CHANDIGARH: एशिया के सबसे बड़े सहकारी संस्थान मार्कफैड ने अपनी पहचान को कायम रखते हुए एक बार फिर से उपभोक्ताओं का भरोसा जीता है। विज्ञान और पर्यावरण केंद्र (सी.एस.ई.) द्वारा शहद की शुद्धता के करवाए गए परीक्षण में मार्कफैड का सोहना ब्रांड शहद 100 प्रतिशत खरा उतरा है। इस शहद ने शुद्धता के सभी टैस्ट पास किये।
इस विलक्षण प्राप्ति के लिए मार्कफैड की पूरी टीम को मुबारकबाद देते हुए पंजाब के सहकारिता मंत्री सुखजिन्दर सिंह रंधावा ने कहा कि यह मार्कफैड के लिए बड़े गौरव और संतोष की बात है कि भारत में मौजूद 13 ब्रांडों में से मार्कफैड सोहना उन तीन ब्रांडों में शामिल है जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय मापदण्डों पर आधारित सभी महत्वपूर्ण टैस्ट पास किये हैं।
बाकी दो ब्रांड सफोला और नेचर्स नेक्टर जिन्होंने टैस्ट पास किये हैं जबकि बड़े ब्रांड डॉबर, पतंजलि, बैद्यनाथ, झंडू आदि यह टैस्ट पास करने में असफल रहे और इनके ब्रांडों में मिलावट सामने आई जो कोविड -19 के कठिन समय के दौरान मानवीय स्वस्थ्य के साथ समझौता करने वाली बात है।स. रंधावा ने कहा कि मार्कफैड की तरफ से मानक खाद्य पदार्थों के निर्माण और मार्केटिंग में अपना मान कायम रखते हुए बासमती चावल, गेहूँ, गेहूँ का आटा, साबुत और पीसे हुए मसाले, आंवला मुरब्बा और कैंडी, आंवला और ऐलोवेरा जूस, गुड़, शक्कर उपभोक्ताओं तक पहुँचाया जाता है।
सहकारिता मंत्री ने कहा कि विश्व स्तर के मापदण्डों के अनुसार सोहना शहद के खरा उतरन से गुणवत्ता और मानक खाद्य पदार्थों के मामले में मार्कफैड ने एक और बाज़ी मारी है। शहद की प्रोसैसिंग 2015-16 में शुरू की गई थी।‘मीठी क्रांति’ लाने के लिए मार्कफैड की समूची टीम को बधाई देते हुए स. रंधावा ने कहा कि यह सबकी साझे मेहनत का निष्कर्ष है।
उन्होंने कहा कि मार्कफैड की तरफ से गुणवत्ता के मामले में कोई भी समझौता नहीं किया जाता जिसके स्वरूप आज यह प्राप्ति हासिल हुई है। ख़ासकर कोविड-19 के कठिन समय के दौरान मानवीय स्वस्थ्य के साथ कोई समझौता नहीं किया जाता और मार्कफैड की तरफ से शुद्ध पदार्थों की सप्लाई की जाती है।जि़क्रयोग्य है कि साल 2016 में जालंधर-होशियारपुर रोड पर गाँव चूहड़वाली में शहद को प्रोसैस करने वाला अव्वल दर्जे का प्लांट स्थापित किया गया था।
यह यूनिट ए.पी.ई.डी.ए. की वित्तीय सहायता के साथ 15.50 करोड़ रुपए की लागत से स्थापित किया गया। यह प्लांट ऑटोमैटिक ढंग से शहद को प्रोसैस करता है जहाँ पर्यावरण को नियंत्रित करने की सुविधाएं हैं। इस प्लांट में एफ.एस.एस.ए.आई. के नियमों समेत अंतरराष्ट्रीय मापदण्डों के अनुसार प्रोसैस किया जा रहा है। इस प्लांट का सामथ्र्य 3000 मीट्रिक टन है।
इसलिए मधुमक्खी पालकों से सभाओं के द्वारा कच्चा शहद खरीदा जाता है। मधुमक्खी पालकों को मक्खियों के सेहतमंद अमलों और शहद के उत्पादन से सम्बन्धित नियमित तौर पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है जिससे कच्चे शहद में ऐंटीबॉडी, भारी धातुओं, चीनी और रासायनों की मौजूदगी को ख़त्म किया जा सके।मार्कफैड को मक्खी पालकों से कच्चे शहद की खरीद के लिए 100 प्रतिशत पहचान को लागू करने में अगुआ होने का भी गौरव हासिल है।
हर बालटी को परखकर बारकोड के प्रयोग के साथ सील किया जाता है। यह प्रणाली मार्कफैड को उन किसानों बारे मुकम्मल जानकारी एकत्रित करने की इजाज़त देती जिन किसानों से कच्चा शहद खरीदा जाता है। इस प्रणाली को लागू करने से मार्कफैड को ‘स्कोच अवार्ड’ हासिल हुआ है।शहद से अंदरूनी शक्ति बढ़ाने, कैंसर और दिल के रोगों की रोकथाम, पेट की बीमारियों के विरुद्ध लडऩे, खाँसी और गले की जलन को घटाने, ब्लड शूगर की बीमारियाँ रोकने और त्वचा को पोषण देने में मदद मिलती है। शहद को सेहत का ‘पावर हाऊस’ कहा जाता है।