स्वदेशी खेल कलरीपायट्टू को पहली बार खेलो इंडिया यूथ गेम्स में किया गया शामिल

परंपरागत कलरीपायट्टू खेल से प्राचीन काल में मार्शल आर्टस का उदय हुआ
ऐसा भी माना जा रहा है कि इस खेल की शुरूआत भगवान परशुराम ने की थी

CHANDIGARH, 09 JUNE: हरियाणा के पंचकूला में चल रहे खेलो इंडिया यूथ गेम्स में स्वदेशी खेल कलरीपायट्टू को पहली बार शामिल किया गया है। ऐसा माना जाता है कि इस परंपरागत कलरीपायट्टू खेल से प्राचीन काल में मार्शल आर्टस का उदय हुआ और इस प्रकार कलरीपायट्टू को मार्शल आर्टस की जननी भी कहा जाता है। ऐसा भी माना जा रहा है कि इस खेल की शुरूआत भगवान परशुराम ने की थी।

पंचकूला के ताऊ देवी लाल स्टेडियम में 10 जून से 13 जून के बीच आयोजित होने जा रही कलरीपायट्टू प्रतियोगिता में 13 राज्यों के लगभग 200 खिलाड़ी भाग लेंगे, जिसमें हरियाणा से 5 खिलाड़ी शामिल हैं।

इस स्वदेशी खेल में विशेष प्रकार के मुद्राओं व शरीर के आकार बनाकर संघर्ष किया जाता हैं। कलरीपायट्टू में वेथारी के तहत मौखिक कमांड के तहत खेला जाता हैं और मेथारी में कूद व शरीर के विभिन्न आकारों को बनाकर द्वंद्वी के साथ लड़ा जाता है। इसी प्रकार, कलथारी के तहत विभिन्न प्रकार की स्टिक का प्रयोग करके द्वंद्वी को पछाडऩे की कोशिश की जाती है। ऐसे ही, कटाकारीपायट्टू के तहत लंबी स्टिक का उपयोग किया जाता है और ओपोनेंट को धकेलने का प्रयास किया जाता है।

कलरीपायट्टू में चूरवापायटू में स्टिक का प्रयोग, ओटावापायट्टू में वैटन का प्रयोग, मेटल हथियार के तहत भाल का प्रयोग जिसे एक प्रकार से तलवार भी कहा जाता हैं, संघर्ष के तहत वेरूपखाई, कतारपायट्टू तथा विभिन्न प्रकार के इंवेट कलरीपायट्टू में आयोजित किए जाते हैं। कलरीपायट्टू के मेपायट्टू इवेंट में लचीले शरीर की तकनीक, चूवादुकाल के तहत हीप मूबमेंट और स्टेप, चवेटीपोंगल में थाई कीक, कैपोरू में बिना हथियार के संघर्ष, उर्मी विशाल में लचीली तलवार की लड़ाई, वल्लमपरिचयम के तहत तलवार व ढाल का संघर्ष शामिल है।

कलरीपायट्टू एक स्वदेशी खेल है और इसमें शरीर की एक्सरसाइज व प्रशिक्षण होने के साथ-साथ चिकित्सा का भी ऐलीमेंट हैं। मर्म चिकित्सा के तहत शरीर के 107 प्वाइंट में एनर्जी देने का उपचार, थीरूमल में पैरों से लेकर पूरे शरीर में रोप मालिस तथा व्यायाम चिकित्सा में फिॅजीकल एक्सरसाइज की जाती है। इसके अलावा, कलारी चिकित्सा में आयुर्वेद के आधार पर मैडिकल चिकित्सा की जाती है।  कलरीपायट्टू खेल में खून का संचार हृदय से लेकर पूरे शरीर में होने से मांसपेशियां मजबूत होती हैं और स्वस्थ शरीर बना रहता है। इसमें शरीर के सभी जोडों को लचीलापन मिलता है और व्यक्ति का शरीर युवा व स्वस्थ बना रहता हैं।

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