ANews Office: भारतीय राजनीति में जो हो जाए, थोड़ा है। जो कह दिया जाए, दोहरा है। दुनिया में फैली कोरोना महामारी के संकट से भारत भी जूझ रहा है। जैसे हालात हैं, उनमें जनप्रतिनिधियों की संजीदा भूमिका हर वक्त अपेक्षित है लेकिन संसद के मानसून सत्र में नेता देश को इस संकट से निकालने से ज्यादा एक-दूसरे को सियासत में फंसाने की जुगत ज्यादा लगाते दिख रहे हैं। यही कारण है कि गुरुवार को कोरोना से जंग में भाभी जी के पापड़ और गांधी जी के चरखे की भी एंट्री हो गई।
दरअसल, संसद के चल रहे मानसून सत्र के चौथे दिन गुरुवार को राज्यसभा में कोरोना वायरस को लेकर चर्चा कराई गई तो शिवसेना ने केंद्र सरकार पर तंज कसा। शिवसेना के सांसद संजय राउत ने सवाल पूछने के अंदाज में कहा कि क्या लोग भाभी जी के पापड़ खाकर ठीक हो रहे हैं ?
यहां बता दें कि कोरोना काल के बीच ही जुलाई महीने में केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने एक वीडियो जारी किया था। इसमें उन्होंने बीकानेर में बने भाभी जी ब्रांड के पापड़ का प्रचार करते हुए दावा किया था कि यह पापड़ कोरोना वायरस के संक्रमण से बचा सकता है।
शिवसेना सांसद संजय राउत का इशारा इसी तरफ था। कोरोना वायरस को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन द्वारा सदन में दिए गए बयान पर चर्चा के दौरान संजय राउत ने कहा कि मैं सदस्यों से पूछना चाहता हूं कि इतने लोग कैसे ठीक हुए ? क्या लोग भाभी जी के पापड़ खाकर ठीक हो गए ? यह राजनीतिक लड़ाई नहीं है, बल्कि लोगों की जान बचाने की लड़ाई है।
सुधांशु त्रिवेदी ने किया गांधी जी के चरखे का जिक्र
शिवसेना नेता संजय राउत के तंज पर भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने पलटवार किया, ‘कोरोना अब तक की सबसे बड़ी आपदा है। जैसे गांधी जी ने अंग्रेजों को भगाने के लिए चरखे को एक प्रतीक बनाया था, वैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दीये को सामाजिक चेतना का प्रतीक बनाया। कुछ लोग पूछ रहे हैं कि क्या ताली-थाली बजाने से कोरोना खत्म होगा तो मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि क्या लोग इतिहास भूल गए ? क्या चरखा चलाने से अंग्रेज चले गए थे ? चरखा एक प्रतीक था, जिसे गांधी जी ने चुना था। ठीक इसी तरह ताली-थाली बजाना एक प्रतीक था, जिसके जरिए कोरोना योद्धाओं का मनोबल बढ़ाने की कोशिश की गई।’
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