ANews Office: एकादशी के श्राद्ध और इंदिरा एकादशी व्रत के दिन यानी कि आज 13 सितम्बर 2020 को जब प्रातः 6 बजकर 12 मिनट पर गुरु भी मार्गी हो गए तो ऐसा कौन सा विलक्षण संयोग बन गया, जिसकी तुलना रामायण काल से की गई ? ऐसे ज्योतिषीय संयोग रावण पुत्र इंद्रजीत और दशरथ पुत्र भगवान श्रीराम के जन्म के समय पाए गए थे। लिहाजा, दोनों ही अदम्य साहस के प्रतीक थे। आकाश मंडल में 13 सितम्बर को सुबह 10.45 बजे से दोपहर 12 बजे तक केवल शुक्र को छोड़कर 9 में से 8 ग्रह अपनी श्रेष्ठ राशियों में विराजमान थे । ऐसा कई दशकों में केवल एक बार होता है। अब ऐसा संयोग वर्ष 2050 में भी बनेगा। आइए जानते हैं कि ऐसे क्या विलक्षण संयोग बने इस सवा घंटे की अवधि में…
ये बना है संयोग
रविवार के दिन वृश्चिक लग्न में ग्रहों के राजा सूर्य दशम भाव में स्वराशि सिंह में, चंद्र अपनी कर्क राशि में होकर भाग्य स्थान पर, मंगल छठे भाव में अपनी मूल त्रिकोण राशि मेष में, बुध 11वें भाव में अपनी मूल त्रिकोण राशि कन्या में, गुरु अपनी धनु राशि में होकर धन स्थान पर, शनि देव अपनी श्रेष्ठ राशि मकर में होकर तीसरे भाव में, यहां तक कि राहू महाराज 8वें भाव में अपनी मूल त्रिकोण राशि मिथुन में और केतु भी गुरु की राशि में गुरु के संग तृतीय भाव में विराजमान हैं।आज रामायण काल की जगह कोरोना काल चल रहा है। यह एक ज्योतिषीय अनुसंधान का विषय रहेगा कि 13 सितम्बर 2020 के दिन इस अवधि में जन्मे शिशु क्या पौराणिक चरित्रों के समान बनेंगे या नहीं ?
इस विशेष अवधि के जातक विलक्षण प्रतिभा के होंगे
यदि आज की यह कुंडली देखी जाए तो कोई भी ज्योतिष का विद्यार्थी इस भविष्यवाणी से इंकार नहीं कर सकता कि इस विशेष अवधि में जन्म लेने वाले जातक विलक्षण प्रतिभा लिए होंगे। वृश्चिक लग्न वाले व्यक्ति वैसे भी तेज-तर्रार मिजाज के होते हैं। प्रधानमंंत्री नरेंद्र मोदी इसके सपष्ट उदाहरण हैं। तृतीय भाव का शनि जीवन में धन वर्षा करता ही रहता है। दशम भाव में स्वराशि का सूर्य उच्च पद, नेतृत्व की अपार क्षमता देता है। छठे भाव का मंगल अपनी ही राशि का हो तो शत्रु टिकते नहीं, रोग से लड़ने की क्षमता प्रचुर मात्रा में होती है। ऐसे बच्चों का कोरोना जेैसा वायरस कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा। धन भाव में गुरु के बारे में कहने की आवश्यकता ही नहीं। गयारहवें भाव में बुध अपनी प्रतिभा से धनागमन के कई स्रोत बनाएगा। राहू भी 8वें भाव में अचानक धन देता है और गूढ़ विद्याओं का विशेषज्ञ बनाता है। इसके अलावा इस दिन जन्म लेने वाले जातकों के पूर्व जन्मों के कर्मों का फल अलग से ही होगा। 13 सितम्बर को पैदा होने वाले लाखों बच्चों का भाग्य एक जैसा होगा, यह आवश्यक नहीं। उसके पूर्व जन्मों के कर्म, आज उसका जन्म किस के घर हो रहा है, यह भी भाग्य निर्धारण में विशेष भूमिका निभाता है।
क्या कहता है अंक शास्त्र ?
2020 का वर्ष 4 अंक के कारण राहु को समर्पित है। आज 13 का योग भी 4 है। इसके अलावा भाग्यांक भी 8 बनता है। इस संयोग में 4 और 8 का संयोग बहुत बढ़िया नहीं माना जाता। फिर भी जातक का जन्म स्थान, उसके नाम का पहला अक्षर, उसका टोटल इत्यादि भी उसके भाग्य को प्रभावित करेंगे। कुल मिलाकर 13 सितंबर 2020 रविवार को सुबह 10.45 से दोपहर 12 बजे के मध्य जन्मे शिशु निसंदेह औरों से कुछ अलग विलक्षण प्रतिभा लिए होंगे। ज्योतिर्विद् अनुसंधान के उदे्श्य से आज जन्मे बच्चों का रिकार्ड रखें और उनकी जीवन यात्रा से संबंधित तथ्यों को समायोजित कर ज्योतिषीय सूत्रों में वृद्धि कर सकते हैं।
– मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्, फोनः 9815619620
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