CHANDIGARH: योग्य लाभार्थियों को पारदर्शी ढंग से अपने हक लेने के योग्य बनाने के लिए पंजाब के सामाजिक सुरक्षा और महिला एवं बाल विकास विभाग ने दिव्यांग व्यक्तियों (नेत्रहीन, अपंग, बोलने और सुनने में असमर्थ और मानसिक तौर पर कमजोर व्यक्तिों) के लिए वित्तीय सहायता योजना के लाभार्थियों के लिए पहचान दस्तावेज के तौर पर आधार नंबर जोडऩे की प्रक्रिया शुरू की है।
इस सम्बन्धी जानकारी देते हुये पंजाब के सामाजिक सुरक्षा और महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अरुणा चैधरी ने यहां मंगलवार को बताया कि विभाग ने विभिन्न स्कीमों के साथ आधार नंबर जोडऩे की प्रक्रिया शुरू की है जिससे लाभार्थियों को निर्विघ्न ढंग से अपने हक मिल सकें। उन्होंने कहा कि योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने के लिए योग्य व्यक्ति को अपने आधार नंबर का सबूत देना होगा या आधार प्रमाणीकरण करवाना होगा। उन्होंने आगे कहा कि इस स्कीम के अधीन लाभ लेने का इच्छुक कोई भी व्यक्ति, जिसके पास आधार कार्ड नहीं है या अभी तक आधार कार्ड के लिए अप्लाई नहीं किया, को आधार कार्ड बनवाने के लिए आवेदन करना होगा और ऐसे व्यक्ति अपना आधार कार्ड बनवाने के लिए आधार कार्ड बनाने वाले किसी भी केंद्र तक पहुँच कर सकता है।
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि विभाग ऐसे लाभार्थियों के लिए आधार कार्ड बनवाने की सहूलतें प्रदान करेगा जिन्होंने अभी तक आधार कार्ड के लिए अप्लाई नहीं किया और यदि सम्बन्धित ब्लॉक या तहसील में कोई आधार कार्ड बनाने वाला केंद्र नहीं है तो विभाग अनुकूल स्थानों पर आधार नामांकण सहूलतों का प्रबंध करेगा। उन्होंने बताया कि जब तक व्यक्ति का आधार कार्ड नहीं बन जाता तब तक ऐसा व्यक्ति अपनी आधार नामांकण पहचान स्लिप, वोटर पहचान पत्र, वोटर सूची, जन्म सर्टिफिकेट, मैट्रिक सर्टिफिकेट, अपंगता सर्टिफिकेट दिखा कर स्कीम के अधीन लाभ प्राप्त कर सकते हैं। विभाग के विशेष तौर पर नामजद अधिकारियों के द्वारा इन दस्तावेजों की जांच की जा सकती है।
उन्होंने आगे कहा कि ऐसे मामलें जहाँ खराब बायोमैट्रिक्स या किसी अन्य कारण से आधार प्रमाणिकता फेल हो जाती है तो प्रामाणिकता के लिए आइरिस स्कैन या फेस प्रमाणिकता विधि अपनाई जाये और विभाग फिंगर-प्रिंट प्रमाणिकता के साथ आइरिस स्कैनर या फेस प्रमाणिकता विधि के लिए प्रबंध करेगा। कैबिनेट मंत्री ने कहा कि अगर फिंगरप्रिंट या आइरिस स्कैन या फेस प्रमाणिकता के जरिये बायोमैट्रिक तस्दीक फेल हो जाती है तो जहां भी संभव और स्वीकार्य हो, सीमित समय की वैधता के साथ आधार वन टाईम के पासवर्ड या टाईम -आधारित वन-टाईम के पासवर्ड के द्वारा तस्दीक की पेशकश की जायेगी। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलें जहां बायो-मैट्रिक या आधार वन टाईम के पासवर्ड या टाईम आधारित वन -टाईम के पासवर्ड प्रमाणीकरण संभव नहीं है तो योजना के अधीन लाभ फिजिक़ल आधार कार्ड के आधार पर दिए जा सकते हैं।