शत्रु संपत्ति के निपटान के लिए केंद्र सरकार द्वारा जारी नए दिशा-निर्देश राष्ट्रीय आर्थिक विकास में मील का पत्थरः हरीश गर्ग

ग्रामीण क्षेत्रों में 1 करोड़ और शहरी क्षेत्रों में 5 करोड़ तक की क़ीमत वाली शत्रु संपत्ति को खरीदने का पहला अधिकार अब मौजूदा कब्जाधारक का होगा

CHANDIGARH, 24 OCTOBER: देश में शत्रु संपत्ति के निपटान के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नए दिशा-निर्देशों का कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAT)के राष्ट्रीय सचिव एवं चंडीगढ़ चैप्टर के प्रेसीेडेंट हरीश गर्ग ने स्वागत करते हुए कहा कि ये दिशा-निर्देश काफी समय से लंबित थे। केंद्र सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम बेहद महत्वपूर्ण और प्रगतिशील है, जिससे दिल्ली सहित देशभर में बड़ी संख्या में लोगों को उनका वाजिब अधिकार प्राप्त होगा।

कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAT)के राष्ट्रीय सचिव हरीश गर्ग ने कहा कि देश के विभाजन के समय या फिर 1962, 1965 और 1971 के युद्धों के बाद चीन या पाकिस्तान जाकर अनेक लोग बस गए और उन्होंने वहां की नागरिकता ले ली। भारत में जिन संपत्तियों में वो रहे थे, उन्हें शत्रु संपत्ति कहा जाता है। भारत के रक्षा अधिनियम-1962 के तहत सरकार उनकी संपत्ति को जब्त कर सकती है और ऐसी संपत्ति के लिए अभिरक्षक या संरक्षक (कस्टोडियन) नियुक्त कर सकती है। अतः देश छोड़कर जाने वाले ऐसे लोगों की भारत में मौजूद संपत्ति शत्रु संपत्ति कहलाती है। एक जानकारी के अनुसार इन संपत्तियों की अनुमानित लागत 1 लाख करोड़ रुपए है। दिल्ली में ही पहाड़गंज, करोल बाग, सदर बाजार, चांदनी चौक सहित विभिन्न स्थानों पर अनेक शत्रु संपत्तियां हैं और अब जो लोग इनमें रह रहे हैं, उन्हें इन संपत्तियों का मालिकाना हक अभी तक नहीं मिलता था।

कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAT)के चंडीगढ़ चैप्टर के उपाध्यक्ष हरिशंकर मिश्रा, प्रेम कौशिक, पवन गर्ग, महासचिव भीमसेन, सचिव अजय सिंगला एवं नरेश गर्ग ने कहा कि इन दिशा-निर्देशों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में 1 करोड़ और शहरी क्षेत्रों में 5 करोड़ तक की क़ीमत वाली शत्रु संपत्ति को ख़रीदने का पहला अधिकार उस व्यक्ति का होगा, जो पहले से ही उन संपत्तियों में रह रहा है। यह कदम उन निवासियों के लिए न्याय सुनिश्चित करता है, जो वर्षों से इन संपत्तियों में रह रहे हैं और उन्हें अपने घरों या व्यवसायों का मालिक बनने का सुनहरा अवसर प्रदान करता है, जिनमें से कई पीढ़ियों से लोग इन संपत्तियों में रह रहे हैं। सरकार द्वारा अपनाया गया यह दृष्टिकोण इन निवासियों के जीवन में अत्यधिक राहत और स्थिरता लाएगा और उन्हें स्वामित्व प्राप्त करने का स्पष्ट मार्ग प्रदान करेगा।

हरीश गर्ग ने कहा कि शत्रु संपत्तियों में दशकों से रहने वाले लोगों के अधिकारों को प्राथमिकता देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक संतुलित और जन-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाया है, जो इस लंबे समय से चले आ रहे मुद्दे को पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ सुलझाने की दिशा में है। ये दिशा-निर्देश राष्ट्रीय आर्थिक विकास और संपत्ति के नियमितीकरण के व्यापक उद्देश्य के साथ भी मेल खाते हैं, जिससे इन संपत्तियों से जुड़ी आर्थिक संभावनाओं का दोहन संभव होगा। हरीश गर्ग ने कहा कि यह विचारशील और समावेशी पहल देशभर में व्यक्तियों और समुदायों पर सकारात्मक प्रभाव डालेगी।

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