कविता, गजल या गीत लिखना ही नहीं, इन्हें सुनना, महसूस करना भी एक कला है: प्रो. मानव

भाषा विभाग पंजाब और साहित्य संगम ट्राइसिटी ने किया काव्योत्सव का आयोजन

CHANDIGARH, 04 MARCH: भाषा विभाग पंजाब पटियाला और साहित्य संगम ट्राइसिटी द्वारा बहुभाषी कविता उत्सव का आयोजन किया गया। टेकचंद अत्री ने मंच संचालन करते हुए साहित्य संगम की पिछले चार दशक की बठिंडा-मोहाली-चण्डीगढ़ और जीरकपुर की गतिविधियों का संक्षिप्त परिचय दिया। विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए जिला भाषा अधिकारी डॉ. दविंदर बोहा ने अपने पद और विभागीय गतिविधियों की चर्चा करके सांस्कृतिक-साहित्यिक गतिविधि का शुभारम्भ किया।

इस अवसर पर छात्रों-छात्राओं को मुखातिब होते हुए अध्यक्ष पद से प्रो. फूलचंद मानव ने शिक्षा में प्रगति की सीढिय़ों का उल्लेख करके, इन्हें लगन, श्रम के साथ आगे बढऩे की प्रेरणा दी। कविता, ग़ज़ल या गीत लिखना ही नहीं, इन्हें सुनना, महसूस करना भी एक कला है। प्रो. मानव ने जोर दिया कि छात्रावस्था में कुछ सीखकर शिक्षार्थी भावी योजनाएं तय कर सकते हैं।

कवयित्री डा. राजिंदर कौर, डा. राजवंती मान, प्रो. योगेश्वर कौर, मनजीत इंदिरा, सुरजीत बैंस, संतोष गर्ग ने नारी सशक्तिकरण की दिशा में पंजाबी, उर्दू और हिंदी में ग•ाल, गीत और कविताएं प्रस्तुत करके काव्य पाठ की बानगी देते हुए सराहना अर्जित की। महेश शर्मा, गुरमान सैनी, जतिंदर प्रभजोत ककराली और सुधाकर प्रवीण के गायन और प्रस्तुतिकरण ने काव्योत्सव को मुखरित कर दिया कि करतल ध्वनि के साथ दर्शकों-श्रोताओं ने इन्हें दाद दी और ‘मुकरर्र’ कहते हुए इन्हें सुनना भी चाहा।

रंगकर्मी और चण्डीगढ़ संगीत नाटक अकादमी के पूर्व अध्यक्ष कमल अरोड़ा ने प्रमुख अतिथि के रूप में बोलते हुए कहा कि साहित्यिक गतिविधियों के कारण साहित्य संगम जैसी संस्थाए अपनी तरह का इतिहास बना रही है। अंत में संगम सचिव योगेश्वर कौर ने उपस्थित 60 सदस्यों को साहित्य संगम ट्राइसिटी की ओर से सबके प्रति धन्यवाद प्रकट किया।

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