विधायक के एक कार्यकाल के लिए प्रतिमाह 50 हजार रुपए पेंशन, जबकि पूर्व सांसद की पेंशन राशि 25 हजार रुपए
हर छह माह बाद रिटायर्ड सरकारी पेंशनर्स की तरह हरियाणा के पूर्व विधायकों को महंगाई राहत (डीआर) की किस्त भी, पूर्व सासंदों को डीआर नहीं
CHANDIGARH, 11 APRIL: बेशक हरियाणा में हर लोकसभा सांसद का चुनावी हलका प्रदेश के विधानसभा सदस्य (विधायक ) के निर्वाचन क्षेत्र से 9 गुना बड़ा होता है अर्थात हर निर्वाचित लोकसभा सांसद के हलके के नीचे 9 विधानसभा हलके आते हैं परंतु जहाँ तक पूर्व सांसदों को मिलने वाली न्यूनतम पेंशन का विषय है, वह हरियाणा के पूर्व विधायकों से आधी ही है.
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने देश की संसद के दोनों सदनों के पूर्व सदस्यों ( सांसदों) को पेंशन देने संबंधी भारतीय संसद द्वारा वर्ष 1954 में बनाये गए मूल कानून एवं उसमें आज तक किये गए संशोधनों और हरियाणा विधानसभा के पूर्व विधायकों की पेंशन संबंधी सदन द्वारा वर्ष 1975 में बनाये गए कानून, जैसा आज तक संशोधित है, का अध्ययन करने के बाद बताया कि मौजूदा तौर पर हरियाणा के हर पूर्व विधायक को उसके एक कार्यकाल के एवज़ में हर माह 50 हजार रूपये पेंशन देने का कानूनी प्रावधान है जबकि पूर्व सांसदों के लिए उनके एक कार्यकाल के संबंध में यह धनराशि प्रतिमाह 25 हजार रुपये ही है.
यही नहीं हेमंत ने बताया कि हालांकि हरियाणा में हर पूर्व विधायकों को, विशेष तौर पर, हर वो विधायक जिसने 1 जनवरी 2016 के बाद अपना एक या अधिक कार्यकाल पूरा कर लिया है या करेगा, उन्हें उपरोक्त 50 हज़ार रुपये की पेंशन राशि पर हर माह उस दर से महंगाई राहत — डियरनेस रिलीफ (डीआर) मिलता है जिस दर पर हरियाणा सरकार के पेंशनरों को मिलता है. 1 जनवरी 2022 से उक्त डीआर की दर बढ़कर 34 % हो गयी है, इसलिये हरियाणा में हर पूर्व विधायक की पेंशन आज की तारिख में न्यूनतम 67 हज़ार रूपये बनती है.
हालांकि 1 जनवरी 2016 से पहले हरियाणा के जिन पूर्व विधायकों ने अपना एक या अधिक कार्यकाल पूरा किया है, उन्हें पेंशन राशि कहीं अधिक मिलती है क्योंकि वर्ष 2018 में विधानसभा द्वारा इस सम्बन्ध में किये गए कानूनी संशोधन द्वारा ऐसे विधायकों को पहले से मिल रही पेंशन राशि को बरकरार रखा गया है जिस हेतु उन्हें यह विकल्प दिया गया कि प्रतिमाह पेंशन पर उसी दर से डीआर प्राप्त कर सकते हैं जिससे उन्हें फायेगा हो. संशोधन से पहले उन्हें प्राप्त होने वाली पेंशन राशि को बरक़रार रखने के लिए उन्हें एक फिक्स्ड (निर्धारित) धनराशि का डीआर देने का भी प्रावधान किया गया. इस प्रकार वर्ष 2016 से पूर्व के विधायकों पर धन-लक्ष्मी पूर्ण रूप से मेहरबान है.
वहीं दूसरी और जहाँ तक पूर्व सांसदों का विषय है, उन्हें प्रतिमाह न्यूनतम 25 हज़ार रुपये की पेंशन राशि पर कोई डीआर ही नहीं मिलता है. हालांकि हरियाणा के पूर्व विधायकों और पूर्व सांसदो दोनों को उनके एक कार्यकाल के बाद के हर अतिरिक्त वर्ष के प्रतिवर्ष के हिसाब से 2 हज़ार रुपये अतिरिक्त पेंशन राशि देने का प्रावधान है.
हेमंत ने बताया कि चार वर्ष पूर्व मार्च, 2018 में खट्टर सरकार द्वारा सम्बंधित कानून अर्थात हरियाणा विधान सभा (सदस्यों का वेतन, भत्ते और पेंशन ) अधिनियम, 1975 में सदन द्वारा संशोधन करवाकर प्रदेश के पूर्व विधायकों को पेंशन प्रदान करने के फॉर्मूले में बदलाव किया गया था जो राज्यपाल की स्वीकृति मिलने के बाद अप्रैल, 2018 से लागू हो गया था. उक्त 2018 संशोधन कानून द्वारा पेंशन के सम्बन्ध में पूर्व विधायकों को दो श्रेणिर्यों में बांटा गया है जिसमें पहली श्रेणी में वह पूर्व विधायक आते हैं जो 1 जनवरी 2016 से पहले उनका कार्यकाल पूर्ण कर चुके हैं और दूसरी श्रेणी में वह जो उक्त तिथि के पश्चात.
उक्त संशोधन कानून से पहले एवं अक्टूबर, 2013 से हर पूर्व विधायक को अपने पहले कार्यकाल हेतु प्रतिमाह मूल रूप से 10 हज़ार रुपये एवं उसके बाद के कार्यकाल हेतु हर पूर्ण वर्ष के लिए 1500 रुपये की दर से अतिरिक्त पेंशन एवं उन दोनों को जोड़कर उसका 50 प्रतिशत डियरनेस पेंशन (डीपी ) के रूप में एवं एवं उस सब पर 245 प्रतिशत की दर से डियरनेस रिलीफ (डीआर) दिया जाता था जिस कारण कई पूर्व विधायकों, जो कई बार विधानसभा सदस्य बन चुके है, उनकी लाखो में पेंशन बनती है. मसलन पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव की प्रतिमाह 2 लाख 38 हज़ार रुपये, पूर्व मुख्यमंत्री ओपी चौटाला की प्रतिमाह 2 लाख 22 हज़ार रुपये, पूर्व मंत्री बलबीर शाह की प्रतिमाह 2 लाख 7 हज़ार रुपये पेंशन मिलती है. हालांकि अगर कोई पूर्व विधायक फिर से विधायक निर्वाचित हो जाए, तो उसे उस कार्यकाल दौरान पूर्व विधायक के तौर पर पेंशन नहीं बल्कि केवल मौजूदा कार्यकाल में विधायक के तौर पर वेतन-भत्ते आदि ही मिलेंगे.
हाल ही में पंजाब की आप सरकार का अनुसरण करते हुए हरियाणा के एक पूर्व मंत्री और हरियाणा विधानसभा के कुल चार बार सदस्य (विधायक) रहे चुके चौधरी निर्मल सिंह, द्वारा ऐलान किया गया है कि अब से वह भी उनके पूर्व विधायक के तौर पर अपने केवल एक ही कार्यकाल ही पेंशन लेंगे.
हेमंत ने आगे बताया कि निर्मल सिंह का चार बार विधायक के तौर पर कुल कार्यकाल 17 वर्ष 9 महीने अर्थात करीब 18 वर्ष बनता है. पुरानी पेंशन व्यवस्था में अर्थात वर्ष 2013 से उन्हें 1 लाख 52 हजार 663 रूपये प्रतिमाह पेंशन मिल रही थी जिसमें पेंशन, अतिरिक्त पेंशन, डीपी और डीआर शामिल थे. 2018 के कानूनी संशोधन के बाद निर्मल सिंह को उनके पहले कार्यकाल के तौर पर 50 हजार रुपये और शेष 13 वर्षा के लिए प्रतिवर्ष 2 हजार रुपये की दर से 26 हजार रुपये अतिरिक्त पेंशन जिस निर्धारित (फिक्स्ड) डीआर के तौर पर 76 हज़ार 700 रुपये दिए जा रहे हैं जिससे उनकी वर्तमान पेंशन राशि कुल बनकर प्रतिमाह 1 लाख 52 हज़ार 700 रुपये बनती है.
अब अगर निर्मल सिंह केवल एक कार्यकाल की पेंशन लेते हैं इसलिए उनको एक कार्यकाल हेतु प्रतिमाह 50 हज़ार रुपये और उस पर डीआर के तौर पर 34 % अर्थात उन्हें प्रतिमाह 67 हज़ार रुपये पेंशन मिलेगी अर्थात उनकी मासिक पेंशन में करीब 86 हज़ार रुपये की कटौती होगी.