CHANDIGARH: कोविड-19 के कारण वर्चुअल तौर पर आज आयोजित चौथे मिलिट्री (एमएलएफ-2020) के पहले दिन लद्दाख में हुए टकराव पर एक पैनल चर्चा की गई। पैनल चर्चा का संचालन लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने किया, जबकि लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग, लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ला, एवीएम मनमोहन बहादुर, ब्रिगेडियर नवीन महाजन, ब्रिगेडियर गौरव मिश्रा और राम माधव ने भी भाग लिया और अपने विचार साझा किए।
लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने चर्चा की शुरुआत करते हुए भारत-चीन गतिरोध के अतीत, वर्तमान और भविष्य के बारे में बात की जो पिछले आठ महीनों से जारी है। उन्होंने कहा कि इसको लेकर राजनीतिक, राजनयिक और सैन्य स्तर पर बातचीत का एक सिलसिला चला, लेकिन जमीनी स्तर पर बहुत कम प्रगति देखने को मिली है।
डीएस हुड्डा ने कहा कि इस चर्चा में वे यह देखते हैं कि भारत और चीन दोनों ने अब तक क्या कार्रवाई की है, चीन के इरादे क्या हैं और क्या हम इससे बेहतर कदम उठा सकते थे बजाय इस पर गौर करने की कि हमने इससे क्या सबक लिया है।
उन्होंने कहा कि चर्चा का ध्यान वर्तमान स्थिति पर केंद्रित करना है कि क्या इस स्थिति से आगे बढऩे का कोई रास्ता है या फिर यह गतिरोध इसी तरह बना रहेगा? उन्होंने कहा, ‘‘क्या यह ऐसी स्थिति है, जो हमें अगले कुछ महीनों और आने वाले वर्षों में देखने को मिलेगी क्योंकि सीमा दोनों ओर हजारों सैनिक खड़े हैं या फिर बातचीत के ज़रिए इसका कोई हल निकलने की संभावना है।
उन्होंने अपने शुरूआती विचार प्रकट करने हेतु चर्चा को ब्रिगेडियर गौरव मिश्रा को सौंपने से पहले कहा, ‘‘आखिरकार, हमें भविष्य को देखने की जरूरत है, हम चीन को भारत के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरते हुए देख रहे हैं। इसलिए, हमारी कूटनीतिक रणनीति क्या होनी चाहिए, हमारी राजनीतिक रणनीति क्या होनी चाहिए और हमारी सैन्य रणनीति क्या होनी चाहिए?’’ उन्होंने से खुलकर बातचीत के लिए चर्चा करने से पहले कहा। ब्रिगेडियर गौरव मिश्रा ने गतिरोध के पीछे चीन के मकसद के बारे में अपनी टिप्पणी साझा करके आगे की चर्चा के लिए मंच तैयार किया।
लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग ने उन कारणों संबंधी अपनी राय के बारे में बताया कि चीन ने पूर्वी लद्दाख में इस ऑपरेशन को क्यों शुरू किया और ऐसा करने के पीछे संभावित मकसद हैं। उन्होंने कहा कि यह केवल एक क्षेत्रीय मुद्दा था, लेकिन भारत की क्षेत्रीय स्थिति को कम करने और इसके बुनियादी ढांचे को रोकने आदि का मुद्दा था।ब्रिगेडियर नवीन महाजन ने पाक-चीन की मिलीभगत पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि चीन और पाकिस्तान के बीच एक लंबे समय से दोस्ती चली आ रही हैं, जो वर्षों से मजबूत हो रही है।एवीएम मनमोहन बहादुर ने बातचीत में गतिरोध पर बात की। उन्होंने कहा कि चीन की चार-पांच सिद्धांत हैं जिनमें सक्रिय रक्षा नीति, पॉजिशनिंग, शोर करना यानी टकराव, पैनल चर्चा को दिया गया नाम। उन्होंने यह भी सवाल किया कि यह क्या गतिरोध वास्तविक है या चीन अपनी वायु रक्षा क्षमताओं के निर्माण के लिए समय ले रहा है।
लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ला ने कहा कि चीन की रणनीतिक सैन्य कार्रवाइयों से हमारे रणनीतिक दृष्टिकोण और राष्ट्रीय सुरक्षा समझ में विचारों की फिर से कल्पना की जरूरत है, यदि हमें आवश्यक उद्देश्य और सटीकता से चुनौती से निपटना है।राम माधव ने उचित शिष्टाचार के साथ चीन को जवाब देने और कूटनीतिक स्तर पर उन्हें ठीक से जवाब देने के लिए भारत की सराहना करते हुए कहा कि इससे निश्चित रूप से अच्छे नतीजे आयेगें और भारत को अपने विकल्प खुले रखने चाहिए।इसी बीच पैनलिस्टों ने दर्शकों द्वारा उठाए गए सवालों और मुद्दों को भी सुना और उनके जवाब दिये।