कथित एससी वजीफा घोटाले और नूरपुर जमीन मामले में कोई अनियमितता नहीं मिली: कैप्टन

मुख्यमंत्री ने विपक्ष की ओर से मंत्रियों को निशाना बनाए जाने की आलोचना की, रुझान को बताया शर्मनाक


CHANDIGARH: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने विपक्ष द्वारा उनके मंत्रियों को निशाना बनाए जाने की कड़ी आलोचना करते हुए इस रुझान को शर्मनाक बताया है। बुधवार को विधानसभा में मुख्यमंत्री ने साफ़ कर दिया कि एस.सी. वज़ीफ़ा घोटाले और नूरपुर ज़मीन मामलों सम्बन्धी दोषों की जांच में कोई अनियमितता नहीं पाई गई।

उनके मंत्रियों और सरकार की छवि को खऱाब करने की विपक्ष की कोशिशों को आड़े हाथों लेते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पार्टियाँ अनावश्यक इल्ज़ाम लगाकर घटिया स्तर की राजनीति कर रही हैं।

मुख्यमंत्री विधानसभा के विशेष सत्र की कार्यवाही के दौरान दख़ल देकर अपनी बात कह रहे थे।मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि एस.सी. वज़ीफ़े के मुद्दे की जांच तीन अतिरिक्त मुख्य सचिवों द्वारा की जा चुकी है जिनको फंड के वितरण में कोई अनियमितता नहीं मिली।

उन्होंने आगे कहा कि विपक्ष द्वारा ऐसी मीडिया रिपोर्टों के आधार पर उनके मंत्रियों को निशाना बनाया जा रहा है जिनका कोई आधार नहीं है। शिरोमणि अकाली दल के विधायक पवन कुमार टीनू, विपक्ष के नेता हरपाल चीमा और लोक इन्साफ पार्टी के विधायक सिमरजीत सिंह बैंस ने आज सदन में यह मुद्दा उठाते हुए मंत्री साधु सिंह धर्मसोत के इस्तीफे की माँग की जिनको कि तीन आई.ए.एस. अधिकारियों की समिति द्वारा, जोकि कथित वज़ीफ़ा घोटाले की जांच के लिए बनाई गई थी, क्लीन चिट दे दी गई है।

नारेबाज़ी और शोरगुल के दौरान अकाली सदन के बिल्कुल बीच आ गए और स्पीकर राणा के.पी. सिंह ने आम आदमी पार्टी के विधायकों को बताया कि जब तक उनके द्वारा स्पीकर पर ज़ोर से चिल्लाने के लिए माफी नहीं माँगी जाती, तब तक उनको बोलने की इजाज़त नहीं दी जायेगी।

राजनैतिक लाभ लेने के लिए सदन की मर्यादा को भंग करने के विपक्ष के कुछ विधायकों द्वारा अपनाए जाते रुझान की तरफ इशारा करते हुए मुख्यमंत्री ने ऐसे व्यवहार की विधानसभा की परंपराओं पर पडऩे वाले प्रभाव संबंधी चिंता ज़ाहिर की।

यह बताने योग्य है कि एस.सी. वज़ीफ़ा घोटाले में 64 करोड़ रुपए की अनियमितताओं के इल्ज़ाम सामने आने के बाद मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव विनी महाजन को इस सम्बन्धी गहराई से जांच करवाने के निर्देश दिए थे।

खाद्य सचिव के.ए.पी. सिन्हा के नेतृत्व वाले तीन अफसरों के पैनल द्वारा दिए गए निष्कर्षों के आधार पर मुख्य सचिव की रिपोर्ट में मंत्री साधु सिंह धर्मसोत को क्लीन चिट दे दी गई थी।

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