ANews Office: साल 2020 में कुल 6 ग्रहण लगे, जिनमें 4 चंद्र ग्रहण और 2 सूर्य ग्रहण हैं। पूरा साल खगोलीय घटनाओं से भरपूर रहा और पृथ्वी के वातावरण एवं मानव जीवन पर उसका पूर्ण प्रभाव भी देखने को मिला। गत 30 नवम्बर को उपच्छाया चंद्र ग्रहण लगा तो कई जगह समुद्री तूफान आए। भारतीय समयानुसार अब सूर्य ग्रहण 14 दिसम्बर की सायं 7 बजकर 2 मिनट से लेकर 15 दिसम्बर की सुबह 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। यह भारत में नहीं दिखेगा अपितु दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, मेक्सिको, सउदी अरब, कतर, मलेशिया, ओमान, सिंगापुर, श्रीलंका, हिंद व प्रशांत महासागर आदि में दृश्य होगा।
चूंकि भारत में उस समय रात होगी, इसलिए यह दिखाई नहीं देगा। अतः धार्मिक दृष्टि से सूतक या दान आदि या महिलाओं को इस विषय में कोई सावधानी बरतने की आवश्यकता नहीं है। जिन देशों में यह सूर्य ग्रहण दिखेगा, वहां रह रहे अपनों को जरूर इसकी सावधानियों के प्रति सचेत कर सकते हैं। भले ही भारत में इस सूर्य ग्रहण का धार्मिक महत्व न हो परंतु कोई भी ग्रहण हो, ज्योतिष के अनुसार उसका असर पृथ्वी तथा धरती वासियों पर पड़ता अवश्य है और इसे जानने के लिए यह देखना आवश्यक होता है कि यह किस राशि में लग रहा है ?
यह ग्रहण वृश्चिक राशि, ज्येष्ठा नक्षत्र, शूल योग और धनु संक्रांति में पड़ रहा है। सूर्य 15 दिसम्बर से 14 जनवरी तक धनु राशि में रहेगा। इस धनु राशि में जन्मे लोगों को सावधानी बरतनी होगी। इस दिन सूर्य के साथ 5 ग्रह चंद्र, बुध, शुक्र, केतु साथ होंगे, जिन्हें राहू देख रहा है। एक प्रकार से यह आंशिक काल सर्प योग भी है। चंद्र नीच राशि में और अस्त हैं, जबकि नीचस्थ गुरु, शनि के साथ हैं। इन सभी ग्रहों तथा सूर्य ग्रहण का धरती पर कैसा प्रभाव पड़ेगा ?
राजनीतिक पटल
यदि भारत की बात की जाए तो सबसे अधिक दुष्प्रभाव रहेगा प्रधानमंत्री पर, जिनकी अपनी जन्म राशि और लग्न भी वृश्चिक है, जिसमें ग्रहण लग रहा है। यही नहीं, पुरातन इंद्रप्रस्थ, जो आज दिल्ली-एनसीआर कहलाता है, उसकी राशि भी वृश्चिक ही है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार सभी ग्रहणों का असर उनके आरंभ होने से 41 दिन पहले दिखना शुरू हो जाता है और 41 दिन बाद तक रहता है। 2020 में 6 ग्रहणों का प्रभाव, 30 नवम्बर का चंद्र ग्रहण और 14 दिसम्बर के सूर्य ग्रहण के मध्य बहुत कम अंतर आग में घी डालने का काम करेगा। पूरे विश्व में इसका प्रभाव कोरोना दिखा ही रहा है और बड़े-बड़े देशों में राजनीतिक उथल-पुथल देखने को मिल रही है। अमेरिका में आशा के विपरीत सत्ता परिवर्तन हुआ। पाकिस्तान में अपेक्षित है। भारत के कई राज्यों में इसकी शुरुआत हो चुकी है।
आने वाले 3 महीने भारत के लिए बहुत क्रांतिकारी, परिवर्तनकारी सिद्ध होंगे। किसान आंदोलन देश को 3 महीनों तक अत्यंत प्रभावित करेगा। यही नहीं, राजनीतिक उपद्रव, धार्मिक उन्माद, लेबर क्लास द्वारा हड़ताल, बैंकिंग क्षेत्र में असंतोष, अधिक ठंड से जनहानि तथा प्राकृतिक आपदाओं का जोर रहने की पूर्ण संभावना बनी रहेगी। भारत के प्रधानमंत्री ही नहीं, बल्कि अमेरिकी राष्ट्रपति भी आंतरिक जन आंदोलनों से परेशान दिखेंगे।
रसायन इंडस्ट्री
चंद्र- बुध की युति वृश्चिक राशि में केमीकल इंडस्ट्री व दवा कंपनियों में अभूतपूर्व परिवर्तन दर्शा रही है। नए अनुसंधानों से आम जनता लाभान्वित होगी। यह साफ तौर से कोरोना की वैक्सीन से आम लोगों को फायदा पहुंचने का संकेत है। ज्योतिष शास्त्र में वृश्चिक राशि का संबंध रसायन शास्त्र से है औेर इसी में ग्रहण का अर्थ है किसी आविष्कार का अचानक सफल हो जाना। अतः चिरप्रतीक्षित कोरोना वैक्सीन विश्व के लिए संजीवनी सिद्ध होगी और 6 अप्रैल 2021से जब गुरु-शनि की जुगलबंदी टूटेगी, कोरोना का प्रभाव कम होना आरंभ हो जाएगा। गुरु नीच रहने के कारण बड़े राजनेताओं, बडे़ उद्योगपतियों, प्रबंधकों के व्यक्तिगत जीवन व उनके कार्यकलापों तथा राजनीतिक कैरियर पर भी ग्रहण लग सकता है। कई राजनीतिक स्कैंडल उजागर होंगे । हमें 3 महीनों में किसी बड़े़ सेलिब्रिटी का वियोग भी सहना पड़ सकता है। बुध ग्रह मीडिया का परिचायक भी है, जो ग्रहण के प्रभाव में रहेगा। बड़े टीवी चैनल्ज, मीडिया कर्मी प्रभावित होंगे। इन्हें अपने व्यक्तिगत जीवन में कार्य क्षेत्र एवं कानूनी पचड़ों से सावधान रहना चाहिए।
प्राकृतिक आपदाएं
ग्रहण कभी भी प्राकृतिक आपदाएं लाए बिना नहीं रहते। चूंकि ग्रहण के समय चंद्र नीच व अस्त होने के साथ-साथ सूर्य ग्रहण के मध्य भी है, इसलिए तटीय क्षेत्रों में सुनामी तथा भूकंप संभावित हैं। आशा है कि भारत इस बार भूकंप से बचा रहेगा।
– मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्, 9815619620
458, सैक्टर-10, पंचकूला
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