29 SEPTEMBER: देश की सुरक्षा संबंधित मामलों में बड़ा फैसला लेते हुए केंद्र सरकार ने दूसरे सीडीएस की नियुक्ति की घोषणा कर दी है। सरकार की तरफ से जारी अधिसूचना के अनुसार लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान देश के दूसरे सीडीएस के रूप में पदभार ग्रहण करेंगे। केंद्र सरकार ने लगभग 10 माह बाद रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान को देश का अगला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) नियुक्त किया है। वे भारत सरकार के मिलिट्री ऑफ अफेयर्स के सचिव का भी पद संभालेंगे।
बता दें, लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान 30 सितंबर को अपना पदभार संभालेंगे। लगभग 40 वर्षों से अधिक के करियर में, लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान अनेक कमांड, स्टाफ और सहायक पदों पर रहे हैं और जम्मू-कश्मीर तथा उत्तर-पूर्व भारत में आतंकवाद विरोधी अभियानों में भी उन्हें व्यापक अनुभव रहा है।
मिलिट्री ऑफ अफेयर्स के सचिव का भी संभालेंगे पद
पूर्व सीडीएस जनरल बिपिन रावत के हवाई दुर्घटना में निधन के बाद आखिरकार देश को दूसरा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) मिल गया। केंद्र सरकार ने सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान के नाम पर मुहर लगा दी है। वह सैन्य मामलों के विभाग के सचिव के रूप में भी कार्य करेंगे। सीडीएस की नियुक्ति सैन्य मामलों के विभाग के सचिव के तौर पर होती है, जो वर्तमान में अतिरिक्त सचिव रैंक के तहत काम करता है। सीडीएस एकीकृत डिफेंस स्टाफ का अध्यक्ष भी होता है। सरकार ने सीडीएस को रक्षा कार्यक्रमों में ‘मेक इन इंडिया’ का प्रभारी भी बनाया है, जो उनके कार्यभार ग्रहण करने की तिथि और अगले आदेश तक भारत सरकार के सैन्य मामलों से जुड़े विभाग के सचिव के रूप में भी कार्य करेंगे।
कैसा रहा सैन्य करियर ?
18 मई 1961 को जन्मे लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान को 1981 में भारतीय सेना की 11 गोरखा राइफल्स में कमीशन प्रदान किया गया था। वे राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवासला और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून के पूर्व छात्र हैं। मेजर जनरल के रैंक में उन्होंने उत्तरी कमान में महत्वपूर्ण बारामुला सेक्टर में एक इन्फैंट्री डिवीजन की कमान संभाली थी। बाद में लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में, उन्होंने उत्तर-पूर्व में एक कोर की कमान संभाली और बाद में सितंबर 2019 से पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ बने तथा मई 2021 में सेवा से अपनी सेवानिवृत्ति तक उन्होंने पदभार संभाला।
सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद भी उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक मामलों में योगदान देना जारी रखा। सेना में लगभग 40 वर्षों से अधिक के करियर में उन्हें जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व भारत में आतंकवाद विरोधी अभियानों में व्यापक अनुभव है। 18 मई, 1961 को जन्मे लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान को 1981 में भारतीय सेना की 11 गोरखा राइफल्स में कमीशन दिया गया था।
शानदार सेवा के लिए कई पदकों से सम्मानित
सेना में उनकी विशिष्ट और शानदार सेवा के लिए परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, सेना पदक और विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया। लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान ने सेना की उत्तरी कमान में महत्वपूर्ण बारामुला सेक्टर में एक इन्फैंट्री डिवीजन की कमान संभाली थी। बाद में लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में उन्होंने उत्तर पूर्व में एक कोर की कमान संभाली। इसके बाद सितंबर, 2019 से पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ बने और मई 2021 में सेवा से अपनी सेवानिवृत्ति तक पदभार संभाला। इससे पहले उन्होंने अंगोला में संयुक्त राष्ट्र मिशन के लिए भी काम किया था।
क्यों किया गया सीडीएस पद का सृजन ?
सीडीएस का पद 2019 में लेफ्टिनेंट जनरल डीबी शेकतकर की अध्यक्षता में रक्षा विशेषज्ञों की एक समिति की सिफारिशों पर बनाया गया था। जनरल बिपिन रावत ने भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के रूप में पदभार संभाला और सैन्य मामलों के नवनिर्मित विभाग के प्रमुख बने थे। समिति की सिफारिशों में यह बताया गया था कि सीडीएस तीनों सेनाओं से संबंधित सभी मामलों में रक्षा मंत्री के प्रमुख सैन्य सलाहकार होंगे। सीडीएस किसी भी सैन्य कमान का प्रयोग नहीं कर सकते, जिसमें तीन से अधिक सेना प्रमुख शामिल हैं। ऐसा इसलिए किया गया ताकि राजनीतिक नेतृत्व को निष्पक्ष सलाह देने में सक्षम हो सके। सैन्य मामलों के विभाग का नेतृत्व करने के अलावा सीडीएस चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (सीओएससी) के स्थायी अध्यक्ष की टोपी भी संभालेंगे। यह संयुक्त/थिएटर कमांड की स्थापना सहित संचालन में संयुक्तता लाकर संसाधनों के इष्टतम उपयोग के लिए सैन्य कमानों के पुनर्गठन की सुविधा भी प्रदान करेगा।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के प्रमुख कार्य
सुरक्षाबलों के तीनों सेवाओं के संचालन, रसद, परिवहन, प्रशिक्षण, सहायता सेवाओं, संचार, मरम्मत और रखरखाव आदि में संयुक्तता लाने के लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानि सीडीएस की नियुक्ति की जाती है। सीडीएस मुख्य रूप से सभी त्रि-सेवा मामलों पर रक्षा मंत्री के प्रधान सैन्य सलाहकार के रूप में कार्य करने के साथ-साथ रक्षा मंत्रालय में सैन्य मामलों के विभाग का प्रमुख और इसके सचिव के रूप में कार्यरत होते हैं। सीडीएस के कार्यों में सैन्य मामलों के विभाग के साथ-साथ ‘संयुक्त/थिएटर कमांड की स्थापना सहित संचालन में संयुक्तता लाकर संसाधनों के सर्वोत्तम उपयोग के लिए सैन्य कमानों के पुनर्गठन की सुविधा’ शामिल है। इन प्रमुख कार्यों के साथ सीडीएस कई अन्य मामलों में भी कार्यरत रहते हैं:
– चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के स्थायी अध्यक्ष के रूप में कार्य करना
– त्रि-सेवा संगठनों/एजेंसियों/आदेशों का प्रशासन करना
– परमाणु कमान प्राधिकरण के सैन्य सलाहकार के रूप में कार्य करना
– बुनियादी ढांचे का सर्वोत्तम उपयोग सुनिश्चित करना और सेवाओं के बीच संयुक्तता के माध्यम से इसे आसान बनाना
– एकीकृत क्षमता विकास योजना के अनुवर्तन के रूप में पंचवर्षीय रक्षा पूंजी अधिग्रहण योजना और दो वर्षीय रोल-ऑन वार्षिक अधिग्रहण योजनाओं को लागू करना
– गैरजरूरी खर्च को कम करके सशस्त्र बलों की युद्धक क्षमताओं को बढ़ाने के उद्देश्य से तीनों सेनाओं के कामकाज में सुधार लाना
हवाई दुर्घटना में पूर्व सीडीएस हुआ था निधन
देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत का पिछले साल 08 दिसंबर को एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में निधन होने के बाद केंद्र सरकार ने खाली पड़े इस पद पर नियुक्ति के लिए रक्षा बलों के नियमों में बड़ा बदलाव किया था। रक्षा मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया था कि 62 वर्ष से कम आयु का कोई भी सेवारत या सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल, एयर मार्शल और वाइस एडमिरल चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के पद के लिए पात्र होंगे। इसीलिए नए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की नियुक्ति के लिए केंद्र सरकार सेवारत और सेवानिवृत्त, दोनों तरह के सैन्य अधिकारियों के नाम पर विचार कर रही थी।