CHANDIGARH: भारतीय जनता पार्टी चंडीगढ़ के प्रदेश प्रवक्ता एवं जैन समाज के अग्रणी नेता कैलाश चंद जैन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की तर्ज पर अंतर्राष्ट्रीय क्षमावाणी दिवस भी घोषित किए जाने की मांग की है। जैन ने कहा है कि क्षमावाणी दिवस विश्व में शांति स्थापित करने में सहायक होगा व दुनिया में फैल रही अराजकता और आपसी भेदभाव खत्म करने के लिए भी मील का पत्थर साबित हो सकता है।
इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में कैलाश चन्द जैन ने कहा है कि जैन धर्म में प्रचलित क्षमावाणी पर्व पर हम पूरे साल में अपने द्वारा की गई गलतियों के लिए क्षमा मांगते हैं और दूसरों की गलतियों को माफ करके वैर भाव खत्म कर देते हैं। मिच्छामि दुक्डम एक ऐसा शब्द है जिसको अगर दिल से अपना लिया जाए तो बड़े से बड़े विवाद समाप्त हो सकते हैं। प्रधानमंत्री ने तो स्वयं ही संसद में मिच्छामी दुक्कड़म कहकर सभी सांसदों से किसी भी तरह की हुई भूल के लिए क्षमा मांगी है।
कैलाश जैन का कहना है कि आज के समय आतंकवाद मानवता के लिए घोर खतरा बना हुआ है। आज पूरे विश्व में अराजकता का माहौल है, तथा विश्व में कई आतंकी संगठनों ने लोगों की शांति एवं चैन को प्रभावित किया है। पूरा जनमानस इनसे बुरी तरह प्रभावित है। असामाजिक तत्व पूरी मानवता के लिए खतरा बन चुके हैं। आपसी वैरभाव बढ़ता जा रहा है। भाई का भाई से, पड़ोसी का पड़ोसी से, वैर हर जगह एक-दूसरे से दिख रहा है लेकिन क्षमा कहीं नहीं। इस वैर भाव को केवल अपनी गलतियों की क्षमा मांगकर तथा एक-दूसरे को क्षमा करने से ही खत्म किया जा सकता है।
जैन ने कहा कि क्षमावाणी ही एक ऐसा पर्व है, जिससे आपसी मतभेद , वैमनस्यता और मनमुटाव को मिटाकर शांति स्थापित करने का मार्ग मिल सकता है। यह आपसी सद्भावना स्थापित करने में मील का पत्थर साबित हो सकता है। जरूरत है इस क्षमावाणी पर्व के महत्व को समझने की। कोई भी व्यक्ति, समाज , धर्म, देश ऐसा नहीं होगा ,जो क्षमावाणी (FORGIVENESS DAY) के महत्व को समझते हुए इसे स्वीकार न करे।
कैलाश जैन ने प्रधानमंत्री से इस विषय पर गम्भीरता से विचार कर क्षमावाणी पर्व को को राष्ट्रीय क्षमावाणी दिवस घोषित करने की मांग की है। जैन का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह योग के लिए पूरे संसार को प्रेरणा दी है ,उसी तरह क्षमावाणी पर्व को भी मान्यता देकर पहले भारतवर्ष में लागू करें और फिर विश्व के सभी देशों को स्वेच्छा से इसे स्वीकृति के लिए प्रेरित करें। सारा विश्व क्षमावाणी पर्व अधिकृत रूप से मनाएगा तो दुनियाभर की बहुत सी समस्याओं का समाधन होगा और आतंकवाद पर भी अंकुश लगेगा।