नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने वायरस के खतरे, बूस्टर और मास्क पर दी सलाह

CHANDIGARH, 29 DEC: कोरोना बढ़ने की संभावना के बीच भारत सरकार अलर्ट मोड में काम कर रही है। अभी तक इस संबंध में कई अहम बैठक भी हो चुकी हैं। स्वयं पीएम मोदी भी इस पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं। वहीं दूसरी ओर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ जुड़े हुए हैं और लगातार अपडेट ले रहे हैं। इसी बीच भारत सरकार ने स्वास्थ्य अधिकारियों को कोविड से जुड़े तथ्य और सावधानी बरतने को कहा है। साथ ही साथ सरकार ने कोरोना के संबंध में लोगों को जागरूक करने को कहा है।कोविड से जुड़े तथ्य और सावधानी पर नीति आयोग के सदस्य वी.के. पॉल ने भी जरूरी जानकारी दी है। आइए विस्तार से जानते हैं इसके बारे में…

वर्तमान समय में कोविड की संभावनाओं के बीच करीब पौने 2 साल पहले की परिस्थिति और आज के समय की परिस्थिति में क्या अंतर देखते हैं ?

तीन साल पहले का जिक्र करते हुए नीति आयोग के सदस्य वी. के. पॉल बताते हैं कि कोरोना वायरस से एक नई बीमारी की शुरुआत हुई थी। वुहान जो चीन में एक बड़ा शहर है, वहां से ऐसी खबरें आनी शुरू हुई थी। बाद में यह धीरे-धीरे जनवरी-फरवरी तक बढ़ता गया और मार्च 2020 में WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) ने इसे ग्लोबल पैनडेमिक (वैश्विक महामारी) घोषित कर दिया था। उसके बाद पहली लहर, फिर दूसरी और फिर तीसरी लहर के साथ दुनिया के तमाम देशों मे यह फैलता गया। दुनिया का कोई भी देश इससे अछूता नहीं रह सका। हमारे देश ने भी बहुत दृढ़ता के साथ इस वैश्विक महामारी का सामना किया और इसे हराया। आज सभी जानते हैं कोरोना महामारी को हराने में वैक्सीन का बहुत रोल है। भारत में 220 करोड़ से अधिक कोविड रोधी टीकाकरण हो चुका है।

जब भी सर्दी शुरू होती है तो कोरोना इतना प्रभावी क्यों होता है ?

बहुत सारे वायरस हमारी श्वसन क्रिया को प्रभावित करते हैं। खासतौर से सर्दी के समय में इनका प्रकोप ज्यादा रहता है। ऐसे में इनका फ्लो भी सर्दी के समय में ज्यादा रहता है। वहीं बच्चों में एक RSV वायरस का प्रकोप होता है। दरअसल, सर्दी लगने से हमारे ब्लड वेसल्स संकुचित हो जाते हैं, लेकिन आप ये खयाल रखें कि जो कोविड आया है वो विंटर में थोड़ी टेंडेंसी दिखाता है लेकिन अगर हम ओवरऑल पिक्चर देखें तो ये गर्मीयों के मौसम में भी चलता था। यह भी एक फैक्ट है। ऐसे में कहा जरूर जाता है कि कोविड सर्दी में ज्यादा बढ़ता है या जहां ज्यादा सर्दी पड़ती है, उन जगहों पर इन महीनों में कोविड बढ़ता है, यह सही बात है। यह हमारे लिए एक चेतावनी भी है क्योंकि हम उसी मौसम से अब गुजर रहे हैं। ऐसे में हमें कोविड से निपटने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।

क्या कोरोना का असर शुगर के पेशेंट्स पर अधिक होता है ?

हमने अभी तक कोविड का जो एक्सपीरियंस नोट किया है कि जब कोविड प्रकोप बढ़ता है तो उसमें शुगर वाले मरीजों में सीरियस प्रॉब्लम होने के चांस बढ़ जाते हैं और बड़ी उम्र वालों में सीरियसनेस बढ़ जाती है। यदि किसी व्यक्ति को पहले की कोई सीरियस बीमारी है जैसे गुरदे की बीमारी या कैंसर तो ऐसे लोगों में कोविड का प्रकोप बढ़ जाता है, लेकिन यदि हमने प्रीकॉशन लिया हुआ है या वैक्सीन ली हुई है तो ऐसी स्थिति में कोरोना से बचाव होगा। यह बात जरूर है कि यह सीरियस डिजीज इस बीमारी में होती है। वहीं बच्चों में भी कोविड का प्रकोप होता है। पहले भी देखा गया कि बच्चे भी कोविड से अछूते नहीं रहे। लेकिन देखा गया कि बच्चों में सीरियस फॉर्म में जैसे निमोनिया को लेकर के बच्चों को अस्पताल में दाखिल करना पड़ा हो, ऐसे बहुत कम मामले सामने आए।

बूस्टर डोज लगवाना अनिवार्य है या नहीं ?

बूस्टर डोज जिसे हम प्रीकॉशन डोज भी कहते हैं, वो हम सभी को लगवानी है। प्रीकॉशन डोज यानि पहले हमने नंबर 1 वैक्सीन ली है फिर उसी की हमने सेकेंड डोज ली तो हमारा कोर्स पूरा हो गया, उसके बाद तीसरी डोज जो लगेगी उसे हम कहते हैं प्रीकॉशन डोज, इसे बूस्टर डोज भी कहा जाता है। याद रहे ये भारत सरकार के निर्णय, पॉलिसी और प्रोग्राम है कि 18 साल से ऊपर की उम्र वाले सभी लोगों को प्रीकॉशन डोज लगवानी चाहिए। वैज्ञानिकों का कहना है कि शुरुआती दो डोज का असर कुछ अरसे के बाद उसका असर कम हो जाता है। उनके असर को फिर से वापस लाने के लिए और कोरोना से लड़ने की ताकत को फिर से बनाने के लिए फिर हमें एक और बूस्टर या एक और इंजेक्शन देना पड़ता है। प्रिकॉशन डोज लेने के बाद हमारा कवच फिर से स्ट्रॉन्ग हो जाएगा। कोविड के बारे में अब जो बाते हो रही हैं उनके बीच यदि हमने प्रीकॉशन डोज ली होगी तो कोरोना का असर कम होगा और हमारे द्वारा दूसरों में भी इंफेक्शन नहीं फैलेगा।

क्या कोई नेजल वैक्सीन बना है ?

जी हां, नेजल वैक्सीन बन चुका है। इसकी मदद से लोगों को सुई से टीका लगाने की बजाए नाक में दवा के ड्रॉप डाल दिए जाएंगे। ये वैक्सीन हमारे देश ने ही विकसित किया है। यह देश की बड़ी उपलब्धी है और देश की कंपनी ही इस नेजल वैक्सीन का निर्माण भी कर रही है। कुछ दिनों में यह वैक्सीन मार्केट में भी आ जाएगा।

नेजल वैक्सीन, कोविशिल्ड और कोवैक्सीन से कैसे अलग है ?

टीका हमारी मासपेशियों में लगता है, चाहे वो कोवैक्सीन हो या कोविशिल्ड। लेकिन नेजल वैक्सीन मासपेशियों में न लगकर नांक में दवा की बूंदे डाली जाती हैं। सबसे पहले ये अलग है। दूसरा इसके जो गुण है जिसके बेस पर यह बना है वह अपनी है तरह का वैक्टर है। किसी तरह से ये मिलता-जुलता है एस्ट्राजेनिका कोविशिल्ड वैक्टर से मिलता है। हमें उस तरह जाने की जरूरत नहीं है। इसे प्रभावी बनाने के लिए जो रिसर्च एंड डेवलपमेंट हुए हैं वह अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है।

कोरोना का अभी जो वायरस आया है क्या वो पुराने वायरस से भिन्न है ?

याद रहे शुरुआत में साल 2020 में जो वायरस चला था और अभी जो वायरस सामने आया है उसी के ही इसकी उत्पत्ति हुई है। लेकिन ये बात कहना काफी जरूरी है कि अब जो देख रहे हैं या हमने जो पिछले साल देखा उसमें ओरिजनल वायरस के मुकाबले कई गुण बदल गए हैं। जैसे कि हमने पिछले साल ओमिक्रॉन वायरस देखा था जो शुरुआती वायरस की तुलना में काफी तेजी से फैलता था।

वायरस जैसे-जैसे म्यूटेट होते जाते हैं क्या उनके लक्षण तीव्र होते जाते हैं या धीरे-धीरे माइल्ड होते जाते हैं ?

इसका कोई एक रूल नहीं कहा जा सकता। कोविड में ये देखा गया कि पहले वायरस के बाद ओरिजनल वायरस के जब वेरिएंट बनने शुरू हुए तो जब डेल्टा वायरस आया था तो उसके फैलने की ताकत भा ज्यादा थी और नुकसान करने का असर भी ज्यादा था। उसके बाद जब ओमिक्रॉन आया तो देखा कि उसके फैलने की ताकत तो ज्यादा थी लेकिन नुकसान कम कर रहा था। उस समय हमें कोविड रोधी टीके लगने भी शुरू हो गए थे। वायरस एक उभरती हुई चीज है जो जैसे आएगी, वैसे ही समझा जाएगा। इसका कोई गोल्डन रूल या एक ही रूल नहीं है। हां जनरली ये माना जाता है कि धीरे-धीरे इसकी तीव्रता कम होती है, उसका असर कम होता है और फैलने की तीव्रता बढ़ जाती है। इसे पूरा साइंस की तरह भी नहीं लेना है। हमारे साइंसदान हमारे ऑर्गनाइजेशंस है और इस चीज को समझने में लगे हुए हैं। जैसे-जैसे ही वहां से आपको इंफॉर्मेशन आएगी, वो इसके बारे में बताते रहेंगे। हमे इससे लड़ने की तैयारी पूरी रखनी है।

पिछली बार होली के समय में कोरोना फैला था, इस बार सरकार बचाव के लिए क्या कदम उठा रही है ?

वर्तमान में विश्व में जो परिस्थितियां बन रही है, उसे देखते हुए पीएम मोदी ने देश में चौकसी बढ़ाने को कहा है। जैसे बाहर की स्थिति बदली है वैसे हमें चौकन्ना रहना है। जो वेरिएंट अब आएं तो उनका गुण या उनका बिहेवियर क्या है ये हम पूरी तरह से प्रिडिक्ट नहीं कर सकते। इसमें वक्त लगेगा। इसलिए चौकसी जरूरी है। ऐसे में जिन्होंने प्रीकॉशन डोज नहीं ली है वो इसे ले लें। जो लोग 60 साल से ऊपर है उनके लिए यह लेना और भी जरूरी है। यह उनके लिए और भी जरूरी है जो किसी भी रूप से बीमार है, उनको ब्लड शुगर है, कैंसर है या बीमार हैं तो ऐसे सभी लोगों के लिए सरकार ने प्रावधान किया है कि वे प्रीकॉशन डोज जरूर लें ताकि सुरक्षा चक्र मजबूत हो जाए। इसके अलावा मास्क को हमें फिर से अपनाना है और एप्रोप्रियेट बिहेवियर का पालन करना है। मास्क आपको सभी वायरस से प्रोटेक्ट करता है। जहां ज्यादा भीड़ हो वहां आप मास्क का इस्तेमाल जरूर करें।

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