CHANDIGARH: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में सेवा सप्ताह मनाकर चुकी भारतीय जनता पार्टी ने अब भाजपा के संस्थापक सदस्य, पार्टी के स्तम्भ स्वर्गीय पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के उपलक्ष्य में आत्मनिर्भर सप्ताह की शुरुआत की है। इस अवसर पर भाजपा ने सेक्टर-33 स्थित पार्टी कार्यालय कमलम में एकात्म मानववाद विषय पर संवाद का वर्चुअल और फिजिकल स्तर पर आयोजन किया। इसमें भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री राम माधव विशेष तौर पर उपस्थित हुए।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती मनाई
पार्टी के चंडीगढ़ प्रदेश महामंत्री और कार्यक्रमों के संयोजक चन्द्र शेखर ने बताया कि 2 अक्तूबर तक चलने वाले आत्मनिर्भर सप्ताह के पहले दिन पार्टी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर बूथ स्तर तक अपने-अपने घरों में उनके चित्र के आगे पुष्प अर्पित किए। 597 बूथों पर पार्टी का ध्वज लहराया गया और बूथ स्तर तक के सभी पदाधिकारियों ने अपने घरों में पार्टी के चिन्ह वाली अपने नाम की प्लेट भी लगाई।
एकात्म मानववाद संवाद कार्यक्रम में पहुंचे राम माधव
आत्मनिर्भर सप्ताह की शुरुआत के मौके पर एकात्म मानववाद संवाद के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय महामंत्री राम माधव का पार्टी कार्यालय आगमन पर चंडीगढ़ प्रदेशाध्य्क्ष अरुण सूद और कार्यक्रम संयोजक प्रदेश महामंत्री चन्द्र शेखर ने भव्य स्वागत किया। अरुण सूद ने कहा कि हमारा सौभाग्य है कि हम उस पार्टी के सिपाही हैं, जिनके संस्थापकों ने अपनी दूरदृष्टि से नए भारत को लेकर अपने आदर्शों, विचारों और राष्ट्रहित निर्णय हेतु अपने प्राण न्योछावर कर इसकी नींव डाली थी। उसी नींव की परिकाष्ठा पर वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा और सम्पूर्ण केन्द्रीय नेतृत्व व मोदी सरकार का मंत्रिमंडल नए भारत के निर्माण की ओर अग्रसर है।
पंडित जी सैद्धांतिक नहीं, बल्कि आस्था के स्वरूप में लेते थे एकात्म मानववाद को
उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद पर विचारों और उनके महत्व पर प्रकाश डालते हुए राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने कहा कि पंडित जी एकात्म मानववाद को सैद्धांतिक स्वरूप में नहीं बल्कि आस्था के स्वरूप में लेते थे। व्यक्ति की आत्मा को सर्वोच्च स्थान पर रखने वाले उनके सिद्धांत में आत्म बोध करने वाले व्यक्ति को समाज का शीर्ष माना गया। आत्म बोध के भाव से उत्कर्ष करता हुआ व्यक्ति सर्वे भवन्तु सुखिन: के भाव से जब अपनी रचना धर्मिता और उत्पादन क्षमता का पूर्ण उपयोग करें तब एकात्म मानववाद का उदय होता है। उन्होंने कहा कि पाश्चात्य का भौतिकवादी विचार जब अपनी चरम सीमा की ओर बढऩे की अवस्था में था तब पंडित जी ने अपने इस प्रकार के विचारों को सभी के सम्मुख रखकर वस्तुत: पश्चिम से वैचारिक युद्ध का शंखनाद था। उन्होंने निर्भरता के इस कोरे शब्दों वाले सिद्धान्त में मानववाद नामक आत्मा की स्थापना की। इसमें से भौतिकवाद के जिन्न को बाहर ला फेंका। पंडित जी किसी भी समाज या देश की सम्पूर्णता तभी मानते थे जब समाज के गरीब, वंचित, पीडि़त, दलित और पंक्ति के अंत में खड़े व्यक्ति तक वह सभी लाभ पहुंचे जो समाज के उच्च व कुलीन वर्गों के लिए ही उपलब्ध हैं। राम माधव ने कहा कि यद्यपि उनकी आकस्मिक मृत्यु से विश्व की राजनीति उस समय उनके इस प्रयोग के कार्यरूप देखने से वंचित रह गई तथापि सिद्धांत रूप में तो वे उसे स्थापित कर ही गए थे। उनके सिद्धांत के एक शब्द एकात्म में प्राण स्थापित करता है। मानववाद अपनी नम्रता से प्राणमय उत्पादित कर राष्ट्र को समर्पित भाव से अर्पित कर दे और स्वयं भी सामंजस्य और परिवार बोध से उपभोग करता हुआ विकास पथ पर अग्रसर रहे।
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