CHANDIGARH: राज्य में बेरोजग़ार रजिस्टर्ड फार्मासिस्टों की बढ़ रही संख्या को ध्यान में रखते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने ड्रग लाइसेंसों को मंज़ूरी देने सम्बन्धी नीति में बदलाव करके बेरोजग़ार नौजवानों को स्व-रोजग़ार मुहैया करवाने का फ़ैसला किया है।
यहाँ जारी एक पै्रस बयान में इस सम्बन्धी जानकारी देते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री स. बलबीर सिंह सिद्धू ने बताया कि निर्धारित तज़ुर्बा रखने वाले रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट अब संशोधित नीति के अंतर्गत ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कैमिस्ट की दुकान खोलने के लिए ड्रग लाइसेंस की मंज़ूरी के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा वैटरनरी ड्रग्ज़, मैडीकल उपकरणों, डैंटल मटीरियल, डायग्नोस्टिक किटों और रीएजैंट्स, इमप्लांट्स, सर्जीकल वस्तुएँ और सुपर डिस्ट्रीब्यूटरों की बिक्री के लिए लाइसैंसों की भी आज्ञा दी गई है।
स. सिद्धू ने आगे कहा कि इसके साथ ही शर्तों में बदलाव करके ड्रग लाइसैंसों की मंज़ूरी के लिए कुछ विशेष बदलाव भी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि नए ड्रग लाइसेंस के लिए एप्लीकेशनज़ पंजाब सरकार के बिजऩेस-फस्र्ट पोर्टल के सिंगल विंडो सिस्टम के द्वारा ऑनलाइन दी जाएंगी।
स. सिद्धू ने बताया कि पंजाब सरकार ने अब ड्रग्ज़ कंट्रोल अफसरों की संख्या 60 तक बढ़ाकर एफडीए को काफ़ी हद तक मज़बूत किया है।
कैबिनेट मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने दवाओं की जाँच सम्बन्धी सुविधाओं में काफ़ी बदलाव किए हैं और खरड़ में एक अत्याधुनिक ड्रग टेस्टिंग लैबोरेट्री स्थापित की है, जो उच्च स्तरीय उपकरणों और यंत्रों से लैस है, जिससे पंजाब के लोगों को अच्छी गुणवत्ता की दवाएँ मुहैया करवाई जा सकें।
उन्होंने आगे कहा कि कुछ मामलों में दवाओं के मैडीकल प्रयोग की ज़रूरत को समझते हुए छूट दी गई है और आदत डालने वाली दवाओं की बिक्री पर सख़्त नियंत्रण रखने के लिए 8 किस्मों की दवाएँ जैसे कि कोडीन, डैकस्ट्रोप्रोपोकसीफेन, डाईफैनोकजाईलेट, नाईट्राजीपम, बुपरीनौरफाइन, पैंटाजोसीन, ट्रामाडोल और टेपैंटाडोल के भंडार पर भी पाबंदी लगाई गई है।