45 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए भी वैक्सीन की कमी के चलते सिर्फ़ कुछ टीकाकरण केंद्र चालू
CHANDIGARH: राज्य को मई माह के लिए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा 18 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए सिर्फ़ 3.30 लाख वैक्सीन मिलने के मद्देनजऱ मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने सोमवार को आदेश दिए हैं कि 70 प्रतिशत ख़ुराकें सह-रोगों से पीडि़त व्यक्तियों के लिए आरक्षित रखी जाएं और बाकी 30 प्रतिशत इसी आयु वर्ग के उच्च जोखिम श्रेणी में आने वाले कामगारों और कर्मचारियों के लिए इस्तेमाल की जाएँ।
एक उच्च स्तरीय वर्चुअल समीक्षा मीटिंग की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि इन आयु वर्गों में जिलेवार वितरण को प्राथमिकता दी गई है जो कि जनसंख्या सूची, मृत्युदर और घनत्व आदि पक्षों पर आधारित है। सप्लाई संबंधी मुश्किलों को देखते हुए यह फ़ैसला किया गया है कि इस पड़ाव के दौरान 18-44 वर्ष आयु वर्ग के लिए टीकाकरण बड़े शहरी केन्द्रों तक ही सीमित रखा जाये। मुख्यमंत्री ने इस संबंधी भी चिंता ज़ाहिर की कि 45 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लिए भी राज्य के पास वैक्सीन की कमी है जिसके नतीजे के तौर पर मौजूदा समय में थोड़ी संख्या में ही टीकाकरण केंद्र चालू हैं।
राज्य को कल 45 वर्ष से अधिक आयु वर्ग की श्रेणी के टीकाकरण के लिए 2 लाख से अधिक ख़ुराकें मिलने की आशा है। अभी तक हासिल हुई कोवीशील्ड की 3346500 ख़ुराकों में से कुल 3291450 को इस्तेमाल किया जा चुका है।
मई माह के लिए 18-44 वर्ष आयु वर्ग के लिए सबसे अधिक 50 प्रतिशत अलॉटमेंट सबसे ज़्यादा प्रभावित जिलों के वर्ग ‘ए में आते साहिबज़ादा अजीत सिंह नगर, जालंधर, लुधियाना, अमृतसर, बठिंडा और पटियाला के लिए प्राथमिकता के आधार पर की जायेगी। बाकी की 30 प्रतिशत ख़ुराकें वर्ग ‘बी अधीन आते जिलों होशियारपुर, पठानकोट, शहीद भगत सिंह नगर, फरीदकोट, कपूरथला और गुरदासपुर के लिए आरक्षित रखी गई हैं जबकि 20 प्रतिशत ख़ुराकें उन जिलों के लिए इस्तेमाल कीं जाएंगी जहाँ ऐसे कोविड के काफ़ी कम मामले सामने आए हैं। ख़ुराकों का आवंटन जोन ए और बी के अंतर्गत आते बड़े शहरी क्षेत्रों की आबादी के अनुपात को ध्यान में रखते हुए की गई है जबकि जोन सी के अंतर्गत हर जिले के लिए एक सामान आवंटन किया गया है।
मीटिंग के बाद एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि ये फ़ैसले राज्य की वैक्सीन माहिर समिति द्वारा मई माह के लिए सुझाई गई रणनीति के अनुसार लिए गए हैं। समिति द्वारा यह सिफारिश की गई है कि जब और अधिक ख़ुराक उपलब्ध हो जाये या जब महामारी संबंधी स्थिति में बदलाव आए तो प्राथमिकता मापदण्डों को सुधारा जा सकता है। इस समिति में डॉ. गगनदीप कंग, डॉ. जैकब जोहन और डॉ. राजेश कुमार शामिल हैं।
समिति की सिफारिशों को मानते हुए मुख्यमंत्री ने सह-रोगों की सूची का दायरा बढ़ाने को मंज़ूरी देकर इसमें मोटापा (बीएमआई 30 से कम), विकलांगता (जैसे कि रीढ़ की हड्डी की चोट) और कई सह-रोगों, जोकि केंद्र सरकार द्वारा दिखाईं गए सह-रोगों से अलग हैं, को शामिल किये जाने को मंजूरी दे दी। उन्होंने यह भी कहा कि सह-रोगों वाले व्यक्तियों को गंभीर रोगों और मौत के पेश सबसे ज़्यादा खतरे के मद्देनजऱ यह ज़रूरी है कि इन व्यक्तियों का प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण किया जाये।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि बाकी के 30 प्रतिशत व्यक्तियों के लिए बनायी गई योजना में खतरे से जूझ रहे पेशेवरों की एक सूची शामिल है और वैक्सीन की सीमित संख्या में उपलब्धता को देखते हुए मई माह के लिए शीर्ष तीन श्रेणियों को चुना गया है। 1. सरकारी कर्मचारी 2. निर्माण कामगार 3. सरकारी और निजी शिक्षण संस्थानों में काम करते अध्यापक और अन्य अमला जिनको अधिक संख्या में लोगों के साथ संपर्क में आने के कारण रोग का ख़तरा है और जिनसे यह रोग दूसरों में फैल सकता है।
ध्यान देने वाली बात है कि पंजाब सरकार ने 18-44 आयु वर्ग के लिए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया लि. को 30 लाख ख़ुराक तुरंत मुहैया किये जाने का ऑर्डर दिया है परन्तु सरकार को सूचित किया गया है कि मई, 2021 के महीने के लिए 18-44 आयु वर्ग के व्यक्तियों के लिए सिर्फ़ 3.30 लाख ख़ुराकें ही मुहैया करवाई जा सकतीं हैं।
सप्लाई में तेज़ी लाने के लिए वैक्सीन माहिर समिति ने सिफारिश की है कि निजी क्षेत्र और अन्य स्रोतों के साथ भागीदारी करके अधिक ख़ुराकों की माँग की जाये जिससे मई महीने के दौरान उपलब्ध ख़ुराकों का आवंटन हो सके। समिति द्वारा यह भी सुझाव दिया गया कि राज्य सरकार को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के वैक्सीन माहिरों के साथ परामर्श करके कोवीशील्ड और अन्य वैक्सीनों के लिए ख़ुराक रणनीति बनानी चाहिए क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती आबादी को इसके अंतर्गत लाने और इसके प्रभाव संबंधी काफ़ी तजुर्बे हुए हैं।
इसके अलावा समिति ने यह भी सिफारिश की कि प्राथमिक समूहों, सह-रोग वालों और आम लोगों के लिए वैक्सीन के ठोस प्रभाव का मुल्यांकन करने हेतु एक योजना बनाई जाये। इस कदम से इस रोग को रोकने की अन्य विधियां तैयार करने में मदद मिलेगी और राज्य के लिए इस महामारी के साथ लडऩे की योजनाबंदी को तरतीब मिलेगी।