प्राकृतिक चिकित्सा दिवसः प्राकृतिक जीवन व संयमित जीवन शैली के जरिए रोगों से बचा जा सकता है- डॉ. देवराज त्यागी

गांधी स्मारक निधि चंडीगढ़ ने धूमधाम से मनाया प्राकृतिक चिकित्सा दिवस

Naturopathy Day celebrated CHANDIGARH, 18 NOVEMBER: गांधी स्मारक निधि चण्डीगढ़ की ओर से आज पंचम प्राकृतिक चिकित्सा दिवस (Naturopathy Day) धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर गांधी स्मारक भवन सेक्टर-16 से बोटेनिकल गार्डन तक एक साइकिल रैली निकाली गई, जिसका नेतृत्व गांधी स्मारक निधि चण्डीगढ़ के सचिव डॉ. देवराज त्यागी ने किया। इसमें कुल 100 से ज्यादा नैचुरोपैथी प्रेमियों ने भाग लिया तथा चिकित्सा के प्रति लोगों को जागरूक किया। कार्यक्रम का विषय ‘नैचुरोपैथी एक समग्र आयुर्विज्ञान’ था।

इस मौके पर प्राकृतिक चिकित्सक डाॅ. एमपी डोगरा, अध्यक्ष प्राकृतिक चिकित्सा समिति चंडीगढ ने बताया कि 90% से 95% रोग तो जीवनशैली में बिगाड़ की वजह से उत्पन्न हो रहे हैं। लोग प्रकृति से जितना दूर जा रहे हैं उतना ही रोगों से घिरते जा रहे हैं। प्राकृतिक चिकित्सा कहती है कि यदि मनुष्य प्रकृति के अनुसार चले तो रोगी होंगे ही नहीं, एवं दवाइयां लेने की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी। उन्होंने कहा कि मौसमी फल एवं सब्जियों का सेवन करें, मोटे अनाज को अपने खान-पान में शामिल करें, भूख अनुसार उचित मात्रा में खाएं, जल्दी सोएं और जल्दी उठें एवं योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। ऐसा करके स्वस्थ एवं निरोगी काया पा सकते हैं।

डाॅ. देवराज त्यागी सचिव गांधी स्मारक निधि चण्डीगढ़ ने बताया कि गांधी स्मारक भवन सेक्टर-16 चंडीगढ़ में एक आउटडोर प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र पिछले 15 वर्षों से चल रहा है तथा अब तक हजारों रोगी लाभ उठा चुके हैं। लोग प्राकृतिक जीवन और संयमित जीवनशैली के जरिए रोगों से बच सकते हैं। उन्होंने बताया कि सरकार ने 18 नवम्बर को  प्राकृतिक चिकित्सा दिवस घोषित किया है, जो कि प्राकृतिक चिकित्सा के प्रचार-प्रसार की ओर एक सकारात्मक कदम है। साथ ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को यह सच्ची श्रद्धांजलि है।

डाॅ. रमेश कुमार ने नैचरोपैथी की उपयोगिता के बारे में बताते हुए कहा कि यह पद्धति सरल, सस्ती और टिकाऊ है। आजकल जैसे-जैसे लोग दवाइयां खा-खाकर बीमार से बीमार होते जा रहे हैं, इन सबसे बचने के लिए एक ही सरल तरीका है कि नेचर की शरण में आएं  और उसके अनुसार ही जीवन यापन करें। प्राकृतिक चिकित्सा समिति की ब्रांड एम्बैसडर डाॅ. कमलजीत ने बताया कि अगर खुद को अपना डाक्टर आप बनना है तो शरीर को समझना होगा, इसकी भाषा को समझना होगा। कोई भी विकार आने पहले से पहले सिग्नल देता है, जैसे जुकाम, उल्टी, दस्त, बुखार, खांसी इत्यादि का होना, यह सब मित्र रोग हैं। इनका इलाज न करके इनका सहयोग, उपवास करके करें, ताकि जीवनी शक्ति जो पाचन में लगती है, वह बच जाए और शरीर को साफ-सुथरा करें, क्योंकि इन रोगों से शरीर का कूड़ा कचरा ही निकलता है। शरीर के विकार निकलने के बाद शरीर स्वस्थ हो जाता है। इस अवसर पर उपस्थित नैचुरोपैथी प्रेमियों में औषधीय पौधे भी वितरित किए गए। कार्यक्रम में डाॅ. रमन शर्मा, डाॅ. भूपेन्द्र शर्मा, ईश्वर अग्रवाल, योगेश बहल, प्रभुनाथ साही, आनन्द राव, अनिता मलिक, प्रवीन बाला, रमेश कुमार, विक्की, खेमराज गर्ग, मुकेश अग्रवाल, बेद कुमार अरोड़ा, निधि अम्बाला आदि लोगों ने भाग लिया।  

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