीं है। सिर्फ हाई रिस्क लोगों में जल्दी से रोज दो डोज रेमडेसीवीर तीन दिन दिया जा सकता है। यदि आज के समय में आपको लक्षण हैं तो टेस्ट पॉजिटिव आएगा ही लेकिन कुछ भी करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसलिए घबराहट की बात नहीं है, बिना डरे इस मामूली ओमिक्रोन का आसानी से सामना करें । डॉक्टर गोडसे ने कहा कि किसी भी रूटीन दवाइयों की कोई स्टडी नहीं है कि वह ओमिक्रोन पर असर करती हैं या नहीं। इसलिए किसी भी दवाई की आवश्यकता नहीं है सिर्फ लक्षणों की दवा देने की ही आवश्यकता है। लक्षणों के दिन भरपूर आराम करें व तरल पदार्थों की मात्रा अधिक रखें।