हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने सुनाया फैसला
CHANDIGARH, 23 APRIL: हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने बिजली मीटर स्थानातंरण (शिफटिंग) की एक शिकायत/अपील पर संज्ञान लेते हुए दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम के एक जूनियर इंजीनियर पर 20 हजार रूपए का जुर्माना लगाया है।
इस संबंध में जानकारी देते हुए हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग के एक प्रवक्ता ने बताया कि आयोग के मुख्य आयुक्त श्री टी.सी. गुप्ता की अध्यक्षता में दक्षिण हरियाण बिजली वितरण निगम के तहत रेवाडी डिवीजन के एक्सईन कुलदीप सिंह नेहरा, रेवाडी सब डिवीजन के एसडीओ जतिन कुमार और रेवाडी सब डिवीजन के जेई (जूनियर इंजीनियर) सुरेन्द्र शर्मा को इस मामले में गत 5 अप्रैल, 2024 को सुनवाई के लिए बुलाया गया जिसके तहत जेई सुरेन्द्र शर्मा ने इस मामले की सुनवाई में भाग नहीं लिया और अपीलकर्ता सरोज यादव ने भी हिस्सा नहीं लिया। परंतु अपीलकर्ता सरोज यादव की ओर से लिखित ईमेल आयोग को प्राप्त हुई जिसमें सरोज यादव ने हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग के हस्तक्षेप से सेवा प्राप्ति हेतू धन्यवाद व आभार व्यक्त किया।
उन्होंने बताया कि आयोग ने जेई सुरेन्द्र शर्मा पर सेवा देने में लापरवाही बरतने के लिए 20 हजार रूपए का जुर्माना लगाया है। तो वहीं, शिकायतकर्ता/अपीलकर्ता यानी सरोज यादव को 5,000 रुपए मुआवजा (कंपनसेशन) देने हेतू एक्सईएन को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। आयोग ने अपने निर्णय में कहा है कि यह राशि अप्रैल माह के वेतन से काटी जाएगी बशर्ते कि यह वेतन के 1/3 से अधिक न हो। अतिरिक्त राशि अगले महीनों में वेतन के 1/3 की सीमा तक काट ली जाएगी और राज्य के खजाने में 20 हजार रुपये की सीमा तक जमा कर दी जाएगी। आयोग ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि कटौती की जाने वाली राशि में से पहले 5 हजार रूपए की कटौती करके सरोज यादव को अदायगी की जाए। बशर्ते कि वह डीएचबीवीएन रिकॉर्ड में उपभोक्ता हों। यदि वह उपभोक्ता नहीं है तो वह राशि संबंधित उपभोक्ता के खाते में जमा की जानी चाहिए।
प्रवक्ता ने बताया कि सुरेन्द्र शर्मा के खिलाफ कोई कार्रवाई करने के बजाय जतिन कुमार ने एक आसान रास्ता चुना है यानी सुरेंद्र शर्मा का काम दूसरे जेई को स्थानांतरित कर दिया। वे आदेशों का पालन करने में भी विफल रहे और अपील को अपने आप ही खारिज कर दिया। ऐसा करके, उन्होंने अधिनियम की अक्षरशः कार्य और भावना दोनों का उल्लंघन किया है। इसलिए, आयोग ने जतिन कुमार, एसडीओ के खिलाफ एसीएस, ऊर्जा विभाग से उपयुक्त अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने की सिफारिश की है। जिसके तहत राज्य सरकार आयोग द्वारा की गई सिफारिशों पर विचार करेगी और तीस दिनों या उससे अधिक समय के भीतर की गई कार्रवाई की जानकारी आयोग को भेजेगी।
उन्होंने बताया कि इसी प्रकार, कुलदीप सिंह नेहरा, एक्सईएन के मामले में भी चूक पाई गई है और वे आदेश का पालन करने में विफल रहे है और उन्होंने भी अपील को अपने आप ही खारिज कर दिया। ऐसा करके उन्होंने अधिनियम की मूल भावना का भी उल्लंघन किया है। हालाँकि, सुनवाई के दौरान उनके द्वारा मांगी गई माफी के मद्देनजर उनके खिलाफ किसी भी अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश करने के बजाय, उनके आचरण को किसी भी उचित कार्रवाई के लिए एमडी, डीएचबीवीएन के ध्यान में लाया गया है। आयोग ने कहा कि कुलदीप सिंह नेहरा जैसे वरिष्ठ अधिकारियों की ऐसी लापरवाह कार्यप्रणाली के लिए अपनी नाराजगी दर्ज करना चाहेगा। आशा है कि वह भविष्य में शिकायतकर्ताओं/अपीलकर्ताओं की शिकायतों को ‘समाधान’या ‘ख़ारिज’करने से पहले उन्हें न्याय देंगे।