NEW DELHI, 30 JULY: द्रोपदी मुर्मु देश की 15वीं राष्ट्रपति बन गई हैं। द्रौपदी मुर्मू आजादी के बाद पैदा होने वाली पहली और शीर्ष पद पर काबिज होने वाली सबसे कम उम्र की शख्सियत बन गई हैं। प्रतिभा पाटिल के बाद मुर्मु देश की दूसरी महिला और प्रथम आदिवासी महिला राष्ट्रपति हैं। राष्ट्रपति बनने के बाद द्रौपदी मुर्मु के साथ कई शक्तियां और अधिकार भी स्वत: आ गए हैं, आइए जानते हैं क्या है राष्ट्रपति की शक्तियां- अधिकार और कितने दिन का होता है कार्यकाल।
राष्ट्रपति की सैलरी व भत्ते
राष्ट्रपति की सैलरी 5 लाख प्रतिमाह है, राष्ट्रपति के वेतन पर कोई टैक्स नहीं लगता है। इसके अलावा आजीवन मुफ्त चिकित्सा सुविधाएं, आवास व संसद द्वारा स्वीकृत अन्य भत्ते प्राप्त होते हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 59 के अनुसार, राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान सैलरी तथा भत्ते में किसी प्रकार की कमी नहीं की जा सकती है।
राष्ट्रपति की शक्तियां एवं अधिकार
भारत के राष्ट्रपति की कई प्रकार की शक्तियां एवं अधिकार होते हैं जैसे-
कार्यपालिका शक्ति
इसके तहत राष्ट्रपति कई पदों पर नियुक्ति करने का अधिकार होता है।
-प्रधानमंत्री के सलाहकार मंत्रीपरिषद के अन्य सदस्य
-सर्वोच्च एवं उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
-भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक
-भारत के महान्यायवादी
-राज्यों के राज्यपाल
-मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्त
-संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों
-वित्त आयोग, भाषा आयोग, पिछड़ा वर्ग आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग, मानवाधिकार आयोग, अल्पसंख्यक आयोग एवं अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में रिपोर्ट देने वाले आयोग के सदस्यों को नियुक्त करने का अधिकार होता है।
विधायी शक्तियां
राष्ट्रपति लोकसभा के प्रथम सत्र को संबोधित करते हैं व संयुक्त अधिवेशन बुलाकर भाषण देने की शक्तियां भी प्राप्त है। राष्ट्रपति को संसद सत्र आहूत, सत्रावसान करना एवं लोकसभा को भंग करने की शक्ति भी रखता है। नए राज्यों के निर्माण राज्य की सीमा में परिवर्तन संबंधित विधेयक, धन विधेयक या संचित निधि से व्यय करने वाला विधेयक एवं राज्य हित से जुड़े विधेयक बिना राष्ट्रपति के पूर्व अनुमति के संसद में प्रस्तुत नहीं होते हैं। राष्ट्रपति लोकसभा के लिए आंग्ल भारतीय समुदाय से 2 सदस्य तथा राज्यसभा के लिए कला, साहित्य, विज्ञान, समाज सेवा क्षेत्र के 12 सदस्यों को मनोनीत करने का शक्तियां प्राप्त है।
न्यायिक शक्तियां
राष्ट्रपति को किसी अपराधी को सजा को क्षमा करने, उसका प्रविलंवन करने, संशोधन और सजा कम करने का अधिकार प्राप्त है। राष्ट्रपति को मृत्युदंड माफ करने का भी अधिकार प्राप्त है। राष्ट्रपति, सजा या कोर्ट मार्शल की सजा को माफ कर सकता है।
राष्ट्रपति की सैन्य शक्तियां
भारत के राष्ट्रपति के पास सैन्य बलों की सर्वोच्च कमांडर होता है। राष्ट्रपति को युद्ध और शांति की घोषणा करने तथा सैन्य बलों को विस्तार करने हेतु आदेश देने की शक्ति प्राप्त है।
आपातकालीन शक्तियां
भारतीय संविधान में राष्ट्रपति को तीन स्थितियों में आपातकालीन शक्तियां प्राप्त है-
–अनुच्छेद 352 – देश में युद्ध बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में राष्ट्रपति को यह शक्ति प्राप्त है कि पूरे भारत या किसी एक भाग की सुरक्षा खतरे में है, तो वह पूरे भारत या किसी भाग में आपातकाल घोषणा कर सकता है। हालांकि अगर यह 1 माह के बाद संसद से अनुमोदित ना हो, तो स्वत: समाप्त हो जाती है। इस तरह की घोषणा को संसद के दो तिहाई बहुमत से पास होना आवश्यक होता है।
–अनुच्छेद 356- इसके अंतर्गत यदि कोई राज्य सरकार संवैधानिक नियमों के अनुरूप कार्य नहीं कर रही है, तो वहां राष्ट्रपति शासन लगा सकता है। इसे संसद द्वारा 2 माह के भीतर अनुमोदन करना आवश्यक होता है।
–अनुच्छेद 360- अनुच्छेद 360 के अंतर्गत देश में आर्थिक संकट की स्थिति में राष्ट्रपति अपनी विशिष्ट शक्तियों का प्रयोग कर वित्तीय आपात की घोषणा कर सकता है।
राष्ट्रपति की विटों शक्तियां
पूर्व वीटो
इस वीटो शक्ति के तहत राष्ट्रपति किसी विधेयक पर अपनी अनुमति नहीं देता है, अर्थात वह अपनी अनुमति को सुरक्षित रख सकता है।
निलंबित वीटो
इस वीटो शक्ति के अंतर्गत राष्ट्रपति किसी विधेयक को संसद के पास पुनर्विचार हेतु भेज सकता है।
पॉकेट वीटो
इस वीटो शक्ति के तहत राष्ट्रपति किसी विधेयक पर न अनुमति देता है, न ही अनुमति देने से इनकार करता है और न ही पुनर्विचार हेतु संसद के पास भेजता है। यानि किसी विधेयक को अनिश्चितकाल के लिए अपने पास सुरक्षित रख सकता है।
राष्ट्रपति का कार्यकाल
देश के राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्षों का होता है, हालांकि राष्ट्रपति अपने पद पर तबतक बना रहेगा, जबतक की उसका उत्तराधिकारी पद ग्रहण नहीं कर लेता। अगर राष्ट्रपति का पद मृत्यु, त्याग पत्र या महाभियोग की वजह से खाली हो जाता है, तो इस स्थिति में नए राष्ट्रपति का चुनाव 5 वर्षों के लिए ही होता है, ना कि शेष अवधि के लिए। इसके अलावा खाली पद पर चुनाव 6 महीने के भीतर कराया जाता है। वैसे अगर राष्ट्रपति का पद मृत्यु त्याग पत्र अथवा पद से हटाए जाने के कारण रिक्त होता है, तो उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है।