मौजूदा हेल्पलाइन नंबर 155260 की जगह नया टोल-फ्री नंबर 1930 किया गया शुरू
CHANDIGARH, 6 APRIL: राज्य में साईबर वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों की बढ़ रही संख्या को ध्यान में रखते हुए पंजाब पुलिस के साईबर क्राइम सैल ने नागरिकों को साईबर माध्यमों के द्वारा की गई किसी भी वित्तीय धोखाधड़ी की रिपोर्ट करने के लिए टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर ‘1930’ डायल करने की अपील की है। नेशनल हेल्पलाइन नंबर ‘1930’ के इस नए संक्षिप्त संस्करण ने मौजूदा हेल्पलाइन नंबर ‘155260’ की जगह ले ली है, जिसको शुरूआती रूप से गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा प्रोजैक्ट सिटिजन फाईनैंशियल साईबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम (सीएफसीएफआरएमएस) के अंतर्गत साईबर वित्तीय धोखाधड़ी के शिकार नागरिकों के वित्तीय नुकसान को रोकने के लिए शुरू किया गया था।
डायरैक्टर जनरल ऑफ पुलिस (डीजीपी) पंजाब वी.के. भावरा ने बताया कि पहले यह सुविधा सिफऱ् काम-काज के दिनों के दौरान सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक एक ही हॉटलाइन पर उपलब्ध होती थी, जिसको अब अपग्रेड किया गया है और शिकायत दर्ज करते समय लाईन व्यस्त रहने की समस्या के समाधान के लिए यह सुविधा अब दो हॉटलाईनों पर 24 घंटे काम कर रही है।
डीजीपी ने कहा, ‘‘अब नागरिक 1930 डायल करके किसी भी समय साईबर वित्तीय धोखाधड़ी संबंधी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।’’ उन्होंने आगे कहा कि लोगों की मेहनत की कमाई को बचाने के लिए स्टेट साईबर क्राइम सैल की नवीनतम सुविधाओं से लैस और प्रशिक्षण प्राप्त टीम 24 घंटे काम कर रही है।
एडीजीपी साईबर क्राइम जी. नागेश्वर राव ने बताया कि हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करते समय शिकायतकर्ता को पीडि़त के बैंक विवरणों (खाता नंबर, डेबिट कार्ड नंबर), संदिग्ध लेन-देन के विवरण (ट्रांजैक्शन आई.डी./रैफरैंस नंबर या बैंक स्टेटमैंट), संदिग्ध/दोषी के विवरण (संदिग्ध का खाता नंबर या संदिग्ध का मोबाइल नंबर) और धोखाधड़ी करने वाले का मोबाइल नंबर समेत अन्य जानकारी देनी होगी।
उन्होंने कहा कि एक बार इस हेल्पलाइन नंबर के द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद एक टिकट यह ध्यान में रखते हुए सम्बन्धित बैंकों, वैलेट, व्यापारियों को भेज दी जाती है, कि यह पीडि़त का बैंक है या वह बैंक या वैलेट है जिसमें धोखाधड़ी का पैसा गया है। उन्होंने आगे कहा कि यदि धोखाधड़ी वाला पैसा अभी भी उपलब्ध है तो बैंक इसको रोक देगा और धोखाधड़ी करने वाले को पैसे निकलवाने की आज्ञा नहीं देगा। यदि धोखाधड़ी वाला पैसा किसी अन्य बैंक में चला गया है तो टिकट अगले बैंक में भेज दी जाएगी, जिसमें पैसे चले गए हैं। यह प्रक्रिया तब तक दोहराई जाएगी जब तक पैसे को धोखेबाज़ों के हाथों तक पहुँचने से बचाया नहीं जाता।
इस दौरान, शिकायत दर्ज कराने पर पीडि़त को फिर एसएमएस द्वारा शिकायत का एक रसीद नंबर प्राप्त होगा और उसको राष्ट्रीय साईबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (https://cybercrime.gov.in/) पर धोखाधड़ी के पूरे विवरण 24 घंटे के अंदर रसीद नंबर का प्रयोग करते हुए जमा करने के लिए कहा जाएगा।