कहा-पंजाब द्वारा पास किए बिलों को नाटक कहकर दिल्ली के मुख्यमंत्री ने प्रांतीय विधानसभा की तौहीन की
कैबिनेट मंत्री रंधावा और विधायकों ने पंजाब की आप यूनिट को आत्मसम्मान और गैरत के साथ फैसले लेने की चुनौती दी
CHANDIGARH: कांग्रेसी नेताओं ने अरविन्द केजरीवाल की तरफ से पंजाब विधानसभा द्वारापास किये बिलों को नाटक कहने से एक बार फिर से यह सिद्ध हो गया है कि आम आदमी पार्टी का पंजाब और पंजाब के हितों के साथ दूर -दूर तक कोई संबंध नहीं।
कैबिनेट मंत्री सुखजिन्दर सिंह रंधावा और विधायकों दर्शन सिंह बराड़, कुलबीर सिंह ज़ीरा, बरिन्दरमीत सिंह पाहड़ा और प्रीतम सिंह कोटभाई ने कहा कि केजरीवाल को ख़ुद एक राज्य का मुख्यमंत्री होते हुए इस बात का भी इल्म नहीं कि कृषि एक प्रांतीय विषय है जिस बारे कोई भी कानून बनाने का राज्यों को पूरा हक है।
उन्होंने कहा कि केजरीवाल की इस टिप्पणी ने प्रांतीय विधानसभा का अपमान किया है।कांग्रेसी नेता केजरीवाल की तरफ से किये ट्वीट पर प्रतिक्रिया दे रहे थे जिसमें उन्होंने राज्य सरकार द्वारा पास किये बिलों को नाटक करार देते हुए राज्यों के अधिकारों की खिल्ली उड़ायी।
कांग्रेसी नेताओं ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री की तरफ से पंजाब विधानसभा के सर्वसम्मति से किये फ़ैसले की आलोचना करने से यह भी साफ़ हो गया कि आप का पंजाब यूनिट दिल्ली के नेताओं की कठपुतली है।
कल इसी पार्टी ने बिलों की हिमायत की और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के साथ राज्यपाल को मिले प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा भी बने। अब जब दिल्ली वालों ने एक ईशारा किया तो विपक्ष के नेता ने भी यू टर्न ले लिया।
कैबिनेट मंत्री और विधायकों ने कहा कि केजरीवाल की तरफ से पंजाब की पीठ में यह पहली बार छूरा नहीं घौंपा गया था बल्कि वह कई बार पंजाब विरोधी बयान दे चुके हैं। यही केजरीवाल है जिसने दिल्ली जाकर पंजाब के पानी पर बुरी नज़र रखी। दिल्ली के प्रदूषण के लिए पंजाब के किसानों को जि़म्मेदार ठहराया।
उन्होंने कहा कि जब किसान यूनियनें राज्य सरकार की तरफ से लाए बिलों की हिमायत कर रही हैं तो केजरीवाल कौन होता है सर्टिफिकेट देने वाला। उन्होंने केजरीवाल को चुनौती दी कि यदि उसे राज्य सरकार का नाटक लगता है तो वह ख़ुद दिल्ली विधानसभा में कोई बिल लाए और उदाहरण पेश करे।
कांग्रेसी नेताओं ने पंजाब के आप नेताओं को चुनौती देते हुए कहा कि यदि उनमें आत्म सम्मान या ग़ैरत है तो दिल्ली के मुख्यमंत्री की तरफ से बिलों के विरोध में किये ट्वीट की निंदा करें। उन्होंने कहा कि यह कैप्टन अमरिन्दर सिंह ही थे जिन्होंने अपनी हाईकमान और केंद्र में बैठी कांग्रेस के नेतृत्व वाली यू.पी.ए. सरकार की भी परवाह न करते हुए 2004 में पानी के समझौते रद्द कर दिए थे।