ANews office: कार्तिक कृष्ण पक्ष में करक चतुर्थी अर्थात करवा चौथ का लोकप्रिय व्रत सुहागिन और अविवाहित स्त्रियां पति की मंगल कामना एवं दीर्घायु के लिए निर्जल रखती हैं। इस दिन न केवल चंद्र देवता की पूजा होती है, अपितु शिव-पार्वती और कार्तिकेय की भी पूजा की जाती है। इस दिन विवाहित महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए गौरी पूजन का भी विशेष महात्म्य है। आधुनिक युग में चांद से जुड़ा यह पौराणिक पर्व महिला दिवस से कम नहीं है, जिसे पति व मंगेतर अपनी-अपनी आस्थानुसार मनाते हैं।
विवाहित महिलाएं पति की दीर्घ आयु के लिए करवा चौथ का व्रत और इसकी रस्मों को पूरी निष्ठा से करती हैं। विवाहित महिलाएं भगवान शिव-माता पार्वती और कार्तिकेय के साथ-साथ भगवान गणेश की भी पूजा करती हैं और अपने व्रत को चन्द्रमा के दर्शन और उनको अर्घ्य अर्पण करने के बाद ही तोड़ती हैं। करवा चौथ का व्रत कठोर होता है और इसे अन्न-जल ग्रहण किए बिना ही सूर्योदय से रात में चन्द्रमा के दर्शन तक किया जाता है।
करवा चौथ के दिन को करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। करवा या करक मिट्टी के पात्र को कहते हैं, जिससे चन्द्रमा को जल अर्पण, जो कि अर्घ्य कहलाता है, किया जाता है। पूजा के दौरान करवा बहुत महत्वपूर्ण होता है और इसे ब्राह्मण या किसी योग्य महिला को दान में भी दिया जाता है।
करवा चौथ पूजा मुहूर्त: 17:29 से 18:48
चंद्रोदय: पंचांगानुसार रात्रि 8 बजकर 15 मिनट पर
कई नगरों में यह पौने 9 से 9 बजे केे मध्य दिखेगा। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक चंडीगढ़, पंचकूला व मोहाली में 08.09 बजे चांद का दीदार होगा।
चतुर्थी तिथि आरंभ: 03:24 बजे से (4 नवंबर)
चतुर्थी तिथि समाप्त: 05:14 बजे (5 नवंबर)
क्या है सरगी का वैज्ञानिक आधार?
व्रत रखने वाली महिलाओं को उनकी सास सूर्योदय से पूर्व सरगी ‘सदा सुहागिन रहोÓ के आशीर्वाद सहित खाने के लिए देती हैं, जिसमें फल, मिठाई, मेवे, मटिठ्यां, सिवइयां, आलू से बनी कोई सामग्री, पूरी आदि होती हैं। यह खाद्य सामग्री शरीर को पूरा दिन निर्जल रहने और शारीरिक आवश्यकता को पर्याप्त ऊर्जा प्रदान करने में सक्षम होती है। फल में छिपा विटामिन युक्त तरल दिन में प्यास से बचाता है। फीकी म_ी ऊर्जा देती है और रक्तचाप बढऩे नहीं देती। मेवे आने वाली सर्दी को सहने के लिए शारीरिक क्षमता बढ़ाते हैं। मिठाई सास-बहू के संबंधों में मधुरता लाने का जहां प्रतीक है, वहीं यह व्रत के कारण शुगर का स्तर घटने नहीं देती, जिससे शरीर पूरी क्षमता से कार्य करता है और व्रत बिना जल पिए सफल हो जाता है। यह व्रत शारीरिक व मानसिक परीक्षा है, ताकि वैवाहिक जीवन में विषम व विपरीत परिस्थितियों में एक अर्धांगनी पति का साथ निभा सके। भूखे-प्यासे और शांत रहने की कला सीखने का यह भारतीय सभ्यता व संस्कृति में पर्व के माध्यम से अनूठा प्रशिक्षण है। चंद्र सौंदर्य एवं मन का कारक ग्रह है। अत: चंद्रोदय पर व्रत खोलने से मन में शीतलता का संचार होता है और सोलह श्रृंगार किए पत्नी को देखकर कुरूपता में भी सौंदर्य बोध होता है।
करवा चौथ की पूजन सामग्री
करवा चौथ के व्रत से एक-दो दिन पहले ही सारी पूजन सामग्री को इकट्ठा करके घर के मंदिर में रख दें। पूजन सामग्री इस प्रकार है- मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, पानी का लोटा, गंगाजल, दीपक, रूई, अगरबत्ती, चंदन, कुमकुम, रोली, अक्षत, फूल, कच्चा दूध, दही, देसी घी, शहद, चीनी, हल्दी, चावल, मिठाई, चीनी का बूरा, मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलवा और दक्षिणा के पैसे।
करवा चौथ की पूजा विधि
- करवा चौथ वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें।
- अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए व्रत का संकल्प लें- ‘मम सुख-सौभाग्य पुत्र-पौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये’
- सूर्योदय से पहले सरगी ग्रहण करें और फिर दिनभर निर्जला व्रत रखें।
- आठ पूरियों की अठावरी बनाएं। मीठे में हलवा या खीर बनाएं और पकवान भी तैयार करें।
- अब पीली मिट्टी और गोबर की मदद से माता पार्वती की प्रतिमा बनाएं। अब इस प्रतिमा को लकड़ी के आसान पर बिठाकर मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी और बिछुआ अर्पित करें।
- जल से भर हुआ लोटा रखें।
- करवा में गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर दें।
- रोली से करवा पर स्वास्तिक बनाएं।
- अब गौरी-गणेश और चित्रित करवा की पूजा करें।
- पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें- ‘ऊॅ नम: शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥’
- करवा पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें।
- कथा सुनने के बाद करवा पर हाथ घुमाकर अपने सभी बड़ों का आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें।
- पानी का लोटा और 13 दाने गेहूं के अलग रख लें।
- चंद्रमा निकलने के बाद छलनी की ओट से पति को देखें और चन्द्रमा को अर्घ्य दें।
- चंद्रमा को अघ्र्य देते वक्त पति की लंबी उम्र और जिंदगीभर आपका साथ बना रहे, इसकी कामना करें।
- अब पति को प्रणाम कर उनसे आशीर्वाद लें और उनके हाथ से जल पीएं। अब पति के साथ बैठकर भोजन करें।
कैसे करें पारंपरिक व्रत?
प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करके पति, पुत्र, पौत्र, पत्नी तथा सुख-सौभाग्य की कामना की इच्छा का संकल्प लेकर निर्जल व्रत रखें। शिव, पार्वती, गणेश व कार्तिकेय की प्रतिमा या चित्र का पूजन करें। बाजार में मिलने वाला करवा चौथ का चित्र या कैलेंडर पूजा स्थान पर लगा लें। चंद्रोदय पर अर्घ्य दें। पूजा के बाद तांबे या मिट्टी के करवे में चावल, उड़द की दाल भरें। सुहाग की सामग्री- कंघी, सिंदूर, चूडिय़ां, रिबन, रुपए आदि रखकर दान करें। सास के चरण छूकर आशीर्वाद लें और फल, फूल, मेवा, बायन, मिष्ठान, बायना, सुहाग सामग्री, 14 पूरियां, खीर आदि उन्हें भेंट करें। विवाह के प्रथम वर्ष तो यह परंपरा सास के लिए अवश्य निभाई जाती है। इससे सास-बहू के रिश्ते और मजबूत होते हैं।
चंद्र राशि एवं सामर्थ्य अनुसार क्या दें उपहार और किस रंग की पहनें ड्रेस इस पर्व पर?
मेष : उपहार- इलेक्ट्रॉनिक उपकरण दें। ड्रेस- लाल, गोल्डन साड़ी या सूट या लहंगा।
वृष: उपहार- डायमंड या चांदी का अलंकरण। ड्रेस- लाल व सिल्वर साड़ी या सूट।
मिथुन: उपहार- इलेक्ट्रॉनिक उपकरण दें। ड्रेस- हरी बंधेज साड़ी या सूट, हरी-लाल चूडिय़ां।
कर्क: उपहार- चांदी का गहना दें। ड्रेस- लाल साड़ी या सूट, मल्टी कलर चूडिय़ां।
सिंह: उपहार- गोल्डन वाच दें। ड्रेस- लाल, संतरी, गुलाबी, गोल्डन साड़ी या सूट।
कन्या: उपहार- इलेक्ट्रॉनिक उपकरण दें। ड्रेस- लाल, हरी, गोल्डन साड़ी या सूट।
तुला: उपहार- कास्मैटिक्स दें। ड्रेस- लाल, सिल्वर, गोल्डन साड़ी, लहंगा या सूट।
वृश्चिक: उपहार- इलेक्ट्रॉनिक उपकरण दें। ड्रेस- लाल, मैरून, गोल्डन साड़ी या सूट।
धनु: उपहार- पिन्नी या पीला पतीसा, लड्डू दें। ड्रेस- लाल. गोल्डन साड़ी या सूट व 9 रंग की चूडिय़ां।
मकर: उपहार- विवाह की ग्रुप फोटो ग्रे फ्रेम में गिफ्ट करें। ड्रेस- ब्लू साड़ी या सूट।
कुंभ: उपहार- हैंड बैग, ड्राई फ्रूट्स, चॉकलेट दें। ड्रेस- नेवी ब्लू व सिल्वर कलर की मिक्स साड़ी या सूट।
मीन: उपहार- राजस्थानी थाली में कोई गोल्ड आयटम और ड्राई फ्रूट्स दें। ड्रेस- लाल, गोल्डन साड़ी या सूट।
कुछ कॉमन गिफ्ट
सोना- चूड़ी, ब्रेसलेट, इयर रिंग्स, टॉप्स भी हो सकते हैं।
डायमंड- खूबसूरत रंगों में आ रहे हैं।
पेंटिंग
फोटो कोलाज- इसमें शादी से लेकर अब तक के फोटो लगा सकते हैं।
दांपत्य जीवन में आई दरार को दूर करने या वैवाहिक जीवन को और आनंदमय बनाने के लिए करवा चौथ पर विशेष उपाय
यदि आपके वैवाहिक जीवन में कुछ परेशानियां हैं या पति-पत्नी के मध्य किसी अन्य के आगमन से विस्फोटक स्थिति बन गई है तो इस करवा चौथ के अवसर पर ये प्रयोग करने से न चूकें। ये उपाय सरल, सफल अहिंसक एवं सात्विक हैं, जिससे किसी को शारीरिक नुक्सान नहीं पहुंचेगा और आपके दांपत्य जीवन में मधुरता भी लौट आएगी।
- जीवन साथी का सानिध्य पाने के लिए एक लाल कागज पर अपना व जीवन साथी का नाम सुनहरे पैन से लिखें। एक लाल रेशमी कपड़े में दो गोमती चक्र, 50 ग्राम पीली सरसों रखकर यह कागज मोड़ कर एक पोटली की तरह बांध लें। इस पोटली को कपड़ों वाली अलमारी में कहीं छिपाकर करवा चौथ पर रख दें। अगले करवा पर इसे प्रवाहित कर दें।
- यदि पति या पत्नी का ध्यान कहीं और आकर्षित हो गया हो तो आप जमुनिया नग ‘परपल एमीथीस्टÓ 10 से 15 रत्ती के मध्य चांदी या सोने के लॉकेट में बनवा कर शुद्धि के बाद करवा चौथ पर धारण कर लें।
- यदि आप अपने जीवन साथी से किसी अन्य के कारण उपेक्षित हैं तो करवा चौथ के दिन 5 बेसन के लडडू, आटे के चीनी में गूंधें, 5 पेड़े, 5 केले, 250 ग्राम चने की भीगी दाल, किसी ऐसी एक से अधिक गायों को खिलाएं, जिनका बछड़ा उनका दूध पीता हो। करवा चौथ पर इस समस्या को दूर करने के लिए अपने इष्ट से विनय भी करें।
- यदि पति या पत्नी के विवाहेत्तर संबधों की आशंका हो तो एक पीपल के सूखे पत्ते या भोजपत्र पर ‘उसका’ नाम लिखें। किसी थाली में इस पत्र पर तीन टिक्कियां कपूर की रखकर जला दें और इस संबंध विच्छेद की प्रार्थना करें।
करवा चौथ की कहानी
इस रोज बगैर खाए या पिए महिलाएं अपने पति या होने वाले पति की लंबी उम्र की कामना में व्रत रहती हैं। करवा चौथ को लेकर कई कहानियां हैं। एक कहानी महारानी वीरवती को लेकर है-सात भाइयों की अकेली बहन थी वीरवती। घर में उसे भाइयों से बहुत प्यार मिलता था। उसने पहली बार करवा चौथ का व्रत अपने मायके यानी पिता के घर रखा। सुबह से बहन को भूखा देख भाई दुखी हो गए। उन्होंने पीपल के पेड़ में एक अक्स बनाया, जिससे लगता था कि चंद्रमा उदय हो रहा है। वीरवती ने उसे चंद्रमा समझा व उसने व्रत तोड़ दिया। जैसे ही खाने का पहला कौर मुंह में रखा, उसे नौकर से संदेश मिला कि पति की मौत हो गई है। वीरवती रातभर रोती रही। उसके सामने देवी प्रकट हुईं और दुख की वजह पूछी। देवी ने उससे फिर व्रत रखने को कहा। वीरवती ने व्रत रखा, उसकी तपस्या से खुश होकर यमराज ने उसके पति को जीवित कर दिया।
मदन गुप्ता सपाटू, मकान नं. 196, सैक्टर-20 ए,चंडीगढ़। फोन: 9815619620, 0172-2577458
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