पंजाब में अब हलफनामे की बजाय स्वघोषणा पत्र को मान्यता

शासन सुधार मंत्री ने जारी की हिदायतें

CHANDIGARH, 21 SEPTEMBER: शासन सुधार संबंधी मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ने राज्य के समूह डिप्टी कमिशनरों को लोगों नागरिक सेवाएं प्रदान करने सम्बन्धी मामलों की कार्यवाही के दौरान हलफऩामे की जगह स्वै-घोषणा पत्र का प्रयोग को यकीनी बनाने की हिदायत दी हैं। मीत हेयर ने कहा कि स्वै-घोषणा की सुविधा देने के बावजूद अभी भी सेवा केन्द्रों में हलफऩामे के लिए लोगों को आना पड़ता है। इसलिए समूह जिलों को हिदायतें देते समय हलफऩामे की जगह स्वै-घोषणा पत्र के प्रयोग की सख़्ती से पालना करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली राज्य सरकार आम नागरिक को निर्विघ्न लोक सेवाएं प्रदान करने के लिए वचनबद्ध है और इस कदम से पंजाब के नागरिकों के समय और पैसे दोनों की बचत होगी। 

शासन सुधार संबंधी मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार की तरफ से पहले ही तसदीकशुदा हलफऩामे की जगह स्वै-घोषणा पत्र के प्रयोग को अपनाया गया है। इस सम्बन्धी साल 2010 में पहले ही हिदायतें जारी की गई थीं परन्तु ज़मीनी स्तर पर फीडबैक लेने पर पता चला कि यह हिदायतें सिर्फ़ कागज़ों में ही रह गई थीं और दफ़्तरों की तरफ से इस पर अमल नहीं किया गया। सेवा केन्द्रों की समीक्षा के दौरान यह बात सामने आई कि बहुत से लोग सेवा केन्द्रों में स्वै-घोषणा की हिदायतों के बावजूद हलफऩामे तस्दीक करवाने के लिए आ रहे हैं। 

मीत हेयर ने बताया कि इन हिदायतों की पूरी तरह पालना न होने का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जनवरी 2022 से सेवा केन्द्रों में कुल 4,38,058 हलफऩामे तैयार और तस्दीक किये गए। औसतन रोज़मर्रा के 2100 से अधिक नागरिक सेवा केन्द्रों पर सिर्फ़ हलफऩामे तस्दीक करवाने के लिए आ रहे हैं। इनको तस्दीक कराने के लिए जिलों की तरफ से कार्यकारी मैजिस्ट्रेट के रैंक के अधिकारी को तैनात किया गया है। 

शासन सुधार संबंधी मंत्री ने कहा कि बीते दिनों उन्होंने सेवा केन्द्रों का दौरा करके उनकी तरफ से लोगों के साथ की बातचीत के दौरान यह बात सामने आई है कि जि़ला स्तर पर सरकारी/ प्राइवेट दफ़्तरों और स्कूलों/ कॉलजों आदि की तरफ से अभी भी दाखि़ले, सर्टिफिकेट, वज़ीफ़े, मीटर कुनैकशन, ट्यूबवैल कुनैकशन, भर्ती, एन. ओ. सी. आदि के लिए हलफऩामे की माँग की जा रही है। इससे न सिर्फ़ नागरिकों के पैसे की बर्बादी होती होती है बल्कि नागरिकों के साथ-साथ सरकारी कामकाज का समय भी खऱाब होता है। 

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