बजट में केंद्र ने पंजाब से किया सौतेला बर्ताव: कैप्टन अमरिंदर सिंह

कहा- आम आदमी, मध्यम वर्ग और किसानों को अनदेखा किए जाने का भी पर्दाफाश हुआ

CHANDIGARH: वर्ष 2021-22 केंद्रीय बजट को रद्द करते हुए इसे भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का आम आदमी, मध्यम वर्ग और किसानों की अनदेखी करने वाला बताते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने सोमवार को कहा कि यहाँ तक कि चीन और पाकिस्तान द्वारा सरहदों पर बढ़े खतरे के बावजूद रक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र को भी बनता हिस्सा नहीं मिला।

इसके अलावा कोविड संकट के दौरान स्वास्थ्य क्षेत्र में भी बजट का आवंटन कम है।केंद्र की तरफ से स्वास्थ्य क्षेत्र में 35 प्रतिशत हिस्सा बढ़ाने के दावे को रद्द करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वास्तव में कोविड के टीकाकरण और स्वास्थ्य संबंधी हैड अधीन सेनिटेशन और सफ़ाई के लिए रखे 35000 करोड़ रुपए को प्रोजैक्ट में शामिल करके आंकड़ों को घुमाया गया है।

उन्होंने कहा कि वास्तव में स्वास्थ्य संबंधी बजट 10 प्रतिशत घटा है।मुख्यमंत्री ने बजट में पंजाब और दूसरे उत्तरी राज्यों के साथ सौतेला व्यवहार करने के लिए भी केंद्र की निंदा की जो कि विधानसभा चुनाव वाले राज्य पश्चिमी बंगाल और दक्षिणी भारत के लिए तैयार किया हुआ है। इन क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए बड़ा हिस्सा रखा गया है।

लघु और मध्यम अवधि के लिए केंद्र और राज्यों के बीच तय किये वित्तीय घाटों के लक्ष्यों में अंतर की तरफ इशारा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘बजट केंद्र सरकार की हमारे सहित ग़ैर-भाजपा शासित राज्यों को दरकिनार करने और संघीय ढांचे की विरोधी मानसिकता वाली कोशिशों को दर्शाता है।’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से आज संसद में पेश किया गया बजट देश की 130 करोड़ से अधिक आबादी की ज़रूरतों और इच्छाओंं की कीमत पर मु_ी भर कॉर्पोरेट घरानों के हितों की रक्षा को उत्साहित करने के उद्देश्य वाला है जो बेरोजगारी की बढ़ती समस्या को हल करने में असफल रहा जिसमें कोविड महामारी ने और भी विस्तार किया है।

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कृषि क्षेत्र जो कि लॉकडाऊन के दौरान देश के लिए एकमात्र बढिय़ा प्रदर्शन वाला क्षेत्र रहा, में केवल 2 प्रतिशत वृद्धि पर दुख ज़ाहिर करते कहा, ‘‘क्या वित्त मंत्री ने एम.एस.पी. की संवैधानिक गारंटी का जि़क्र करना ज़रूरी नहीं समझा जो कि पिछले दो महीनों से अधिक समय से नयी दिल्ली की सीमा पर ठंड और लाठियों के साथ जूझ रहे किसानों की एक प्रमुख माँग है?’’

मुख्यमंत्री ने शिक्षा क्षेत्र में केंद्र द्वारा अधिक ध्यान न देने की निंदा करते हुए कहा कि इससे कोविड की महामारी के दौरान डिजिटल डिवाईड के साथ प्रभावित हुए लाखों बच्चों को बड़ा धक्का लगा है। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि सरकार को हमारी रक्षा के लिए सरहदों पर तैनात सैनिकों, फ्रंटलाईन स्वास्थ्य कर्मियों और अध्यापकों की कोई परवाह नहीं है जबकि इन योद्धाओं ने कोविड के कठिन समय के दौरान अपनी पूरी ताकत लगाकर निर्विघ्न सेवा को सुनिश्चित किया।’’

उन्होंने कहा कि बजट में कोई टैक्स राहत न देने के कारण मध्यम वर्ग को निराशा ही हाथ लगी है। उन्होंने कहा कि कॉर्पोरेट सैक्टर के लिए 25 प्रतिशत के उलट मध्यम वर्ग की तरफ से पेट्रोल और डीज़ल पर 100 प्रतिशत अप्रत्यक्ष टैक्स सहित 35 प्रतिशत से अधिक सैस अदा करना जारी रहेगा।

मुख्यमंत्री ने अर्थव्यवस्था के कमज़ोर होने के समय के दौरान सार्वजनिक संस्थानों और सरकारी सम्पत्तियों के वर्चुअल तौर पर समूचे विनिवेश के लिए केंद्र सरकार के फ़ैसले पर हैरानी ज़ाहिर की। उन्होंने कहा कि जब यह माना जाता हो कि आर.एस.एस. विनिवेश की हमेशा ही विरोध करती रही है और केंद्र सरकार ‘आत्मनिर्भर भारत’ होने का दावा करती हो तो उस समय यह फ़ैसला लेना समझ से परेे है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि समूचे बजट ने बड़े कॉर्पोरेट घरानों को छोड़ कर समाज के प्रत्येक वर्ग को निराश किया है क्योंकि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने दूसरे वर्गों के हितों को दरकिनार करके कॉर्पोरेटों को खुश किया है। उन्होंने कहा कि वित्तीय घाटे वाले राज्यों के लिए राजस्व अनुदान 75,000 करोड़ से बढ़ाकर 1,85,000 करोड़ रुपए करना इस बजट का एक सकारात्मक पक्ष है। उन्होंने उम्मीद ज़ाहिर की कि केंद्र इस सम्बन्ध में पंजाब को उसका हिस्सा देने से पीछे नहीं हटेगा।

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