जानें, कहां है वो स्थान जहां ‘राजा’ के रूप में पूजे जाते हैं भगवान राम, बड़ा रोचक है इसका इतिहास

CHANDIGARH, 24 OCTOBER: देश में आज 24 अक्टूबर 2022 को दीपावली का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस दिन पूरे देश में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की पूजा अर्चना की जाती है। इस करके हमारे देश में भगवान राम के कई ऐसे प्राचीन और भव्य मंदिर है, जहां इस दिन अनेक मनोरम दृश्य देखने को मिलता है। लेकिन देश में ही एक स्थान ऐसा भी है जहां श्रीराम की पूजा विचित्र रूप में की जाती है।

यहां विचित्र ढंग से होती है भगवान राम की पूजा

जी हां, यह देश का एकमात्र मंदिर है जहां भगवान राम की पूजा बड़े ही विचित्र तरीके से की जाती है। दरअसल यहां भगवान राम एक ‘राजा’ के रूप में पूजे जाते हैं। यहां के लोग उनके राजपाठ को यहां आज भी जीवंत रूप में मानते हैं। कहा यह भी जाता है कि यहां का पुलिस महकमा भी सुबह-शाम राजा राम को सलामी देती है। यही वजह है कि इस मंदिर में दूर-दूर से भक्त राजा राम का सम्मान देखने आते हैं। ऐसा क्यों किया जाता है यह जानना भी दिलचस्प है। दरअसल इसके पीछे भी एक रोचक इतिहास जुड़ा बताया जाता है। आइए विस्तार से जानते हैं इसके बारे में…

कहां स्थित है ये मंदिर ?

मध्य प्रदेश के ओरछा स्थित राजा राम मंदिर की अपनी इसी खासियत के चलते विश्व भर में काफी प्रसिद्धी है। इसकी कहानी जो कोई सुनता है उसे इसमें काफी रोचकता नजर आने लगती है। मान्यता है कि इस जगह पर भगवान राम महारानी की जिद के आगे झुक कर पहुंचे थे, जिसके बाद से यहां पर श्रीराम की पूजा की जाने लगी।

कई कहानियां व लोक कथाएं भी प्रचलित

ओरछा के इस मंदिर को लेकर ऐसी ही कई कहानियां व लोककथाएं प्रचलित हैं। इनमें से एक कहानी ये है कि एक बार भगवान राम ने ओरछा के राजा मधुकरशाह को सपने में दर्शन दिए थे, जिसके बाद वह राजा भगवान श्रीराम के आदेश पर अयोध्या से उनकी प्रतिमा लाए थे। वहीं राजा ने मूर्ति को मंदिर में स्थापित करने से पहले एक जगह पर रखा था और जब प्राण-प्रतिष्ठा के वक्त मूर्ति को वहां से हटाया जाने लगा तो वे ऐसा नहीं कर पाए। तभी राजा को भगवान का निर्देश याद आया कि वो जिस स्थान पर विराजमान हो जाएंगे वहां से हटाए नहीं जा सकेंगे। यही वजह है कि रामलला आज भी सरकार महल में विराजे हैं।

यहां आज भी चलता है राम राज

वहीं मंदिर की एक कथा ये भी है कि एक बार यहां के राजा मधुकरशाह ने अपनी पत्नी गणेशकुंवरी से वृंदावन चलने के लिए कहा था लेकिन रानी हर वक्त भगवान राम की भक्ति में लीन रहती थी। इसलिए उन्होंने महाराज के साथ जाने से इनकार कर दिया। महारानी के इनकार पर राजा ने उन्हें गुस्से में कहा कि, अगर तुम इतनी ही बड़ी रामभक्त हो तो अपने राम को ओरछा में लाकर दिखाओ। राजा की बात सुनकर रानी ने अयोध्या के सरयू तट पर साधना शुरू की। जहां उन्हें संत तुलसीदास का आशीर्वाद भी मिला।

वहीं जब रानी की कई महीनों की तपस्या के बाद जब राम जी ने उन्हें दर्शन नहीं दिए तो वो हताश होकर नदी में कूद गई, जिसके बाद उन्हें रामजी के दर्शन हुए।

इस दौरान रानी ने भगवान राम से ओरछा चलने का निवेदन किया, लेकिन रानी की बात सुनकर भगवान राम ने उनके सामने एक शर्त रखी। भगवान राम ने कहा कि, वो ओरछा तभी जाएंगे जब वहां सत्ता और राजशाही होगी। इसी के बाद महाराजा मधुकरशाह ने ओरछा में रामराज की स्थापना की जो आज भी मौजूद है।

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