कहा- पंजाब के किसान देश विरोधी नहीं, वह अपनी रोजी-रोटी के लिए लड़ रहे
राष्ट्रीय सुरक्षा और खाद्य की स्थिति संबंधी अवगत करवाने के लिए मिलना चाहते थे राष्ट्रपति से
CHANDIGARH: पंजाब के किसानों खि़लाफ़ के ‘राष्ट्र विरोधी’ होने के लगाऐ दोषों को सिरे से रद्द करते हुये पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आज कहा कि वह दिल्ली में केंद्र के साथ टकराव करने नहीं आए बल्कि गरीब किसानों के लिए इन्साफ की लड़ाई लडऩे हेतु आए हैं जिनकी रोज़ी-रोटी केंद्रीय खेती कानूनों के कारण खतरे में पड़ी हुई है।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा, ‘हम यहाँ शान्ति भंग करने नहीं बल्कि इसकी सुरक्षा करने के लिए आए हैं।’ मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने और पंजाब के अन्य विधायकों को दिल्ली की तरफ कूच करने के लिए मजबूर किया गया क्योंकि राष्ट्रपति ने उनको मिलने के लिए की गई अपील को यह आधार बनाते हुये रद्द कर दिया कि राज्य के खेती संशोधन बिल अभी भी राज्यपाल के पास पड़े हैं।
उन्होंने बताया कि चाहे उनका पहला प्रोग्राम राजघाट में क्रमवार धरना देने का था परन्तु बाद में इस को जंतर-मंतर में शिफ्ट करना पड़ा क्योंकि दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रपिता की यादगार में धारा 144 लगा दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह जानते हैं कि राज्यपाल ने अभी भी बिल आगे नहीं भेजे और यहां तक कि इस मामले में राज्यपाल ने कोई भूमिका भी अदा नहीं करनी। इस कारण वह राष्ट्रीय सुरक्षा और खाद्य सुरक्षा संबंधी पंजाब की चिंताएं ज़ाहिर करने के लिए राष्ट्रपति को मिलना चाहते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय और खाद्य सुरक्षा के मुद्दों संबंधी राष्ट्रपति के प्रमुख को अवगत करवाना उनकी ड्यूटी बनती है। उन्होंने उम्मीद ज़ाहिर की कि राष्ट्रपति, समकालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की तरफ से पैदा की मिसाल के अनुसार इनको सहमति के देंगे जिन्होंने अरुण जेतली के सुझाव पर धारा 254 (द्बद्ब) के अंतर्गत भाजपा के शासन वाले राज्यों की तरफ पास किये बिल को मंज़ूरी दे दी गई थी।
मुख्यमंत्री जंतर-मंतर में विधायकों के धरने को संबोधन कर रहे थे जहाँ वह राज्य के कांग्रेसी संसद सदस्यों के साथ राजघाट में श्रद्धा के फूल भेंट करने के बाद पहुँचे थे। मुख्यमंत्री ने उम्मीद अभिव्यक्त की कि केंद्र सरकार पंजाबियों की तरफ से दशकों से बलिदानों की पृष्टभूमि में जाकर पंजाब और इसकी समस्याओं को विचारेगी। उन्होंने पंजाब के किसानों के देश विरोधी गतिविधियों को अपनाने के सुझाव को रद्द करते हुये कहा कि खेती कानूनों के खि़लाफ़ किसान आंदोलन पूरी तरह शांतमयी है।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि पंजाबी सरहदों पर तैनात हैं जो बहुत कठिनता से हालत में मुल्क के लिए लड़ते रहे हैं और मुल्क की सुरक्षा यकीनी बनाने के लिए उनका ख़ून भी बहा है।
उन्होंने कहा कि पंजाब का कोई भी नागरिक किसी भी देश विरोधी गतिविधि में शामिल होने संबंधी सोच भी नहीं सकता। उन्होंने फिर खबरदार करते हुये कहा कि किसी भी सरकार की तरफ से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने या लोगों की रोज़ी-रोटी को लात मारने जैसा कदम उठाने से गुस्सा और रोष पैदा होना स्वाभाविक है।
उन्होंने कहा कि किसान इस कारण प्रदर्शन कर रहे हैं क्योंकि नये केंद्रीय कानून जहाँ उनको तबाह कर देंगे, वहीं उनके बच्चों के मुँह में निवाला छीन लेंगे। उन्होंने कहा, ‘हम सभी मुल्क के लिए अपना ख़ून देने के लिए तैयार हूँ जैसे कि पंजाबी सदा ही करते आए हैं।’
मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी कि किसानों के मसलों को हल करने में असफलता बेचैनी का कारण बनेगी, जिसको देखते हुये चीन और पाकिस्तान दोनों देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को नुक्सान पहुँचाने की कोशिश करेंगे।
उन्होंने केंद्र से अपील की कि वह छोटे और सीमांत किसानों की दुर्दशा को देखें जो पंजाब के किसानी भाईचारे का 75 प्रतिशत हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री होने के नाते, वह सरहदों पर होने वाले खतरों से अवगत हैं, जिसमें पाकिस्तान आतंकवादियों और गैंग्स्टरों के लिए हर रोज़ 1-3 ड्रोनें के द्वारा नशों और हथियारों की तस्करी करता है। उन्होंने आगे कहा कि यदि पंजाब में मुश्किलें सामने आऐंगी तो पूरे देश की सुरक्षा दांव पर लग जायेगी।
रेलवे की तरफ से राज्य में माल गाड़ीयाँ न चलाने के फ़ैसले के कारण पंजाब को पेश मुश्किलों बारे रौशनी डालते हुए मु यमंत्री ने कहा कि गलत जानकारी फैलाने के उलट, इस समय सिफऱ् दो स्थानों पर रेलवे लाईन पर रोक लगाई गई है, जो मु य लाईन से बाहर हैं और दो निजी प्लांटों के साथ जुड़े हुए हैं।
उन्होंने कहा कि किसान कार्पोरेटों के साथ लड़ रहे हैं, इसी कारण वह इन दोनों ट्रैकों पर स्पलाई की आज्ञा नहीं दे रहे। उन्होंने आगे कहा कि अन्य सभी लाईनें खुली हुई हैं। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि
उन्होंने रेलवे मंत्री पीयूष गोयल के साथ बातचीत की थी और उनको भरोसा भी दिलाया था कि माल गाड़ीयों की आज्ञा देने में पंजाब पुलिस की तरफ से आर.पी.एफ. को स्टेशनों और रेल गाड़ीयों के साथ सुरक्षा बनाए रखने में सहायता की जायेगी।
केंद्र की तरफ से पंजाब में रेल गाड़ीयाँ चलाने की इजाज़त न देने के पीछे दिए गए तर्क पर सवाल उठाते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि यह फ़ैसला न सिफऱ् पंजाब, जहाँ कोयला और बिजली, अनाज और खाद के भंडार ख़त्म हो गए हैं, में ज़रूरी स्पलाई की यातायात में रुकावट पैदा कर रहा है बल्कि लद्दाख़ और कश्मीर में सशस्त्र बलों समेत दूसरे राज्यों में ज़रूरी स्पलाई की यातायात को प्रभावित कर रहा है।
मु यमंत्री ने अनुचित ढंग से थोपे खेती कानूनों बारे केंद्र की निंदा की जो किसानों और आढ़तियों के बीच नज़दीकी संबंधों के द्वारा अनाज उत्पादों के मंडीकरण की स्थापित प्रणाली को बर्बाद कर देंगे।
उन्होंने कहा कि देश की कुल आबादी के सिफऱ् 1.57 प्रतिशत हिस्से के साथ, पंजाब राज्य परखी हुई प्रणाली के हिस्से के तौर पर राष्ट्रीय खाद्य भंडार में 40 प्रतिशत योगदान दे रहा है, जिसको भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार कुछ कार्पोरेटों के लाभ के लिए ख़त्म करने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने कहा कि खेती कानून गरीब छोटे और सीमांत किसानों को विशेष तौर पर प्रभावित करेंगे, जो पंजाब के किसानी भाईचारे का 75 प्रतिशत हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि खुली मंडी प्रणाली आज भी मौजूद है और उन्होंने पंजाब के किन्नूओं का उदाहरण दिया जो कई दूसरे राज्यों में बेचे जा रहे हैं।
इससे पहले, ‘किसान विरोधी कानून वापस लो’, ‘मज़दूर-किसान एकता जि़ंदाबाद’ और ‘मोदी सरकार मुर्दाबाद’ के नारों के बीच पंजाब कांग्रेस के संसद मैंबर मनीष तिवारी और विधायक नवजोत सिंह सिद्धू, एल.आई.पी. के सिमरनजीत सिंह बैंस, एकता पार्टी के सुखपाल खैहरा और शिरोमणि अकाली दल (डेमोक्रेटिक) विधायक परमिन्दर सिंह ढींडसा ने भी केंद्र की पंजाब और किसान विरोधी कार्यवाही की कड़ी निंदा की।
सिद्धू ने रेल यातायात के निलंबन को भारत सरकार की ‘आर्थिक नाकाबंदी’ करार दिया और ढींडसा ने इस जंग को सफलतापूर्वक निष्कर्ष पर लेजाने के लिए ल बे संघर्ष का न्योता दिया।