CHANDIGARH: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने शुक्रवार को मालेरकोटला को राज्य का 23वां जि़ला घोषित करने के साथ इस ऐतिहासिक शहर के विकास के लिए कई प्रोजेक्टों का भी ऐलान किया।
मुख्यमंत्री ने यह ऐलान ईद-उल-फितर के राज्य स्तरीय समागम के दौरान किए, जो कोरोना महामारी के चलते वर्चुअल तरीके से करवाया गया। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने भारत की धर्म-निरपेक्ष छवि को दर्शाते हुए कहा कि इसका प्रमाण हाल ही में हुई विधान सभा चुनावों के मौके पर पश्चिम बंगाल और तामिलनाडु में सांप्रदायिक ताकतों को मिली हार से मिल गया।
मलेरकोटला के समृद्ध और गौरवशाली इतिहास को याद करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इसको जि़ला बनाना स्थानीय लोगों की लम्बे समय से माँग थी। इसके साथ ही प्रशासनिक काम करवाने के लिए लोगों की मुश्किलें हल होंगी और अब प्रशासनिक समस्याएँ सहजता से हल होंगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मूलभूत तौर पर मलेरकोटला और अहमदगढ़ तहसीलों और अमरगढ़ सब तहसील नए बने जि़ले में शामिल होंगी। उन्होंने कहा कि जनगणना का काम निपटने के बाद गाँवों को मलेरकोटला जि़ले के अधिकार क्षेत्र में लाने की प्रक्रिया शुरू होगी। मुख्यमंत्री ने संगरूर के डिप्टी कमिश्नर को हिदायत की कि जि़ला प्रशासनिक कार्यालय का कामकाज जल्द शुरू करने के लिए उपयुक्त इमारत ढूँढी जाए। उन्होंने कहा कि नए बने जि़ले में डिप्टी कमिश्नर की जल्द नियुक्ति की जाएगी।
मलेरकोटला के लिए विभिन्न विकास प्रोजेक्टों का ऐलान करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थानीय लडक़े और लड़कियों को डॉक्टरी शिक्षा के योग्य बनाने के लिए नवाब शेर मोहम्मद ख़ान के नाम पर 500 करोड़ रुपए की लागत वाला सरकारी मैडीकल कॉलेज जल्द स्थापित किया जाएगा, जिसके लिए राज्य सरकार ने रायकोट रोड पर 25 एकड़ ज़मीन पहले ही आवंटित कर दी है। उन्होंने आगे कहा कि इस मंतव्य के लिए 50 करोड़ रुपए की पहली किस्त पहले ही मंज़ूर कर दी गई है।
मुख्यमंत्री ने स्थानीय लड़कियों को ऊच्च शिक्षा मुहैया करवाने के लिए लड़कियों के लिए सरकारी कॉलेज स्थापित करने का भी ऐलान किया, जिसके लिए लड़कियों को अब दूर जाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि 10 करोड़ रुपए की लागत के साथ एक नया बस अड्डा बनाया जाएगा और मलेरकोटला को महिला थाना भी मिलेगा, जहाँ सारा कामकाज महिला स्टाफ द्वारा ही किया जाएगा।
मलेरकोटला के सर्वपक्षीय शहरी विकास के लिए मुख्यमंत्री ने शहरी पर्यावरण सुधार प्रोग्राम (यू.ई.आई.पी.) के अंतर्गत 6 करोड़ रुपए की राशि का भी ऐलान किया।
मलेरकोटला की सांस्कृतिक विरासत को और प्रफुल्लित करने के लिए मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने मुबारक मंजिल पैलेस की रखरखाव करने और पुन: स्थापति का कार्य अपने हाथों में लेने के लिए आगा ख़ान फाउंडेशन यू.के. को पत्र लिखा है, यह किला मलेरकोटला के आखिरी शासक नवाब इफ्तिखार अली ख़ान की पत्नी बेगम साहिबा मुनव्वर उल नीसा के पास था। पंजाब सरकार ने मुबारक मंजिल पैलेस अधिग्रहण कर लिया है और इसकी पुनर स्थापना और रख-रखाव करना सही मायनों में मलेरकोटला के नवाबों को श्रद्धाँजलि होगी, जिससे इस ऐतिहासिक शहर की समृद्ध विरासत का और प्रसार हो सके।
शहर के इतिहास को बताते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि अफगानिस्तान से शेख सदरूदीन-ऐ-जहाँ द्वारा 1454 में इसकी स्थापना की गई थी और इसके बाद बायज़ीद ख़ान द्वारा 1657 में मलेरकोटला स्टेट की स्थापना की गई। बाद में पटियाला एंड ईस्ट पंजाब स्टेट्स यूनियन (पैपसू) का सृजन करने के लिए मलेरकोटला का विलय पास की रियासतों के साथ कर दिया गया। 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के मौके पर पुराने मलेरकोटला स्टेट का क्षेत्र पंजाब का हिस्सा बन गया।
मुख्यमंत्री ने पुरानी यादों का जि़क्र करते हुए मलेरकोटला के नवाब के साथ अपने सौहार्दपूर्ण संबंधों को याद किया और जिनको स्नेह के साथ ‘चाचा जी’ कह कर पुकारते थे और बचपन में इस शहर के दौरों के मौके पर नवाब भी उनको ‘भतीज’ कह कर संबोधित करते थे।
सिख इतिहास में शहर की महत्ता का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि दुनिया भर के लोग ख़ासकर सिख मलेरकोटला के पूर्व नवाब शेर मुहम्मद ख़ान के प्रति सत्कार भेंट करते हैं, जिन्होंने सरहिन्द के शासक वज़ीर ख़ान द्वारा छोटे साहिबज़ादे बाबा जोरावर सिंह जी को 9 साल की उम्र में और बाबा फतेह सिंह जी को 7 साल की उम्र में अत्याचार कहर ढाते हुए जीवित ही नींवों में चिनवा की अमानवीय घटना के खि़लाफ़ आवाज़ उठाई थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके बाद श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी ने नवाब शेर मोहम्मद ख़ान और मलेरकोटला के लोगों को आशीर्वाद दिया था कि यह शहर शान्ति और खुशी से रहेगा। उन्होंने आगे कहा कि इस शहर पर सूफ़ी संत बाबा हैदर शेख की भी कृपा है, जिनकी यहाँ दरगाह भी बनी हुई है।
इस मौके पर जल आपूर्ति एवं स्वच्छता मंत्री और मलेरकोटला के विधायक रजि़या सुल्ताना, पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान सुनील जाखड़ और मुफ्ती इरतिका-उल-हसन ने भी अपने विचार व्यक्त किए।