कहा- सरकार की अनदेखी व घोटाले की प्रवृत्ति के चलते बर्बाद हुआ हजारों टन गेहूं
कांग्रेस में नहीं, बीजेपी में है भारी फूट, राव इंद्रजीत, कृष्णपाल गुर्जर, कई सांसद और नेता नहीं पहुंचे आदमपुर
CHANDIGARH, 11 NOVEMBER: हरियाणा में बीजेपी-जेजेपी गठबंधन की नहीं बल्कि घोटालों के गठबंधन की सरकार चल रही है। यह कहना है हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। हुड्डा आज चंडीगढ़ में पत्रकारों के सवालों के जवाब दे रहे थे। कई दिनों तक हिमाचल प्रदेश में चुनाव प्रचार करके लौटे हुड्डा ने दावा किया कि हिमाचल में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। क्योंकि चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने देखा कि प्रदेश में कांग्रेस उम्मीदवारों को जबरदस्त समर्थन मिल रहा है।
इस मौके पर प्रदेश के गोदामों में हजारों टन गेहूं खराब होने के मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इसे बड़ा घोटाला बताया। उन्होंने कहा कि जानबूझकर गेहूं के रखरखाव में गड़बड़ की गई है। इसकी वजह से लगभग 50 हजार टन गेहूं बर्बाद हो गया। यह अनाज करोड़ों लोगों के मुंह का निवाला बन सकता था। लेकिन सरकार की लापरवाही और घोटाले की प्रवृत्ति ने सब बर्बाद कर दिया।
हुड्डा ने इसके जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। साथ ही उन्होंने कहा है कि बीजेपी-जेजेपी सरकार से कार्रवाई की उम्मीद बेमानी हो गई है। क्योंकि इससे पहले भी शराब घोटाले, रजिस्ट्री, धान खरीद, बिजली मीटर, भर्ती और पेपर लीक समेत दर्जनों घोटालों में सरकार ने कोई कार्यवाही नहीं की। दिखावे के नाम पर एसआईटी बना दी जाती है जिसकी रिपोर्ट तक कभी सामने नहीं आती।
आदमपुर उपचुनाव के नतीजे पर संतुष्टि जाहिर करते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस ने मजबूती के साथ चुनाव लड़ा और जबरदस्त प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पूरी तरह एकजुट है जबकि बीजेपी के अंदर फूट नजर आ रही है। कांग्रेस के इक्का-दुक्का स्टार प्रचारक ही आदमपुर में नहीं पहुंचे। जबकि बीजेपी की तरफ से केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत, कृष्णपाल गुर्जर, कई सांसद और नेता आदमपुर नहीं पहुंचे।
पराली और प्रदूषण के मुद्दे पर हुड्डा ने दोहराया कि सरकार किसानों को पराली जलाने पर मजबूर कर रही है। सरकार ने बार-बार किसानों को पराली खरीदने और उसके निस्तारण के झूठे आश्वासन दिए। लेकिन हर सीजन में किसान असहाय नजर आते हैं। सरकार को पराली की समस्या के समाधान के लिए अपनी जिम्मेदारी को समझना होगा। सिर्फ किसानों के सिर पर ठीकरा फोड़ने से समाधान नहीं होगा।