डाक्टर को भगवान माना जाता है, इसलिए डाक्टर को दवाई के साथ-साथ मरीज से मीठी-मीठी बातें कर उसकी हौसला अवजाई करनी चाहिए: अनिल विज
CHANDIGARH, 24 APRIL: हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि मेडिकल कालेज डाक्टर बनाते है, गीता इन्सान बनाती है, बगैर इन्सान बने ईलाज हो ही नहीं सकता है। विदेशों में भारत के डाक्टरों की मांग बढ़ी है और हर कोई चाहता है कि उसका ईलाज भारतीय डाक्टर करे। डाक्टर को भगवान माना जाता है इसलिए डाक्टर को दवाई के साथ-साथ मरीज के साथ मीठी-मीठी बातें कर उसकी हौसला अवजाई करनी चाहिए जोकि करोडों रुपयों की दवाई से ज्यादा असर करती है।
गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज आज कुरुक्षेत्र में आजादी के अमृत महोत्सव के तहत गीता ज्ञानम् संस्थानम् के एजुकेशनल ब्लॉक में जीओ गीता की ओर से आयोजित ‘रोल ऑफ गीता फॉर हैल्थ प्रोफेशनल’ विषय पर आयोजित सेमिनार को बतौर मुख्यातिथि सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र धर्मनगरी है यहां भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था, गीता के ज्ञान और संदेश को हमें अपने जीवन में आत्मसात करता चाहिए। उन्होंने कहा कि कोविड के समय डाक्टरों ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा की और बहुत लोगों की जिंदगी उनके हाथों से बची है। उन्होंने कहा कि कई जिलों में कोविड के केस बढ़ रहे हं इसलिए मास्क लगाकर रखें तथा सोशल डिस्टेसिंग का पालन करें और बार-बार हाथ धोएं। प्रदेश सरकार कोविड से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है और हर प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध है।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के तौर पर पहुंचे गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल के सीएमडी डा. नरेश त्रेहन ने कहा कि गीता की इस पावन धरती पर आना उनके लिए बड़े सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि गीता की धरती का दर्शनमात्र ही मानव कल्याण की राह खोलता है। गीता एक ऐसा ग्रंथ है, जो सम्पूर्ण विश्व और मानवता के लिए बहुत उपयोगी है। जीवन में किसी भी नकारात्मक स्थिति से उभरने में गीता हमारा मार्गदर्शन करती है। गीता एक धार्मिक ग्रंथ है, जिसका विश्व की सर्वाधिक भाषा में अनुवाद किया गया है। आज के दौर में नई पीढ़ी संस्कारों से दूर होती जा रही है। गीता के ज्ञान से नई पीढ़ी में संस्कार आएंगे और एक सभ्य समाज की स्थापना होगी।
सेमिनार में गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि गीता एक मजहब विशेष के लिए नहीं बल्कि समस्त प्राणियों की वैश्विक प्रेरणा है। कुरुक्षेत्र भारत की पावन भूमि है। यहां के जल, थल व वायु से मुक्ति प्राप्त होती है। भारत युगों-युगों से संस्कृति और सभ्यता में विश्व गुरु के रुप में पहचान रखता है। गीता जहां भारत की धरोहर है वहीं विश्व के लिए आदर्श भी है। जो व्यक्ति जिस भाव से गीता को पढ़ता है गीता उसे उसी भाव से समझ में आती है। हर व्यक्ति के लिए गीता अलग है इसे जिस भाव से समझना है उसे उसी भाव से इसे पढ़ना होगा।
सेमिनार को गुरुग्राम विश्वविद्यालय के पूर्व वीसी डा. मारकंडे आहुजा,मेदांता से आए डा. प्रोफेसर अरविंद कुमार, हरियाणा आईएमए की प्रधान डा. पुनिता हसीजा, मेदांता से आए डा. राजेश पुरी, डा. सुशीला कटारिया ने भी सम्बोधित किया और गीता के बारे में तथा अपने-अपने क्षेत्र से सम्बन्धित जानकारी भी सभी के साथ सांझा की।